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इंदिरा गांधी और उनके पति फ़िरोज़ गाँधी के संबंध कैसे थे?

Indira Gandhi & Firoz Gandhi Marriage
  16 साल की उम्र में इंदिरा गांधी ने फिरोज़ का पहला प्रपोज़ल ठुकरा दिया था। देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के अपने पति से रिश्ते अच्छे नहीं थे। इंदिरा ने गुजराती पारसी फिरोज गांधी से शादी की थी, लेकिन उसके बाद जो हालात बने, उन्होंने दोनों के रिश्ते में खटास पैदा कर दी।
  इंदिरा इलाहाबाद से ही फिरोज को जानती थीं, लेकिन ब्रिटेन में रहने के दौरान दोनों की अकसर मुलाकात होती रही थी। 12 सितंबर, 1912 को फिरोज का जन्म हुआ था। फिरोज ने अपनी शुरूआती पढाई लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पूरी की थी।
   आपको बता दे की 16 साल की उम्र में ही इंदिरा फिरोज का पहला प्रपोजल ठुकरा चुकी थीं। लेकिन इसके तीन साल बाद 1936 में मां की मौत ने उन्हें बहुत उदास कर दिया था। तब उन्हें फिरोज के कंधों का सहारा मिला और दोनों में करीबी बढ़ी।
Indira Gandhi & Firoz Gandhi Marriage
   देहरादून जेल में इंदिरा ने अपने पिता (नेहरू) को फिरोज से शादी करने के अपने फैसले के बारे में बिना भावुक हुए बताया। नेहरू ने कोई तर्क करना ठीक नहीं समझा। उन्होंने काफी संयम बरतते हुए इंदिरा को याद दिलाया कि डॉक्टरों ने उन्हें इतने कमजोर स्वास्थ्य के मद्देनजर प्रेग्नेंसी के खिलाफ सावधान किया था।
   इंदिरा मानी नहीं. उन्होंने पिता से कहा कि वह चकाचौंध से दूर तनावमुक्त जिंदगी चाहती हैं। शादी करना, बच्चों को पालना चाहती हैं और ऐसा घर चाहती हैं जिसमें पति हो, संगीत हो, दोस्त और किताबें हों।
   नेहरू यह सुनकर हैरान रह गए। अपनी डायरी में नेहरू ने लिखा है, ‘वह इतनी अपरिपक्व थी- या शायद मुझे ऐसा लगता है- इसीलिए वह चीजों को सतही तौर पर देख पाती है। उसे उनकी गहराई में जाना चाहिए, इसमें वक्त लगेगा। मेरा ख्याल है कि उस पर दबाव ज्यादा नहीं है, वरना झटके लग सकते हैं।'
Indira Gandhi & Firoz Gandhi
   माना जाता है कि नेहरू इंदिरा और फिरोज से बहुत खुश नहीं थे, लेकिन उन्होंने अपनी निराशा छिपा ली थी। इलाहाबाद में 1942 में दोनों ने शादी कर ली। 1944 में इंदिरा को पहली संतान हुई, नाम रखा गया राजीव। लेकिन शादी के बाद जब इंदिरा राजनीति में सक्रिय होने लगीं और पिता की सहायक की भूमिका में आ गईं तो यह रिश्ता कमजोर पड़ने लगा।
Indira Gandhi Family
   इंदिरा की बायोग्राफी में पुपुल जयकर लिखती हैं, ‘पिता की जरूरतों के मद्देनजर आनंद भवन, इलाहाबाद और पति को छोड़ पिता के पास जाकर रहने का फैसला बड़ा फैसला था।'
   इस बीच फिरोज ने अखबार ‘नेशनल हेरल्ड’ का कार्यभार संभाल लिया। इस अखबार की स्थापना 1937 में नेहरू ने की थी। पुपुल ने लिखा है कि इंदिरा से अलग होकर फिरोज लखनऊ में एक मशहूर-जमींदार मुस्लिम परिवार की एक महिला के प्रेम में पड़ गए थे। इंदिरा तक जब यह बात पहुंची, तब वो दोबारा गर्भवती थीं और दिसंबर 1946 के अंत में डिलीवरी होने वाली थी।
Indira Gandhi & Firoz Gandhi Marriage
   पति-पत्नी के संबंध और बिगड़ते गए। दोनों राजनीति में आगे बढ़े, लेकिन निजी और राजनैतिक मतभेद भी बढ़े। सितंबर 1958 में इंदिरा पिता के साथ भूटान दौरे पर गईं। इंदिरा ने वर्षों बाद घर और राजनीति के तनाव से निजात पाई थी। लेकिन सफर के बीच में ही उन्हें संदेश मिला कि फिरोज को दिल का दौरा पड़ा है। जब तक इंदिरा लौटीं, फिरोज खतरे से बाहर हो गए। इसके बाद दोनों में समझौता हो गया। पुरानी यादें सजीव हो उठीं। दोनों बेटों के साथ वे एक महीने की छुट्टी पर श्रीनगर चले गए। इंदिरा ने पति की प्यार से सेवा की, लेकिन दिल्ली आते ही यह करीबी फिर दूरी में तब्दील हो गई।
   कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर इंदिरा का नाम प्रस्तावित किया गया। फिरोज को अपने शादी के रिश्ते पर यह आखिरी प्रहार लगा। वह अपने घर में सिमट गए और प्रधानमंत्री के घर आना-जाना बंद कर दिया। 2 फरवरी को 41 की उम्र में इंदिरा कांग्रेस अध्यक्ष चुन ली गईं।
Jawahar Lal Nehru & Indira Gandhi
   उधर फिरोज अपने 48वें जन्मदिन से पहले ही चल बसे। इंदिरा भावशून्य हो गईं। दोनों के कई साल लड़ते-झगड़ते बीते थे, लेकिन इसके बावजूद मीठी यादें शेष थीं, जिन्होंने इंदिरा को उदास कर दिया। उनकी मां की मौत के समय फिरोज ने उन्हें जो सहारा दिया, उसकी वह हमेशा एहसानमंद रहीं।
   डोरोथी नॉरमन को उन्होंने 24 सितंबर को लिखा, ‘क्या यह अजीब बात नहीं है कि जब आप भरे-पूरे होते हैं तो हवा की तरह हल्का महसूस करते हैं और जब खाली होते हैं तो हताशा घेर लेती है।’
  अपने दामाद के साथ नेहरू के कभी अच्छे संबंध नहीं रहे थे। फिरोज को श्रद्धांजलि देने आए लोगों की भीड़ देखकर वह हैरान थे।

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