क्या आप उस रानी के बारे में जानते हैं जिसने बेहद कम सेना और संसाधनों के बावजूद शाहजहाँ की विशाल मुग़ल सेना को नाकों चने चबवा दिए थे? उस वीरांगना का नाम था रानी "कर्णावती!" वे गढ़वाल राज्य की महारानी थीं!
इतिहास में उनका उल्लेख नाक काटने वाली रानी के नाम से मिलता है! गढ़वाल की इस रानी ने पूरी मुगल सेना की बाकायदा सचमुच नाक कटवायी थी! अनेक इतिहासकारों ने उनका उल्लेख नाक काटने वाली रानी के रूप में किया है!
रानी कर्णावती पवार वंश के राजा महिपतशाह की पत्नी थी! महिपतशाह की मृत्यु के पश्चात विधवा रानी कर्णावती ने सत्ता संभाली! वे शीघ्र ही अपनी विलक्षण बुध्दि एवं गौरवमय व्यक्तित्व के लिए प्रसिध्द हो गईं थीं!
दिल्ली के मुग़ल सुलतान शाहजहाँ ने गढ़वाल की सोने की खानों के बारे में बहुत कुछ सुन रखा था लालच से अंधे बादशाह ने नजाबत खां नाम के एक मुगल सरदार को गढवाल पर हमले की जिम्मेदारी सौंपी और वह 1635 में एक विशाल सेना लेकर आक्रमण के लिये चल पड़ा! उसके साथ पैदल सैनिकों के अलावा घुडसवार सैनिक भी थे!
गढ़वाल की सेना अपेक्षाकृत बेहद कम थी ऐसी विषम परिस्थितियों में रानी कर्णावती ने सीधा मुकाबला करने के बजाय कूटनीति से काम लेना उचित समझा! गढ़वाल की रानी कर्णावती ने उन्हें अपनी सीमा में घुसने दिया लेकिन जब वे वर्तमान समय के लक्ष्मणझूला से आगे बढ़े तो उनके आगे और पीछे जाने के रास्ते रोक दिये गये!गंगा के किनारे और पहाड़ी रास्तों से अनभिज्ञ मुगल सैनिकों के पास खाने की सामग्री समाप्त होने लगी! उनके लिये रसद भेजने के सभी रास्ते भी बंद थे!
मुगल सेना कमजोर पड़ने लगी और ऐसे में सेनापति ने गढ़वाल के राजा के पास संधि का संदेश भेजा लेकिन उसे ठुकरा दिया गया! मुगल सेना की स्थिति बदतर हो गयी थी! अब समय था मुगलों को छठी का दूध याद दिलाने का! एक दिन अचानक रानी अपनी सेना के साथ युद्धभूमि में शत्रु सेना पर बिजली की तरह टूट पड़ीं! उस शेरनी के शौर्य के सामने पहले से ही हताश मुग़ल सैनिक ज्यादा देर नहीं टिक सके और हताश मुगल सेना ने समर्पण कर दिया!
रानी चाहती तो उसके सभी सैनिकों का खात्मा कर देती लेकिन उन्होंने मुगलों को सजा देने का नायाब तरीका निकाला! मुगल सैनिकों के हथियार छीन लिए गये और आखिर में उन सभी की एक एक करके नाक काट दी गयी!
कहा जाता है कि जिन सैनिकों की नाक काटी गयी उनमें सेनापति नजाबत खान भी शामिल था! वह इससे काफी शर्मसार था और उसने मैदानों की तरफ लौटते समय अपनी जान दे दी! इस घटना से शाहजहाँ काफी शर्मशार हुआ और फिर उसने कभी गढ़वाल पर आक्रमण की कोशिश नहीं की! वे सदा सदा के लिए "नाक काटी रानी के रूप में" इतिहास में अमर हो गयीं! रानी कर्णावती की कहानी आज भी गढ़वाल क्षेत्र में लोककथाओं में गायी जाती है।