देश मना रहा आज़ादी का 76वा स्वतंत्रता दिवस ओर दलित छात्रा के साथ अन्याय
कांग्रेस सरकार की 70 साल की नाकामी, अबोध बच्चे को मौत के मुँह में धकेल गई
जालोर/बांसवाड़ा/राजस्थान।। राजस्थान के जालोर में एक दलित छात्र की निजी स्कूल के अध्यापक द्वारा पानी पीने की बात को लेकर की गई पिटाई से हुई बालक की मौत की गूंज अब जनजातीय क्षेत्रों में भी विरोध रूप में गूंजने लगी है। इस दुखद घटनाक्रम को लेकर गहलोत सरकार पर बीटीपी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य विजय भाई मईडा ने निशाना साधा है। भारतीय ट्रायबल पार्टी बिटीपी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य विजय भाई मईडा ने कहा की आज पूरे मुल्क में आजादी के 75 वर्ष के उपरांत अमृत महोत्सव के रूप में स्वतंत्रता दिवस को जोर-शोर से मनाया जा रहा है, हमें इसकी बहुत बड़ी खुशी है लेकिन दूसरी तरफ राजस्थान के जालोर जिले की इस घटना से पूरे मुल्क का दलित, आदिवासी एवं पिछड़े तबके के लोग और दबे कुचले लोगों के साथ अन्याय थमता नजर नहीं आ रहा है।
मईड़ा ने कहा की जालौर जिले में एक निजी विद्यालय के शिक्षक के द्वारा 8 वर्ष के दलित परिवार के बच्चे को सिर्फ मटकी से पानी पीने को लेकर बुरी तरह पीटा गया जिससे उसकी मौत हो गई। वही राजस्थान की कांग्रेस सरकार के द्वारा उक्त पीड़ित परिवार को पांच लाख रुपए मुआवजा दिया गया। मईड़ा ने आरोप लगाते हुए कहा कि इस मुल्क में दलितों, आदिवासियों और दबे कुचले लोगों के साथ सामाजिक स्तर पर ही नहीं बल्कि सरकारों के द्वारा भी भेदभाव का रवैया अपनाया जा रहा है। क्योंकि कुछ दिनों पूर्व उदयपुर में जो हत्याकांड हुआ उसमें सरकार के द्वारा पचास लाख रुपए मुआवजा तथा परिवार के सदस्यों को नौकरी दी गई, हमें उसका विरोध नहीं है। लेकिन एक दलित की हत्या होती है तो सरकारों के द्वारा समानता पूर्वक न्याय नहीं किया जाता है यह सरासर गलत है। मईड़ा ने बताया की आजाद भारत में भी कई जातियां आज तक भी शोषण, अत्याचार और अन्याय से पीड़ित है।
मईड़ा ने अपने बयान में कहा कि भारतीय ट्राइबल पार्टी यह मांग करती है की मृतक के परिजनों को पचास लाख रूपये का मुआवजा तथा परिवार में एक सदस्य को नौकरी दी जावे तथा संबंधित आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा मिले और सरकार के द्वारा इसकी रोकथाम के लिए कड़ा कानून भी बनाया जाए ताकि इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृति नहीं हो सके और विभिन्न समाजों में समरसता एवं सौहार्द बना रहे यह पहल करनी आवश्यक है।
कैसे हुई थी जालोर की घटना?
इलाज के दौरान 25 दिन बाद हो गई थी मौत
राजस्थान के कांग्रेस सरकार की नाकामी एक बार सबके सामने आ गई है। इस बार घटना का शिकार एक स्कूली छात्र हुआ है। कांग्रेस ने 70 साल तक रावण की तरह देश पर राज़ किया लेकिन देश की सरकारी शिक्षा व्यवस्था को कांग्रेस सरकार ने अपने निजी हित के चलते कभी विकसित नहीं होने दिया। उसी नीच कांग्रेसी खामी के कारण लोग अपने बच्चो का सरकारी स्कूलों में दाखिला नहीं करवाकर मज़बूरन प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चो को पढ़ाने के लिए भेजते है, जिस वजह से प्राईवेट स्कूलों में बच्चो की भरमार से उनके दिमाग ठिकाने नहीं है और वह निजी स्कूलों वाले बच्चो और उनके परिवार वालों पर आए दिन अत्याचार करने से भी गुरेज नहीं करते है। ऐसा ही एक दिल दहला देने वाला मामला राजस्थान के जालोर जिले में सामने आया है।
यहां एक टीचर ने बच्चे को इस कदर बुरी तरह पीटा कि उसकी मौत हो गई। जानकारी के अनुसार जालोर जिले के सुराणा में 20 जुलाई को तीसरी कक्षा के छात्र इंद्र मेघवाल द्वारा पानी का मटका छू लेने पर अध्यापक छैल सिंह ने उसकी इतनी पिटाई की कि वह गंभीर रूप से घायल हो गया। वही परिजनों द्वारा बच्चे को उपचार हेतु अहमदाबाद में एडमिट कराया गया था, जहां उपचार के दौरान 13 अगस्त को उसकी मौत हो गई।
जालोर पुलिस का बयान आया सामने
इस मामले में जालोर पुलिस का भी बयान सामने आया है। जालोर पुलिस ने ट्वीट कर कहा, उक्त घटना के संबंध में थाना सायला में प्रकरण पंजीबद्ध कर सीओ जालोर द्वारा अनुसंधान किया जा रहा है। प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए जिला पुलिस अधीक्षक जालोर व सीओ जालौर द्वारा मौके पर पहुंच कर घटना की जानकारी ली गई है। आरोपी को दस्तयाब किया गया। फ़िलहाल मौके पर शांति है।
