अगर हम कानून की बात करें तो पुलिस द्वारा वाहन से चाबी निकालना गैरकानूनी है। अगर कोई पुलिसकर्मी ऐसा करता है तो वह पुलिस विभाग और मोटर वाहन एक्ट द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर रहा है।
किसी भी पुलिसकर्मी को आपके वाहन की चाबी निकालने का अधिकार नहीं है। पुलिस विभाग में दायर सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत मिली जानकारी के अनुसार कोई भी पुलिसकर्मी चाहे वह किसी भी रैंक का हो, किसी भी दोपहिया, तिपहिया या चारपहिया वाहन की चाबी नहीं निकल सकता है।
नए मोटर वाहन एक्ट 2019 में ये निर्देश दिया गया है कि सिर्फ सहायक सब-इंस्पेक्टर (एएसआई) या उससे ऊपर के रैंक के ट्रैफिक पुलिस अधिकारी ही ट्रैफिक उल्लंघन के लिए चालान या नोटिस देने के लिए अधिकृत हैं। एएसआई (वन-स्टार), सब-इंस्पेक्टर (टू-स्टार) और इंस्पेक्टर (थ्री-स्टार) रैंक के अधिकारी केवल स्पॉट जुर्माना जमा करने के लिए अधिकृत हैं।
अगर ट्रैफिक पुलिस वाले चेकिंग के नाम पर आपसे बदसलूकी करते हैं या गाली गाली-गलौज या मारपीट करते हैं तो आप इसके खिलाफ नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत कर सकते हैं या 100 नंबर पर डायल कर पुलिस हेल्पलाइन में इसकी शिकायत कर सकते हैं।
यदि इसपर भी कार्रवाई नहीं हो तो मामले को हाईकोर्ट में ले जा सकते हैं। पुलिस वाले के खिलाफ नागरिक और मानवाधिकार हनन का केस डालिये। इससे उक्त पुलिसकर्मी ससपेंड हो सकता है और उसे बचने वाले पुलिस अधिकारीयों पर भी कार्रवाई हो सकती है।
हमेशा ध्यान रखें की मोटर वाहन एक्ट पुलिसकर्मी को गुंडा गर्दी करने का अधिकार नहीं देता। वो सिर्फ चलन काट सकते हैं और गाड़ी जब्त कर सकते हैं। पुलिसकर्मी सिर्फ हाथ से इशारा कर गाड़ी रुकवा सकते हैं। अगर कोई वाहन नहीं रोकता है तो उसके खिलाफ उचित कार्रवाई करने का अधिकार है। पुलिसकर्मी को प्रदूषण स्तर का सर्टिफिकेट चेक करने का अधिकार है।
गाडी की चाभी निकालना अशोभनीय और गैरकानूनी आचरण है। वाहन चालक अपने चालान की चिन्ता मे इस ओर ध्यान ही नही देते फलतः चालान तो बचता नही लेकिन इस गतिविधि को लेकर ट्रैफिक पुलिस का हौसला बढता जाता है।
ऐसी स्थिति मे अपना वाहन साइड मे पार्क करने के बाद सबसे पहले अपने मोबाइल की वीडियो रिकार्डिंग ऑन करना चाहिए। अपने साथ कोई हो तो और अच्छा है गवाह के रूप मे काम आयेगा। वार्तालाप मे पुलिस वाले से चाभी निकालने की बात की पुष्टि करनी चाहिए और उसके बैज डिटेल्स भी रिकार्ड करके अपना मोबाइल सहेजकर रख लेना चाहिए।
इसके बाद चालान का जो भी आरोप सही या गलत लगाया जाये रसीद लेकर अदा कर देना चाहिए। फिर दो प्रतियो मे शिकायत पत्र तैयार करके एक प्रति एसपी आफिस की आवक शाखा मे दे देना चाहिए और दूसरी प्रति पर रसीद ले लेना चाहिए। जान्च बैठने पर गवाही देना और दिलवाना चाहिए समझौता नही करना चाहिए। बेहतर होगा की रसीद युक्त शिकायत पत्र का स्केन मय वीडियो क्लिपिंग एसपी या एसपी आफिस के ईमेल पर भी भेज दे। ईमेल आईडी इन्टरनेट पर गूगल सर्च मे मिल जायेगी।
पुलिस वाला आगे से चाभी निकालना भूल जायेगा और बाकी आस-पास वाले भी सचेत हो जायेगे। आप अगर खुद ही दब्बू और हेराफेरी के साथ जीवन गुजारने वाले आदमी है तो कृपया किसी लफडे मे न पडे और चाभी निकलवाते हुये ही जीवन गुजार ले, थोड़ा सा तो जीवन है।
पुलिस खास कर ट्रैफिक पुलिस से भिड़ना आसान काम नही है। आप कितना भी पेरफेक्ट कागज़ दिखा दो, कोई न कोई ऐसा नियम होगा जिसपे ये चालान कर देते है। वैसे नियमनुसार पुलिस चाभी नही निकाल सकती।
इसलिए अगर ट्रैफिक पुलिस चाभी निकाल ले तो चुप-चाप रिक्वेस्ट कर के चाभी लो औऱ नियमानुसार जो चालान हो वो कटा कर निकलते बनो।
पुलिस से जीतना टेढ़ी खीर है। अगर आपको ट्रैफिक रूल्स अच्छे से याद है और आपको लगता है कोई गलती आपने नही की है,तो बहस बाज़ी कर सकते हो पर मैं इसकी सलाह बिल्कुल नही दूँगा।