The Kashmir Files: इस समय फ़िल्म कश्मीर फ़ाइल 8 राज्यों में टैक्स फ्री हो चुकी है और कही लोगों में ये उत्सुकता है कि टैक्स फ्री से होता क्या है? इस जवाब को पढ़ने के बाद आपको टैक्स फ्री को लेकर कोई सवाल नही आएगा। अंत तक अवश्य पढ़ें तभी आप समज पायेंगे।
जब भी किसी राज्य द्वारा यह घोषणा की जाती है कि इस राज्य में फ़िल्म पर टैक्स नही लगेगा उसका अभिप्राय उस पर टैक्स जनता न देकर राज्य सरकार फिल्म के प्रदर्शन पर राज्य के गुड्स और सर्विस टैक्स से उसकी भरपाई होगी।
सरल शब्दों में सिर्फ मूल टिकट का दाम जनता देगी जीएसटी का पैसा राज्य सरकार देगी। 2017 में GST यानी गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स के आने के बाद खेल बदल गया। राज्यों के हाथ से मनमाना एंटरटेनमेंट टैक्स वसूलने का अधिकार छीन लिया गया। केंद्र सरकार ने तय किया कि देश के हर हिस्से में फिल्मों की टिकट पर 28 परसेंट GST लगेगा। ये GST राज्य और केंद्र सरकार के बीच बराबर बंटेगा. मगर फिल्म इंडस्ट्री के लोगों को लगा कि 28 परसेंट टैक्स ज़्यादा है. उन्होंने सरकार से इसे कम करने की गुज़ारिश की।
2018 में फिल्म टिकटों पर लगने वाली GST को दो स्लैब में तोड़ा गया. अगर किसी थिएटर के टिकट की कीमत/एडमिशन रेट 100 रुपए से कम है, उनकी टिकट पर 12 परसेंट GST लगेगा. जिन थिएटरों का एडमिशन रेट 100 रुपए से ज़्यादा है। उनकी टिकट पर 18 परसेंट GST चार्ज किया जाएगा।
बिजली चोरी पर बनी डॉक्यूमेंट्री ‘कटियाबाज’ से लेकर आमिर खान की ‘तारे ज़मीन पर’ और ‘रंग दे बसंती’ को एंटरटेनमेंट टैक्स से मुक्त किया गया। ओलंपिक मेडलिस्ट बॉक्सर MC Mary Kom की बायोपिक ‘मैरीकॉम’ को रिलीज़ से पहले ही कई राज्यों में टैक्स फ्री कर दिया गया था।
आम तौर पर उन फिल्मों को टैक्स से छूट उनके सब्जेक्ट के आधार पर दी जाती है। जैसे मोटिवेशनल फिल्में, नेशनल हीरोज़ के ऊपर बनी फिल्में, सांप्रदायिक सौहार्द्र यानी कम्युनल हार्मनी को प्रमोट करने वाली फिल्में, जो अच्छा मैसेज देती हों।
फिल्मों को टैक्स फ्री इसलिए किया जाता है, ताकि उसे ज़्यादा से ज़्यादा लोग देखें। अगर टिकटों के दाम कम रहेंगे, तो उस फिल्म को कम आय वाले लोग भी देख पाएंगे. ये आइडियल सिचुएशन है.