कई अस्पताल गए, लेकिन हो गई मौत
बच्चे के परिजन ने जो रिपोर्ट दी है, उसमें लिखा है कि इंद्र कुमार को प्यास लगने के बाद उसने भूलवश दूसरे मटके से पानी पी लिया, इस पर अध्यापक छैल सिंह ने इंद्र को जातिसूचक शब्द कहते हुए उसकी बेहरमी से पिटाई कर दी।
कई अस्पतालों में इलाज करवाया लेकिन नहीं बची जान
इससे उसके दाहिने कान में अंदरूनी चोट आई। कान में ज्यादा दर्द होने पर इंद्र अपने पिता की दुकान पर गया और मेडिकल से दवाई लेकर घर चला गया। बच्चे को ज्यादा दर्द होने के बाद बजरंग अस्पताल बागोड़ा, आस्था अस्पताल भीनमाल, त्रिवेणी अस्पताल भीनमाल, करणी अस्पताल डीसा मेहसाणा, गीतांजलि उदयपुर और सिविल अस्पताल अहमदाबाद लेकर घूमता रहा। आज उसकी मौत हो गई। परिजन ने रिपोर्ट में यह भी कहा है कि इसलिए देरी से रिपोर्ट दे रहा हूं क्योंकि हम इंद्र कुमार के उपचार के लिए बाहर थे।
एक अबोध बालक की पानी पीने को लेकर अध्यापक द्वारा बेरहमी से की गई पिटाई से हुई मौत एक सभ्य समाज की घटिया सोच पर तमाचा है और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर प्रहार है।
आरोपी टीचर को लिया गया हिरासत में
जालौर के सायला में मात्र 9 साल के अबोध बालक की सरस्वती स्कूल के हेड मास्टर ने इसलिए सिर्फ इसलिए पिटाई कर दी कि उसने स्कूल में रखें उस मास्टर के पानी पीने वाले मटके से पानी पी लिया था। बालक की इलाज के दौरान मौत हो गई। आरोपी टीचर को हिरासत में ले लिया गया है। इस आयु में बालक न ही तो किसी जाति व्यवस्था के बारे में समझता है और न ही धर्म के बारे में उसे ज्ञान होता है। उसे प्यास लगी और उसने बिना कुछ सोचे समझे अपनी प्यास को बुझाने के लिए पानी पी लिया। लेकिन जिस गुरु को उसे जाति और धर्म से दूर रख कर एक अच्छा भारतीय नागरिक बनाना था, उसी गुरु की ओछी मानसिकता ने आजादी की 75 वी वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर एक मासूम की जिंदगी उजाड़ दी।
कांग्रेस सरकार की नाकामी की बदौलत अक्सर होने वाली आम जनता की मौत पर हर बार की तरह इस बार भी राजस्थान की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री एक मासूम की मौत पर मुआवज़ा देने के लिए आगे आ गए है। कांग्रेस के हिंदुस्तान पर पिछले 70 सालों के शासन में अगर सरकारी शिक्षा व्यवस्था को ढंग का किया होता तो आज वह अबोध बालक उस निजी स्कूल में अच्छी शिक्षा के लिए नहीं जाता बल्कि सरकारी स्कूल में पढता और उसकी जान भी नहीं जाती। इस दुखद घटना से व्यथित लोगो का कहना है कि गहलोत की कांग्रेस सरकार ही अप्रत्यक्ष रूप से उस बच्चे की मौत की जिम्मेदार है। वही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जालौर जिले के सुराणा गांव में दलित छात्र की शिक्षक की पिटाई से हुई मौत के मामले में गहरा दुख जताया है। सीएम गहलोत ने छात्र के परिजनों को 5 लाख मुआवजे की घोषणा की है।
क्यों नहीं पूरे स्कूल स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की जाए?
घटिया जातिवादी ऊंच-नीच की भावना ने एक मासूम को मौत के मुंह में धकेल दिया। क्या हमारा सभ्य समाज कभी इस विषय पर भी सोचेगा की आजादी के 75 साल बाद भी मानव-मानव में इस तरह का भेदभाव आखिर कब तक चलेगा? जिसके चलते हैं कोई किसी की भी जान लेने को तैयार हो जाता हैं। क्यों नहीं हमारे सभ्य समाज के लोग इस तरह की घटिया सोच वाले लोगों का साथ देने की बजाय उनका सामाजिक बहिष्कार करते? क्यों नहीं सरकार इस तरह की मानसिकता वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करती है? क्यों नहीं पूरे स्कूल स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की जाए? क्योंकि जहां यह कृत्य हुआ है, इसका मतलब उस स्कूल में पूरा स्टाफ भी उसी तरह की भावना रखता होगा और बच्चों के साथ इसी तरह का भेदभाव भी हमेशा करता होगा। जिसका शिकार आए दिन बच्चे होते होंगे। क्यों नहीं आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा देने के लिए घोषणा सरकार की तरफ से की जाती है? जिससे भविष्य में कोई भी इस तरह का कृत्य नहीं करें? इसके लिए हमारे सभ्य समाज के लोगों को ही आगे आना होगा उनको ही पहल करनी होगी।