एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के गांव में अब तक बिजली नहीं, अब सरकार कर रही ये काम
नई दिल्ली।। आजादी के 75 साल पूरी होने के बावजूद देश के कुछ हिस्सों में बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं है. केंद्र और राज्य सरकार के तमाम दावों के बावजूद जिस सच्चाई के बारे में आपको बताने जा रहे हैं उस पर शायद ही किसी को यकीन होगा.
एनडीए की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के लिए द्रौपदी मुर्मू के नाम का ऐलान होने के बाद लोग उनके पारिवारिक जीवन और राजनीतिक सफर के बारे में जानना चाहते हैं. ऐसे में आइए आपको बताते हैं उनके गांव से जुड़ा वो राज जिसके बारे में लोग नहीं जानते हैं.
गांव में आज भी बिजली नहीं
देश को नया राष्ट्रपति मिलने जा रहा है. इस बीच एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के पैतृक गांव में ओडिशा की सरकार ने बिजली के खंबे लगवाने का काम शुरू कराया है, ताकि जल्द से जल्द इस गांव के लोगों को बिजली मुहैया कराई जा सके. ऐसे में द्रौपदी मुर्मू के गांव वालों की उम्मीदें बढ़ गई हैं कि अगर उनकी बेटी देश के सबसे बड़े पद पर बैठेगी तो उनके गांव की हालत पूरी तरह बदल जाएगे यानी उनके भी अच्छे दिन आ जाएंगे जिसका इंतजार वो लोग देश को आजादी मिलने के बाद से कर रहे हैं.
ऐसे हैं हालात?
आपको बता दें कि द्रौपदी मुर्मू का जन्म ओडिशा के मयूरभंज जिले के ऊपरबेडा गांव में पैदा हुई थीं. करीब 3500 की आबादी वाले इस गांव में कुल दो टोले हैं. बड़ा शाही और डूंगरी शाही. बड़ा शाही में तो थोड़ी बहुत देर बिजली आ जाती है. क्योंकि वहां बिजली का पोल है. वहीं दूसरी ओर डूंगरी शाही आज भी अंधेरे में डूबा हुआ है. यहां के लोग केरोसीन तेल से रात का अंधेरा भगाते हैं. मोबाइल चार्ज करने के लिए 1 किलोमीटर दूर तक जाते हैं.
सरकार ने शुरू किया ये काम
जब द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनीं तो अचानक डूंगरी शाही का नाम सुर्खियों में आ गया. इस गांव में पत्रकार पहुंचे तो उन्हें पता चला कि यहां तो बिजली ही नहीं है. इसके बाद ओडिशा सरकार ने इस गांव में बिजली पहुंचाने की पहल शुरू कर दी. राज्य सरकार ने अब आदिवासी बहुल इलाके मुर्मू के गांव में बिजली के खंभे लगाने समेत यहां ट्रांसफार्मर पहुंचवाने का काम युद्धस्तर पर शुरू कराया है।