इराक का कब्रिस्तान 'वादी-अल-सलाम' दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान है। नजफ में स्थित ये कब्रिस्तान पीस वैली के नाम से फेमस है। बढ़ते आतंकी हमलों के कारण हालात ऐसे हो गए थे कि यहां रोजाना करीब 200 लोगों को दफनाया जा रहा था। इराकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस कब्रिस्तान में अभी तक 50 लाख से अधिक शिया मुस्लिमों को दफन किया जा चुका है।
आईएस का आतंक बढ़ने के बाद यहां रोज होने वाली मौतों की संख्या दोगुनी हो गई थी। ये इतना बड़ा है कि हर साल लाखों लोग सिर्फ इस कब्रिस्तान को देखने ही आते हैं। इस कब्रिस्तान में मकबरा भी बना है। आईएसआईएस से मुकाबला होने से पहले लड़ाके यहां जरूर आते थे। ये लोग मन्नत मांगते थे कि अगर जंग में उनकी मौत हो जाए तो उन्हें इसी जगह दफनाया जाए।
खास बात ये है कि ये कब्रिस्तान केवल इराक के लोगों के लिए ही नहीं है दुनियाभर के शिया अपनों को दफनाने के लिए यही जगह पसंद करते हैं। इन कब्रों को इंटों, प्लास्टर और कैलिग्राफी से सजाया जाता है। कुछ कब्रों से उसमें दफन शख्स की हैसियत का भी पता चलता है।