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शिवपुराण सुनने के बाद, कई मुस्लिम बन गए हिंदू

रतलाम में 18 मुस्लिम लोगों ने स्वेच्छा से सनातन धर्म अपनाया
उसी धर्म में वापसी करना चाहते हैं जिसमें हमारे पूर्वज थे
   रतलाम/मध्य प्रदेश।। मध्य प्रदेश के रतलाम के आंबा में लगभग दो दर्जन के करीब लोगों ने हिंदू धर्म अपना लिया है। दीक्षा लेने वाले लोगों का कहना है कि वो कभी मुस्लिम थे ही नहीं। वे घुमक्कड़ प्रजाति के लोग हैं, जो मांग कर खाते थे। वहीं दीक्षा दिलाने में शामिल एक महाराज का कहना है कि ये सभी शिवपुराण सुनने के लिए आए थे। यहां आकर उनका सनातन धर्म जागा और उन्होंने कहा कि वे उसी धर्म में वापसी करना चाहते हैं जिसमें उनके पूर्वज थे। यहां सारे समाज के सामने इन्होंने सनातन धर्म को स्वीकार किया है।
हमने कभी नमाज़ नहीं पढ़ी और ना ही कभी मस्जिद गए 
    सनातन धर्म अपनाने वाले लोगों का कहना है की वह कभी मस्जिद नहीं गए। कभी नमाज नहीं पढ़ी। ना ही मुस्लिम धर्म के अन्य संस्कारों को अपनाया। धर्म परिवर्तन करने वाली एक महिला का कहना है कि मेरा नाम पहले भी आशा था और अब भी यही है। हमारे बाप-दादे हिंदू थे, हम केवल मुसलमान नाम से मांग कर खाते थे। हम सदियों से देवी-देवता पूजते आए हैं। हमें नमाज, कलमा-वलमा कुछ नहीं आता है। धर्म परिवर्तन करने वालों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। 
शिवपुराण सुनने के बाद भावना जागी 
    वहीं महाराज का कहना है कि आंबा में हमने शिवपुराण का संकल्प लिया था। जिसे सुनने के लिए यह लोग आए थे। इस दौरान उनकी भावना जागी औऱ कहा कि हम बहुत सताए जा रहे हैं, हमारी पीढ़ियां परेशान है। हमारे पूर्वज जिस धर्म में रहे उस धर्म को धारण करना चाहते हैं। उन्होंने अपने आधार और वोटर आईडी कार्ड के साथ शपथपत्र दिया। इसके बाद सारे समाज के सामने उन्होंने सनातन धर्म को स्वीकार किया। उनका जनेऊ संस्कार के बाद नामकरण हुआ। इन लोगों ने घर वापसी की और सनातन धर्म को अपनाया।
     सनातन धर्म में आए इन लोगों का कहना है कि गांव में आयोजित शिव पुराण कथा सुनने के बाद उन्हे अपने पूर्वजों के धर्म को अपनाने की प्रेरणा मिली। आम्बा में सात दिवसीय शिव पुराण कथा कर रहे पंडित जितेन्द्र रावल ने बताया कि कल उनकी कथा की पूर्णाहुति थी। 
    कथा समापन के बाद कुछ लोगों ने उनसे मिलकर सनातन धर्म में प्रवेश करने की इच्छा व्यक्त की थी। इस पर पंडित जितेन्द्र रावल ने उनसे कहा कि यदि वे स्वेच्छा से सनातन धर्म अपनाना चाहते है, तो इस संबंध में शपथ पत्र तैयार करवाएं। पंडित रावल ने इन लोगों के शुद्धीकरण के लिए स्वामी आनंदगिरी महाराज से चर्चा की। स्वामी आनंदगिरि महाराज के सान्निध्य में सभी का शुद्धीकरण संस्कार करवाया गया।
गोबर-गोमूत्र से नहाकर जनेऊ पहना
     मध्य प्रदेश में 15 दिन के अंदर मुस्लिम से हिंदू बनने का दूसरा बड़ा मामला सामने आया है। रतलाम के आम्बा में 18 लोगों ने इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपना लिया। परिवार के मुखिया मोहम्मद शाह अब राम सिंह बन गए। भीमनाथ मंदिर में महाशिवपुराण की पूर्णाहुति पर 9 जून को स्वामी आनंदगिरी महाराज के सान्निध्य में सभी ने गोबर और गोमूत्र से नहाकर जनेऊ धारण किया। इसके पहले सभी ने शपथ-पत्र बनवाया। इसमें उन्होंने बिना किसी दबाव के धर्म बदलने की बात लिखी। इससे पहले इस परिवार के मुखिया ने स्वामी आनंदगिरी के पास जाकर धर्म परिवर्तन की इच्छा जाहिर की थी।
    आपको बता दे कि 13 दिन पहले मंदसौर में भी शेख जफर शेख ने हिंदू धर्म अपनाया था। अब वे चेतन सिंह राजपूत के नाम से जाने जाते हैं। उनकी पत्नी पहले ही हिंदू धर्म से हैं। शेख जफर ने भगवान पशुपतिनाथ मंदिर में धर्म परिवर्तन किया था।

