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सरकार चुनावों में व्यस्त इधर विद्यार्थियों को फर्स्ट टेस्ट बिना शिक्षकों के ही देने पड़े

प्रदेश में हज़ारों क्रमोन्नत स्कूलों को कई महीनो बाद भी नसीब नहीं होंगे व्याख्याता 
प्रदेश में 3828 क्रमोन्नत स्कूलों को 5 माह बाद भी नहीं मिलेंगे व्याख्याता 
इन स्कूलों में अभी 11484 की जरूरत
Government School pathetic condition in Rajasthan
  बीकानेर/राजस्थान।। सरकार की बेरुखी कहे या बच्चो का बदनसीब सरकार द्वारा राजस्थान में हज़ारों की तादाद में क्रमोन्नत स्कूलों में कई महीनो के गुजर जाने के बाद भी राज्य सरकार की ओर से प्रदेश के माध्यमिक से उच्च माध्यमिक में क्रमोन्नत किए गए 3828 स्कूलों को पांच महीने बाद भी व्याख्याता नहीं मिल पाए हैं।
  बाद यदि गुजरात में चुनाव प्रचार की या जयपुर के पांच सितारा होटल में कांग्रेस सरकार गुलछर्रे उड़ाते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ महंगाई को लेकर विरोध प्रदर्शन की हो तो कांग्रेस प्रति कांग्रेसी नेता 2000 से भी ज्यादा केवल खाने पर जनता की गाढ़ी कमाई के पैसों को खर्च करते देर नहीं करती लेकिन बात जब बच्चो की पढाई और उनके भविष्य को लेकर स्कूल निर्माण और अध्यापकों के व्यवस्था की हो तो सरकार को ठण्ड चढ़ जाती है। बताते चले की शिक्षा विभाग में टीचरों के स्थान्तरण की एक लम्बी लिस्ट अनपढ़ नेताओं की पैसे खाने वाली डिज़ायर के बाद अपने स्थानांतरण के इंतज़ार में दबी पड़ी है। लेकिन भूखी-नंगी सरकार को ना बच्चो के भविष्य की चिंता है ना ही और ना ही देश के विकास की उन्हें तो सिर्फ मंगतों की तरह रिश्वत के पैसों का इंतज़ार की कौन उनके मुँह पर पैसा फेंके और वह उनका विपरीत परिस्थितियों में भी सेटिंग से काम जमा दे। आज देश की आधी से ज्यादा आबादी सरकार के इसी भिखारीपन वाली हरकतों की शिकार है। 
विद्यार्थियों को फर्स्ट टेस्ट बिना शिक्षकों के ही देने पड़े
  जानकारी अनुसार राज्य सरकार की ओर से इन स्कूलों को पिछले साल 23 मार्च, 2022 काे अपग्रेड किया गया था। क्रमोन्नत हुए सभी स्कूलों में कला संकाय स्वीकृत किया गया है। उधर क्रमोन्नत होने के बाद बच्चों ने इन स्कूलों की 11वीं और 12वीं कक्षा में एडमिशन ले लिया है, लेकिन व्याख्याता नहीं मिलने के कारण इन विद्यार्थियों को फर्स्ट टेस्ट बिना शिक्षकों के ही देने पड़े हैं। अब सरकार को समझना होगा की यह कोई मोदी जी  वाली "एंटायर इन पॉलिटिक्स" की डिग्री थोड़े ही है, जो मार्किट में सेटिंग से मिल जाए। आज हर स्कूल में कम से कम तीन व्याख्याताओं की जरूरत है। वही क्रमोन्नत हुए 3812 स्कूलों में प्रिंसिपल के पद स्वीकृत हो चुके हैं, लेकिन इन स्कूलों में कला संकाय के 11484 व्याख्याताओं के पद 5 महीने बाद भी मंजूर नहीं हो सके हैं। वहीं दो साल से व्याख्याता पदों की डीपीसी नहीं होने से रिक्त पदों का ग्राफ भी बढ़ गया।
व्याख्याताओं के 20 फीसदी पद रिक्त
  वर्तमान में शिक्षा विभाग में व्याख्याताओं के 20 फीसदी पद रिक्त चल रहे हैं। उधर, 3828 स्कूल में क्रमोन्नत होने से 11484 पद और बढ़ेंगे। रिक्त पदों को भरने के लिए शिक्षा विभाग में 50% डीपीसी और 50% सीधी भर्ती का प्रावधान है। नई भर्ती को लेकर अभी कोई तैयारी नहीं हुई है।
   राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ, रेस्टा के प्रदेश प्रवक्ता बसंत कुमार ज्याणी का कहना है की क्रमोन्नत स्कूलों को व्याख्याता नहीं मिलने से उनका शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है। राज्य सरकार को चाहिए जल्द से जल्द ने स्कूलों में पद स्वीकृत कर व्याख्याता लगाए जाएं।
 राजस्थान प्राथमिक एवं माध्य माध्यमिक शिक्षक संघ महामंत्री महेंद्र पांडे का कहना है की दो वर्ष की व्याख्याता पदों की डीपीसी बकाया है। इसे जल्द पूरा करना चाहिए, ताकि 11वीं-12वीं के विद्यार्थियों को व्याख्याताओं मिल सकें।  

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