घटना के सात माह बीतने के बाद भी आर्थिक सहायता और सरकारी योजनाओ की बाट दिव्यांग परिवार
सात माह पहले दिव्यांग परिवार का छीना था आसरा
सारी कारवाई के बाद भी आज दिन तक नही मिली सरकारी सहायता
सामाजिक कार्यकर्ता नारायण सिंगाड ने दी जानकारी
कुशलगढ़/बांसवाड़ा/राजस्थान।। किसी भी प्राकृतिक आपदा या आसमयिक घटना के बाद पीड़ितों द्वारा सरकारी राहत मुहैया करवाने के लिए किये गए अपने आवेदन के बाद सम्बंधित विभाग द्वारा पीड़ित को नियमानुसार राहत पहुँचाने की अवधि 7 दिनों से लेकर 1 माह तक निर्धारित है। वह भी जब, जब आप नहा-धोकर उस सरकारी विभाग के पीछे लगे रहो तब, लेकिन जब पीड़ित आवेदक का परिवार ही दिव्यांग हो तो उनके लिए सरकारी विभाग से राहत पहुँचाने हेतु चक्कर लगाएगा कौन? उनको सहायता राशि उपलब्ध करवाने के लिए निकम्मे सरकारी कर्मचारियों को रिश्वत और कमीशन का पैसा देगा कौन? ऐसे में आप खुद समझ सकते है की पीड़ित के हाथ सिर्फ लगेगा तो कभी ना ख़त्म होने वाला इंतज़ार, की कभी ना कभी सरकार उसकी सुनवाई कर उसे कोई सरकारी राहत पहुंचाएगी। लेकिन हकीकत में होता बिलकुल इसके विपरीत है।
सरकारी सहायता के लिए 7 महीने से बैठे है इंतज़ार में
सरकारी सहायता की आस में बैठे एक ऐसे ही पीड़ित दिव्यांग परिवार की कभी ना खत्म होने वाले इंतज़ार की कहानी राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के कुशलगढ उपखंड की ग्राम पंचायत मोहकमपुरा के गांव खानापाडा मे देखने को मिली है।
बिते करीब सात माह पूर्व केलुपोश मकान मे अज्ञात कारणो से आग लगने की घटना मे दिव्यांग दोनो पति-पत्नि के परिवार को सहायतार्थ सारी सरकारी कारवाई होने के बावजूद भी आज दिन तक किसी प्रकार की सरकारी सहायता राशि नही मिल पाई है, जिसके चलते दिव्यांग परिवार के सामने अब रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
सामाजिक कार्यकर्ता ने दी मामले की जानकारी
मोहकमपुरा के सामाजिक कार्यकर्ता नारायण सिंगाड की सूचना पर खानापाडा गांव मे जाकर गरीब दिव्यांग परिवार की टोह ली तो मौके पर दिव्यांग बदु पिता कालिया भील ने बताया कि वे स्वयं दोनो पैरो से दिव्यांग है और उनकी पत्नि थावरी भी दोनो पैर से दिव्यांग होकर अपनी रोजी रोटी केलुपोश छोटे से छपरी वाले मकान मे किराणा की दुकान चलाकर बमुश्किल अपना जीवनयापन करते है।
क्या थी घटना?
बता दे कि घटना 23 दिसंबर 2021 की है, जब दोनो पति-पत्नि अपना मकान बंद कर एक सामाजिक कार्यक्रम नोतरे मे गये थे, इसी दौरान रात को आसपास के ग्रामीणो से उन्हें सूचना मिली की तुम्हारे मकान मे आग लग गई है। जब तक दोनो दिव्यांग अपने मकान में वापस आए तब तक सारा मकान और किराणा दुकान मे रखा सारा सामान जिसमे कपास जिसकी की कीमत करीब डेढ लाख रू और घर में बड़ी मेहनत से जमा की नकदी के 27000 रूपये जल कर राख हो चुके थे। जिससे दोनो दिव्यांग पति-पत्नि घर से बेघर हो गये।
जानकारी अनुसार घटना के अगली सुबह पिडित पति-पत्नी ने पाटन थाने मे घटना की लिखित रिपोर्ट दी जिस पर तात्कालिन पाटन थाना द्वितीय अधिकारी बगदीराम और मोहकमपुरा पटवारी मौके पर पहुंचे तथा उनके द्धारा मौका पर्चा बनाया गया। वही घटना से आहत पिडित परिवार ने सरकारी सहायता हेतु अपना एक आवेदन मय दस्तावेज सम्बंधित सरकारी कार्यालय में जमा कराया था, जिस पर आज दिन तक भी पीड़ितों को किसी प्रकार की कोई सरकारी आर्थिक सहायता नही मिली पाई है।
ना ही राशन कार्ड पर सरकारी गेंहु ना ही पीएम आवास योजना का लाभ मिला
पिडित बदु ने बताया कि आज दिन तक उन्हें पीएम आवास योजना का लाभ भी नही मिल पाया है और ना ही राशन कार्ड पर सरकारी गेंहु मिलता है। पिडित का कहना है कि घटना के बाद सरकारी सहायता नही मिलने के बाद उन्हें कर्ज लेकर टीन शेड डालकर अपने रहने का बंदोबस्त करना पड़ा ओर बमुश्किल उन्होंने अपनी वापस छोटी सी किराणा की दूकान को शुरू किया।
पीड़ितों का कहना है कि दोनो को विकलांग पेंशन पेंशन जरुर मिलती है जिससे फिलहाल उनका जीवन यापन चलता है। मौके पर देखने पर पता चला की झोपडी मे बिजली कनेक्शन नही है। ऐसे मे होने वाली किसी असामयिक प्राकृतिक घटना होने पर खानापाडा का यह दिव्यांग परिवार आज भी सरकारी सुविधाओ का मोहताज है। इधर सामाजिक कार्यकर्ता नारायण सिंगाड ने त्वरित सहायता राशि नियमानुसार देने और सरकारी सभी योजनाओ का लाभ दिलाने की प्रशासन से मांग की है।