सच्चे मुसलमान की खूबसूरत ईद,
प्रगतिशील इस्लाम का बेहतरीन उदाहरण
आगरा/उत्तर प्रदेश।। बकरीद पर बकरे की बलि देने की परंपरा काफी पुरानी है। मगर, आगरा में एक परिवार ऐसा भी है, जो ऐसा नहीं करता। बीते 5 साल से यह परिवार कुर्बानी की जगह बकरे की फोटो लगा केक काटकर बकरीद मनाता है। जीव हत्या का विरोध करने के कारण जैन समाज के लोग भी इस परिवार का सम्मान कर चुके हैं।
आगरा के शाहगंज आजमपाड़ा निवासी गुलचमन शेरवानी ने 6 साल पहले कुर्बानी के लिए एक बकरे का बच्चा पाला था। 15 अगस्त को जन्मा उनका 5 साल का बेटा गुलवतन शेरवानी बकरे के बच्चे से घुल-मिल गया था। जब बकरे की कुर्बानी का नंबर आया, तो बच्चे ने खाना-पीना छोड़कर बकरे के बच्चे की जिंदगी के लिए दुआ मांगनी शुरू कर दी।
बकरे की कीमत के पैसे निकाल कर गरीब लड़की की करवा दी शादी
इसके बाद पिता गुलचमन शेरवानी ने बकरे की शक्ल का केक बनवाया और उसे काट कर कुर्बानी की रस्म निभाई। इसके बाद बकरे की कीमत के पैसे निकाल कर उन्होंने एक गरीब लड़की की शादी करवा दी। तब से लगातार 5 साल से परिवार कुर्बानी में केक काटता है। बकरे की कीमत का पैसा दान कर देता है।
जैन समाज के लोगों ने किया सम्मानित
रविवार को बकरीद पर भी उन्होंने ऐसे ही किया है। इस दौरान जैन समाज के लोगों ने जीव हत्या न करने के लिए उन्हें सम्मानित भी किया है। गुलचमन का कहना है कि इस तरह वह समाज को जीव हत्या न करने का संदेश देते हैं। उन्होंने 20 साल से मांस तो क्या अन्न भी नहीं खाया है। सिर्फ फलाहार पर जीवन जीते हैं।
रोमांचक है गुलचमन की कहानी
गुलचमन शेरवानी की कहानी बहुत ही रोमांचक है। बतौर गुलचमन बचपन में अलीगढ़ में वंदे मातरम गाने पर पिता ने घर से निकाल दिया था। उसके बाद वह मजदूरी कर जीवन जी रहे थे। इस पर बुआ उन्हें आगरा ले आई। उन्होंने वंदेमातरम न बोलने के फतवे को लेकर दिल्ली जामा मस्जिद समेत 10 इमामों के खिलाफ मुकदमे की मांग की। इसके लिए दीवानी चौराहे पर भारत माता की मूर्ति पर आमरण अनशन शुरू किया। आश्वासन मिला पर मुकदमा नहीं हुआ।
कब्रिस्तान में दफन न किए जाने का फतवा है जारी
उन्होंने मुकदमा दर्ज न होने तक अन्न न खाने की बात कही थी, जो आज भी कायम है। बाद में बुआ की बेटी के साथ निकाह हुआ। निकाह के दौरान विदेशी धमकियां मिली और सुरक्षा के बीच शादी हुई। साली को बेटी मानते थे। जहां उसका निकाह किया, वहां उनके चक्कर में साली पर पर अत्याचार हुए। मुकदमे दर्ज हुए। इस्लाम से भी उन्हें निकाला जा चुका है। उन्हें कब्रिस्तान में दफन न किए जाने का फतवा जारी है।
परिवार कमर के ऊपर पहनता है तिरंगा
गुलचमन के परिवार का तिरंगा प्रेम जग जाहिर है। परिवार कमर के ऊपर तिरंगा पहनता है। घर भी तिरंगा है और उसका नाम तिरंगा मंजिल है। बेटा गुलवतन 15 अगस्त को पैदा हुआ है और बेटी गुलनाज 26 जनवरी को पैदा हुई है।