आज के समय में किन्नरों को लोग समाज का हिस्सा मानने से कतराते हैं क्योंकि वह सभी से बहुत अलग होते हैं. अब अगर बात की जाए राजा-महाराजाओं के जमाने की, तो उस वक्त किन्नरों को महलों में रखा जाता था. इसके पीछे भी एक बहुत ही दिलचस्प कारण था. अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्या था जो राजा किन्नरों को महल में रखते थे, तो अब ज्यादा दिमाग ना लगाइए हम बताते है कि ऐसा क्यों था. दरअसल किन्नरों को महल में रखने का कार्य मुगल राज्य में होता था. मुगलों के राज्य में किन्नरों को महल के अंदर रखा जाता था.
मुग़ल शासक अपनी पत्नियों पर नहीं करते थे विश्वास
भारत के इतिहास में कई मुगल शासक हुए हैं और सबसे ख़ास मुग़ल शासक की बात की जाए तो वह अकबर को माना जाता है. अकबर ने भी अपने राज्य में किन्नरों को जगह दी थीं वह उन्हें महल में रखते थे लेकिन इसके पीछे भी एक कारण था. कहा जाता है कि मुग़ल शासक कभी भी अपनी पत्नियों पर विश्वास नहीं करते थे, उन्हें लगता था कि अगर कोई गैर मर्द महल में आया तो उनकी पत्नी उससे संबंध बना लेंगी. राजा अपने इस डर को दूर रखने के लिए पत्नियों के साथ किन्नरों को रखते थे जो राजा को उनकी पत्नी के पल-पल की खबर देते रहते थे.
पुराने
समय मे शासकों की कई रानिया या बेगमे हुआ करती थी। अन्य रानियाँ वासना से
अतृप्त होकर कही पुरूष गार्ड के साथ अवैध संम्बंध न बना ले इसलिए हिजड़े रखे
जाते थे।ये हिजड़े शारिरिक रूप से काफी शक्तिशाली भी हुआ करते थे जो रानी
की सुरक्षा के भी काम आते थे.
अकबर ने अपनी बेटियों को जिंदगी भर रखा था कुंवारा
किन्नरों को राजा के दरबार से लेकर महल तक का ख़ास अंग माना जाता था. कहते है कि अकबर ने अपनी बेटियों को जिंदगी भर कुंवारा रखा था और वह केवल इस वजह से कि लड़की की शादी के लिए उन्हें झुकना पड़ता जो उन्हें पसंद नहीं था. अपनी बेटियों के लिए भी उस समय राजा महल में किन्नर रखते थे ताकि उनकी बेटियां किसी मर्द को देखकर उनकी तरफ आकर्षित न हो.
अनेक देशों और सभ्यताओं में हिजड़ों का रहा है महत्वपूर्ण स्थान
मुग़लकालीन शासकों के साथ ही नहीं प्राचीन काल से लेकर पूर्वाधुनिक काल तक अनेक देशों और सभ्यताओं में हिजड़ों का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। प्राचीन ग्रीक, रोमन और बाइजेंटाइन राजघरानों में सेवा टहल के लिए हिजड़ों को प्राथमिकता दी जाती थी। चीन और अन्यत्र देशों के राजघरानों के वे कर्मचारी, जिनका महिलाओं के बीच आना जाना होता था, हिजड़े बना दिये जाते थे ताकि न ही वे और न ही महिलाएं एक दूसरे से शारीरिक सम्बन्ध बना सकें। सुप्रसिद्ध अंग्रेज़ी फ़िल्म "द लास्ट एम्परर" में इस से सम्बंधित कुछ हृदय विदारक दृश्य देखे जा सकते हैं।
चीनी किन्नर
चीन में तो 3000 सालों से लेकर पिछली शताब्दि के आरम्भ के वर्षों तक राजाधिराज के महल के सारे सेवक हिजड़े हुआ करते थे। महलों में हिजड़ों की नियुक्ति कोरिया, वियेतनाम, थाई देश आदि में भी प्रचलित थी।
राज-सिँहासन की महत्वाकांक्षा नहीं रखते थे
हिजड़े प्रमुख पदों पर भी रखे जाते थे। उन्हें इस विचार से सामान्य पुरुषों की तुलना में अधिक विश्वसनीय माना जाता था कि वे संतान–प्राप्ति में असमर्थ होने के कारण राज-सिँहासन की महत्वाकांक्षा नहीं रख सकते थे। इसके रहते उन पर दूसरों से अधिक भरोसा किया जा सकता था।
वैसे भी किन्नर सेवक राजाओं-रानियों के निकट रहने के कारण प्रभावशाली हो जाते थे। मूलतः यह लालच ही थी जिसके रहते ग़रीब घरानों के पुरुष किन्नर बनने को ततपर हो जाते थे।
चीनी महारानी को सवारी देते हुए किन्नर (1908 के पहले का चित्र, गूगल के सौजन्य से)
इसके पहले यूरोप की कुछ पगान संस्कृतियों में किन्नर देवी Cybele की पूजा-अर्चना की जाती थी। क्रिस्टियन धर्म आने के बाद कुछ पादरी स्वयँ को हिजड़ा बना लेते थे ताकि यौनाकर्षण से स्वयँ को बचा सकें। किन्नर सेनानायक भी हुए हैं जिनमें प्रमुख हैं मोरक्को के कमांडर जुदार पाशा और चीन के एडमिरल जेंग हे।