गांधी जी को गरीब दिखाने के चक्कर में उस दौर में लाखों रुपये खर्च होते थे. क्या यह बात सही है या गलत? गाँधी जी, मतलब मोहनदास गाँधी? वो और गरीब? किस हिसाब से और किसने दिखा दिया गाँधी को गरीब? प्रभु, गाँधी ना तो गरीब परिवार से थे, ना ही वे अफ्रीका में गरीब रहे, ना वे भारत आने के बाद कभी गरीब थे।
पहले गाँधी ऐसे रहते थे और आराम से सारी जिंदगी ऐसे ही रह सकते थे। ये दाईं तरफ कोने में सूट में बैठे हुए मोहनदास करमचंद गाँधी ही है, जिन्हे तत्कालीन अफ्रीकी लोगों की पीड़ा तक का एहसास तक नहीं हुआ था।
फिर वो इंसान अँग्रेजों के सभ्य होने के भ्रम से निकले और उन्होंने भारत को जानने की कोशिश की तो वह ऐसे हो गए। वे आश्रम चलाते थे, ठीक उसी तरह जैसे कोई भी धर्मार्थ ट्रस्ट आदि चलाती हैं। उनके आश्रम में संग्रह नहीं होता था लेकिन कमी भी नहीं रहती थी।
यदि सिर्फ त्याग करने से ही कोई गरीब कहलाये तो सारे बौद्ध भिक्षु और जैन संत भी गरीब ही कहलाएंगे। श्री राम जब सुविधाओं का त्याग करके जंगल गए थे तो क्या गरीब हो गए थे या त्यागी? आपको बताते चले की तीन जोड़ी धोती में रहना गांधीजी ने खुद चुना था। इसे गरीब होना नहीं कहते। उनकी प्रेरणा से उस वक़्त आधे भारत ने त्याग और अपरिग्रह का पाठ सीखा था, उसे वास्तव में "वस्त्रत्याग" कहते हैं।
गाँधीजी मितव्ययी और त्यागी थे इसलिए उन्होंने अपने वस्त्र और हर तरह के भोग का त्याग करने का रास्ता चुना था।