परिवार-रिश्तेदारों के साथ हिंदू धर्म में आए
    55 साल के मोहम्मद शाह (अब राम सिंह) घूम-घूमकर जड़ी-बूटियां और ताबीज बेचते हैं। उन्होंने परिवार और रिश्तेदारों के साथ धर्म परिवर्तन किया। जब स्वामी आनंदगिरी महाराज ने इसकी मंजूरी दी तो शाह ने कोर्ट से एफिडेविट बनवा लिए। स्वामी जी ने भीमनाथ मंदिर के पास बने कुंड में पूरे परिवार को गोबर, गोमूत्र से स्नान कराया। जनेऊ धारण कर भगवा वस्त्र पहनाकर जयश्री राम, जय महाकाल और सनातन धर्म के जयघोष के नारे भी लगवाए।
    राम सिंह बने मोहम्मद शाह ने बताया कि दो-तीन पीढ़ी पहले उनके परिजन बोदी समाज के थे और पुंगी बजाने का काम करते थे। इसके बाद रोजगार की तलाश में जुड़ी-बूटियां बेचने और ताबीज बनाने को लेकर इधर-उधर घूमने लगे और मुस्लिम धर्म अपना लिया था। पिछले कुछ समय से गांव में रहने के बाद से ही हिंदू धर्म में रुचि बढ़ने लगी थी। गांव में महाशिवपुराण कथा के दौरान स्वामी जी से धर्म परिवर्तन की बात कही। अब परिवार और रिश्तेदारों ने मिलकर धर्म परिवर्तन कर लिया।
इन लोगों ने अपनाया हिंदू धर्म
    धर्म परिवर्तन के बाद मोहम्मद शाह राम सिंह और उनका बेटा मौसम शाह अरुण सिंह बन गया है। इसी तरह शाहरुख शाह, संजय सिंह बन गए हैं। नजर अली शाह ,राजेश सिंह, नवाब शाह मुकेश सिंह, पत्नी शायरबी शायरा बाई, बहू शबनम (पति शाहरुख शाह) सरस्वती, पोता हीरो शाह (पिता मौसम शाह) सावन सिंह बन गया है।
    वहीं, धर्मवीर शाह (पिता हुसैन शाह) धर्मवीर सिंह, उनकी पत्नी आशाबी से आशा बाई बन गईं। अरुण शाह (पिता अर्जुन शाह) करण सिंह, उनकी पत्नी मीनू बी से मीना बाई बन गईं। राजू शाह (पिता गुलाब शाह) राजू सिंह, उनकी पत्नी रंजीता शाह से रंजीता बाई बन गईं। रमजानी (पिता लल्लू शाह) मुकेश सिंह बन गए। रुखसाना (पति हबीब खान) रुक्मणी बाई, अर्जुन शाह अर्जुन सिंह, उनकी पत्नी मुमताज से माया बन गईं।
जड़ी-बूटियां और ताबीज बेचने का करते थे काम 
    क्षेत्र में वर्षो से घुमंतू रहकर जड़ी-बूटियां और ताबीज बेचने वाले 55 वर्षीय मोहम्मद शाह और उनके परिवार ने हिंदू धर्म अपनाने के बाद आज सुबह ग्रामीणों की मौजूदगी में भीमनाथ महादेव मंदिर पर पूजा अर्चना कर हर-हर महादेव का जयघोष किया। 
    मोहम्मद शाह से राम सिंह बनने के बाद उन्होंने बताया कि उनकी तीन पीढ़ियां जड़ी-बूटियां एवं ताबीज बेचने का काम करती रही हैं। पहले वे पुंगी बजाने का काम करते थे और तब मुस्लिम धर्म अपना लिया था। अभी गांव में रहने के बाद हिंदू धर्म में ध्यान बढ़ा और महाशिवपुराण कथा में स्वामी जी से चर्चा की तो उन्होंने भी सकारात्मक रूख दिखाया।
    धर्म परिवर्तन के बाद सभी ने अपने नाम भी बदल लिए। मोहम्मद शाह का नाम राम सिंह, राम सिंह के बेटे मौसम शाह को अरुण, शाहरुख शाह को संजय सिंह, नजर अली शाह को राजेश सिंह, नवाब शाह को मुकेश सिंह, पत्नी शायर बी को शायरा बाई, शबनम पत्नी शाहरुख शाह को सरस्वती बाई, पोते हीरो पुत्र मौसम को सावन सिंह का नाम दिया गया।
    इसके अलावा धर्मवीर पुत्र हुसैन शाह को धर्मवीर सिंह, उनकी पत्नी आशा बी को आशा बाई, अरुण शाह पुत्र अर्जुन शाह को करण सिंह, पत्नी मीनू बी को मीना बाई, राजू शाह पुत्र गुलाब शाह को राजू सिंह, पत्नी रंजिता को रंजिता बाई, रमजानी पुत्र लल्लू शाह को मुकेश सिंह, रूखसाना पत्नी हबीब खान को रुक्मणी बाई, अर्जुन शाह को अर्जुन सिंह, पत्नी मुमताज को माया के नाम से जाना जाएगा।
   बताया जाता है कि मोहम्मद शाह के परिवार की घर वापसी के बाद उनकी जाति के कई अन्य परिवारों ने भी सनातन धर्म में घर वापसी की इच्छा जताई है।

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