जिस तरह सीमा पर लड़ने के लिए जवान को उचित और पर्याप्त गोला-बारूद, हथियार इत्यादि की आवश्यकता होती है ठीक उसी तरह भारतीय रेल में ट्रेन के गार्ड और लोको पायलट को भी ट्रैन को व्यवस्थित और सुरक्षित तरीके से शुरुआती स्टेशन से यात्रा शुरू करके गन्तव्य स्टेशन तक पहुंचने के लिए कुछ साजो-सामान की आवश्यकता होती है। इस समान को व्यक्तिगत-भंडार (Personal-Store) कहा जाता है।
इसमे से कुछ सामान सामान्य कार्य के लिए आवश्यक है और कुछ सामान आपात स्थितियों ने काम आता है। यह सामान गार्ड और लोको पायलट दोनों की जरूरत के हिसाब से कुछ-कुछ एक जैसा और कुछ अलग-अलग भी होता है। जिसे रेलवे द्वारा आबंटित किया जाता है।
इसी समान को सुरक्षित और सुव्यवस्थित तरीके से रखने एवं एक जगह से दूसरी जगह लाने-ले जाने के लिए गार्ड और लोको पायलट, इस्पात के एक मजबूत बॉक्स में ताला लगा कर रखते हैं, जिससे ये प्लेटफ़ॉर्म और यार्डों में हर परिस्थिति में सुरक्षित पड़े रहें। ऐसे बक्सों को लाइन-बॉक्स कहते हैं।
ऐसे सामान्यतः काले रंग के बड़े आकार के लाइन-बॉक्सों को आमतौर पर बड़े-बड़े गुड्स यार्डों एवं जंक्शन स्टेशनों पर, जहाँ ट्रैन क्रू की अदला-बदली होती है, प्लेटफ़ॉर्म के दोनों सिरों पर, जहाँ लोकोमोटिव और गार्ड का ब्रेक-वैन आ के रुकता है, क्रू लॉबियों में बहुतायत में रखा हुआ देखा जा सकता है।
इन लाइन-बक्सों को गार्ड ब्रेक-वैन और लोकोमोटिव की ड्राइविंग कैब में जरूरतानुसार चढ़ाने और उतारने के लिए ऐसे बड़े-बड़े स्टेशनों पर बॉक्स-बॉय नियुक्त किये जाते हैं, जो ट्रैन के प्लेटफॉर्म पर पहुंचने के बाद पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आने वाले गार्ड और लोको पायलट का लाइन-बॉक्स उतरते हैं, और फिर क्रू लॉबी या स्टेशन मास्टर से मिली जानकारी के अनुसार जाने वाले गार्ड और लोको पायलट का बक्सा चढ़ा भी देते हैं।
इनकी पहचान के लिए गार्ड और लोको पायलट इन बक्सों पर सफेद रंग से बड़े अक्षरों में उनका पूरा नाम, पदनाम और मुख्यालय का नाम लिखते हैं और साथ-साथ पहचान चिन्ह भी अंकित करके रखते हैं, जिससे बॉक्स-बॉय को सही ट्रैन में सही क्रू का लाइन-बॉक्स चढ़ाने में मदद मिल सके और ट्रेन इस कारण से विलंबित न हो।
कुछ साझा लाइन बॉक्स भी होते हैं, जिन्हें क्रू लॉबी द्वारा आपात स्थिति में, जब किसी क्रू का लाइन बॉक्स किसी और स्टेशन पर छूटने या अन्य किसी वजह से ठीक समय पर नहीं पहुंच पाने के कारण उपलब्ध नहीं है, उपयोग में लाया जाता है।
अब बात करते हैं कि इन बक्सों में या जैसा कि सवाल है कि “गार्ड के बॉक्स में क्या होता है?” तो रेलवे के सामान्य एवं सहायक नियमों के अनुसार गार्ड और लोको पायलट के लिए निर्धारित किया गया व्यक्तिगत-सामान ड्यूटी करते समय (यानी कि ट्रेन संचालन के दौरान) उनके साथ रहना ही चाहिए, और यही समान इन बक्सों में रखा जाता है, जो कि गार्ड के लिए निम्नानुसार है →
1. अद्यतन (updated) दुर्घटना नियमावली पुस्तक या कम से कम इस पुस्तक का उसकी ड्यूटी से संबंधित भाग।
2. अद्यतन सामान्य एवं सहायक नियम पुस्तक या कम से कम इस पुस्तक का उसकी ड्यूटी से सम्बंधित भाग।ये दोनों पुस्तकें अब डिजिटल फॉर्म (जैसे कि मोबाइल में पी डी एफ फ़ाइल इत्यादि) में रखने की इजाजत अभी हाल ही में रेलवे बोर्ड की तरफ से दे दी गई है। मांगे जाने पर अपने वरिष्ठ अधिकारी को पेश किया जाना अनिवार्य है। उसकी ड्यूटी से सम्बंधित भाग के अंतर्गत उस पुस्तक की जगह गार्ड हस्त पुस्तिका (Guard’s hand book) भी हो सकती है।
3. गार्ड की मेमो बुक।
4. 10 डेटोनेटर (आपातकालीन पटाखा सिग्नल)
5. दो लाल एवं एक हरी झंडी, डंडे के साथ लगाए हुए।
6. पैड लॉक (ताला) एवं चाभी जैसा कि निर्धारित किया गया हो।
7. एम यू पाइप के लिए रबर वॉशर-3
8. पार्सल लदान पुस्तिका।
9. एल ई डी प्रकार की टेल लैंप और टेल बोर्ड, क्रमशः रात और दिन में आन्तिम वाहन के पीछे लगाने के लिए।
10. नियोज्य (detachable) एयर प्रेशर गेज, एडाप्टर के साथ (सिर्फ गुड्स गार्ड के लिए)
11. एक फ्यूजी सिग्नल ( जहाँ निर्धारित किया गया हो)
12. एल ई डी प्रकार की तीन रोशनियों (हरा, लाल एवं सफेद) वाली हाथ बत्ती (टॉर्च)
यात्री गाड़ी के ट्रैन गार्ड के (बॉक्स में) पास निम्न अतिरिक्त समान भी होंगा →
13. कैरिज चाभी
14. शिकायत पुस्तिका
15. सेल के साथ एक टॉर्च
16. एक हल्का प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स
17. एयर ब्रेक कोच की ए सी पी (अलार्म चैन पुलिंग) को रिसेट करने की चाभी।
इन सब सामानों के साथ ही जरूरत का अन्य व्यक्तिगत समान भी इन बक्सों में रखा जा सकता है, जैसे कुछ लोग आवश्यकतानुसार चादर, तौलिया, नेपकिन, राइटिंग-पैड, आवश्यक स्टेशनरी, सीट कवर इत्यादि भी अपनी सुविधा के लिये इसमें रख देते हैं।