अंतराष्ट्रीय बाज़ार में आपके उत्पाद को आसानी से बेचने के तरीको में बार कोड ने अपनी महत्ति भूमिका निभाई है। जब से बाज़ार में ग्लोबलाइज़ेशन हुआ है, तब से विश्व के किसी भी हिस्से में देश व विदेश के उत्पाद बाज़ार में सरलता से उपलब्ध हो जाते हैं।
बार कोड लेना अनिवार्य नहीं है किंतु आपके उत्पाद को अंतरष्ट्रिय बाज़ार उपलब्ध करवाने वाली सेवा है, डिपर्टमेंटल स्टोर, Dmart, रिलायंस फ़्रेश, मेडिकल, शोपर्स स्टाप, आर्मी व पैरा मिलिटेरी केनटीन इत्यादि पर बिना बार कोड के उत्पाद शामिल नहीं किए जाते हैं।
नो लॉस नो प्रॉफ़िट पर कार्य करती है GS1
बता दे की बार कोड उपलब्ध करवाने वाली GS1 संस्था है, जो नो लॉस नो प्रॉफ़िट पर कार्य करती है। बार कोड कम से कम 100 की संख्या में आवंटित किए जाते हैं। जिसके लिए रजिस्ट्रेशन फ़ीस, सिक्योरिटी राशि एवं बार कोड लाइसेंस फ़ीस प्रतिवर्ष के हिसाब से निरधारित है। इसकी फ़ीस कम्पनी के उत्पाद के टर्नओवर के आधार पर भी बढ़ सकती है।
कितने डिजिट का होता है कोड?
यह 13 डिजिट का होता है, जिसमें देश का नम्बर, निर्माता कम्पनी का नाम, पता व मार्केटिंग कम्पनी के डिटेल्ज़, अन्य जानकारी जैसे fssai, MRP, कम्पनी के ज़िम्मेदार नागरिक का नाम व नम्बर इत्यादि की विस्तृत जानकारी का डेटा उपलब्ध होता है। यह उत्पाद के पीछे की तरफ़ सफ़ेद बैकग्राउंड में काली खड़ी रेखाओं में प्रदर्श होता है। किसी उत्पाद की इक्स्पॉर्ट या इंपोर्ट की ख़रीद व बिक्री के लिए बार कोड लेना ज़रूरी हो जाता है।
मिथ्या, धोखाधड़ी एवं ट्रेडमार्क के आपराधिक मुक़दमे किये जा सकते है दर्ज
बिना अनुमति के अथवा फ़ेक बार कोड जैसा प्रदर्श करना अथवा बार कोड जारी करवाने के पश्चात उसे रेनूअल नहीं करवाने पर मिथ्या, धोखाधड़ी एवं ट्रेडमार्क के आपराधिक मुक़दमे दर्ज किए जाते हैं। भारत सरकार बार कोड लेने वाले उद्यमी को होने वाले खर्चे का रीएमबर्समेंट भी करती है, जिससे नए उद्यमी पर भार कम किया जा सके व उत्पाद भारत के अलावा विदेशों में भी बेचा जा सके।
मल्टीफ़ंक्शन के तौर पर करती है काम
QR कोड एक ऐसी तकनीकी है जो मल्टीफ़ंक्शन के तौर पे काम आने लगी है, जैसे पैसे के लेनदेन के लिए मोबाइल से किए जाने वाला स्क़ेनर, कोर्ट के आदेश पर, करोना बैकसीन प्रमाण पत्र पर, आधार कार्ड पर, दवाइयों की स्ट्रेप पर या छोटे उत्पाद पर जिसपर प्रिंट करने से उत्पाद की विस्तृत जानकारी मुहैया हो सके।