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क्या जन्नत की शराब और हूरों के सारे दावे तर्क-विहीन है?

क्या मौलवी जन्नत की व्यवस्था खुद देखकर आये है?
 क्या मोहम्मद साहब और मौलवी जन्नत की व्यवस्था को देखकर आये थे कि जन्नत में 72 हुरें, शराब, गिलमे, शहद की नदियां है? या यह मुस्लिम के लिए सिर्फ एक मृगमरीचिका है? 
मेराज का दावा:
   एक रात मुहम्मद अर्धनिंद्रा मे थे और अचानक वक्त थम गया; पानी बहते हुए रुक गया और हवा शांत हो गई। मुहम्मद के पास उड़ता हुआ "बुराक" (घोड़े जेसा जानवर) आया। बुराक दिखने मे घोड़े जेसा था पर उसके पंख थे। वो उड़ सकता था। उसने मुहम्मद से अपने ऊपर बेठने के लिए फरमान किया और बोला की "मे आपको अल्लाह के पास ले जाने आया हु। अल्लाह आपको जन्नत (स्वर्ग) और जहन्नुम (नर्क) की सफर कराना चाहते है ताकि आप जाकर अपनी कोम (मुसलमानो) को जन्नत की दावत दो और नर्क अज़ाब (सजा) से डराओ।" 
   फिर वो बुराक मुहम्मद के सवार होते ही बिजली की रफ्तार से तेज़ उड़ने लगा। उसने सात आसमानो का सफर किया। रास्ते मे (विभिन्न असमानों पर) मुहम्मद ने कई फरिश्ते (देवदूत) देखे जो हजारो सालो से अल्लाह की इबादत मे मशगूल (व्यस्त) थे। मुहम्मद को फिर जिबरिल (एक फरिश्ता) ने जन्नत घुमाई। जन्नत मे दूध, शहद और शराब की नदिया थी। ढेर सारे फल और पोधे थे। तरह-तरह के पुष्प थे और कई सारी नग्न अवस्था मे हुरे (अप्सराए) भी सेवा मे हाजिर थी। जन्नत मे वो सभी चिजे थी जो एक छट्टी सदी के रेगिस्तान के चरवाहे के लिए "स्वर्ग-समान" हो। 
  ऊपर बताई गई बातों का इसमाल मे बहुत बड़ा महत्व है। वैसे हर मुस्लिम इस मेराज की घटना को सच मानता है। लेकिन वैज्ञानिक आधार पर इस तरह के बचकाने दावो को आसानी से खारिज किया जा सकता है। कई इस्लामिक-क्रिटिक्स का मानना है की मुहम्मद के ये सारे दावे बेबुनयादी एवं झूठे थे, तो कई ये मानते है की मुहम्मद खुद इन सब दावो को सच्चा मानते थे। लेकिन उन्हे सीजेर्फेनिया (मानसिक रोग) की वजह से हकीकत और सच्चाई मे फर्क नहीं पता चलता था। लेकिन जो भी वजह रही हो, मुहम्मद की इन बातों का कोई तर्क नहीं है और उनके मृत्यु के बाद खलीफाओ ने इन सारे दावो का इस्तिमाल गेर-मुस्लिमो को इस्लाम मे तब्दील (कन्वर्ट) करने के लिए किया और मुस्लिम इस्लाम की राह ना छोड़ दे, इसलिए उन्हे जन्नत (स्वर्ग) से ललचाया जाता है और जो लोग स्वर्ग के लालच से बच जाते है उन्हे जहन्नुम (नर्क) के अज़ाब (सजा) से डराया जाता है।
  तो सीधे शब्दो मे कहा जाये तो जन्नत की शराब और हूरों के सारे दावे तर्क-विहीन और प्राचीन-मानसिकता से उपजे लोक-कथन है जिनका सच्चाई से कोई वास्ता नहीं।
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