News Today Time Group - Digital News Broadcasting - Today Time Group - Latest News Today News Today: Hindi News Boradcasting Today Group - Real-Time News क्या राजस्थान में झोलाछाप बढ़ा रहे लम्पी वायरस का संक्रमण?
Headline News
Loading...

Ads Area

क्या राजस्थान में झोलाछाप बढ़ा रहे लम्पी वायरस का संक्रमण?

राजस्थानियों ने जुगाड़ से बनाई लम्पी वायरल की दवाई
Lampi Virus
   जयपुर/पाली/राजस्थान।। गोवंश में जानलेवा लम्पी संक्रमण को लेकर लोगो की लापरवाही भारी पड़ती जा रही है। लम्पी संक्रमण से बचाव के लिए किसी प्रकार की दवा नहीं होने और संक्रमण क्षेत्र में मनाही के बावजूद झोलाछाप नीम हक़ीम ग्रामीण क्षेत्रों में बेधड़क टीकाकरण कर रहे हैं। ऐसे में एक ओर जहां पशुओं की मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है वहीं दूसरी और संक्रमित पशुओं का दूध सूखने के कारण पशुपालकों को दोहरा नुकसान हो रहा है। वही इस वायरस से संक्रमित पशुओं के दूध के उपयोग से उसके उपयोगकर्ता में भी वायरस के प्रभाव और संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। 
राजकीय अवकाश के दिन भी कार्यालय खोलने के है निर्देश 
  वही लम्पी संक्रमण का बढ़ता दायरा देखते हुए पशुपालन विभाग ने राजकीय अवकाश के दिन भी अपने कार्यालय खोलने के लिए निर्देश जारी किए है। लम्पी संक्रमण के कारण पशुपालन विभाग लगातार गोशालाओं का औचक निरीक्षण कर जरूरी निर्देश दे भी रहा है। राजस्थान के कई जिलो में लम्पी संक्रमण की चपेट में आने वाले पशुओं की संख्या बढ़ गई है। वही झोलाछाप चिकित्सकों की ओर से प्रभावित क्षेत्रो में बेधड़क टीकाकरण की खबरे भी सामने आ रही है। वही पशुपालन विभाग ने भी संबंधित अधिकारियों को ऐसे झोलाछाप लोगों के विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश भी दे दिए हैं।
पशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता हो जाती है बहुत कम 
   पशु चिकित्सकों के अनुसार संक्रमण के कारण संबंधित पशु में करीब 15 दिन बाद ही लक्षण उभरने लगते हैं। लम्पी संक्रमण के कारण पशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम हो जाती है। इस दौरान प्रभावित क्षेत्र में किया गया टीकाकरण संबंधित पशु के शरीर में वायरस की संख्या तेजी से बढ़ा देता है जिसका नतीजा यह होता है कि पशु ज्यादा बीमार हो जाता है। पशु विशेषज्ञों के अनुसार किसी भी बीमारी का टीकाकरण संक्रमण के प्रभावित क्षेत्र से कई किलोमीटर दूर जाकर किया जाता है। राजस्थान के कई जिलो में भी दुधारू पशुओं में लम्पी वायरस का संक्रमण अधिकांश गाँवो में फैल चुका है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप पशु चिकित्सकों की ओर से किया गया टीकाकरण बीमार पशु के लिए घातक साबित हो रहा है। 
4 चीजों को मिलाकर बना ली लम्पी वायरल की दवा
  राजस्थान में 1 लाख मवेशियों को अपनी चपेट में लेने वाली लम्पी बीमारी का कोई डोज भले ही उपलब्ध नहीं है, लेकिन राज्य के एक डॉक्टर और गौसेवकों ने देशी जुगाड़ से एक ऐसी दवाई बनाई है जो इस वायरस के असर को कम कर रही है। 
कुछ मसालों और सामान्य दवाईयों को मिलाकर बनाया देशी जुगाड़
 मवेशियों में तेजी से फैल रहे लम्पी वायरस से मवेशियों को बचाने के लिए भी राजस्थानियों ने जुगाड़ का सहारा ले लिया है। प्रदेश के कई जिलों में इसी जुगाड़ से मवेशियों के इलाज का दावा भी किया जा रहा है और बड़ी बात ये है कि लोगो के अनुसार ये जुगाड़ काम भी आ रहा है। दरअसल रोजमर्रा में काम आने वाले कुछ मसालों और बेहद सामान्य दवाईयों को मिलाकर ये जुगाड़ तैयार किया गया है। पाली, नागौर समेत कुछ अन्य जिलों में इस जुगाड़ को प्रेशर स्प्रे की मदद से मवेशियों पर छिड़काव किया जा रहा है। लोगो का कहना है की इसी छिड़काव की मदद से उनको फायदा भी मिल रहा है। बड़ी बात ये है कि अगर ये स्प्रे मवेशियों की लार में भी जाता है तो उनको कोई नुकसान नहीं होगा।
Lampi Virus
क्या है ये जुगाड़ की दवाई
   दरअसल पाली जिले के एक सरकारी चिकित्सक ने भी नजदीकी गांव में स्थित गौशाला में ये प्रयोग किए हैं। जैतारण तहसील के सरकारी चिकित्सक और वहीं पर रहने वाले गौसेवकों की मदद से फिटकरी, हल्दी, हाइपोक्लोराइट और कम मात्रा में फिनाइल का मिश्रण कर पानी से कई ड्रम दवा बनाई गई है। इस दवा को गौशालाओं में फसलों पर कीटनाशक का छिड़काव करने वाले स्प्रे मशीनों से छिडकाव किया जा रहा है। 
  इस छिड़काव के मिश्रण से दिन में एक बार गायों को पूरी तरह से नहलाया जा रहा है और साथ ही कुछ एंटी बायोटिक दवाएं चारे में मिलाकर खिलाई जा रही हैं। अच्छी बात ये हैं कि इनके परिणाम सामने आ रहे हैं। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि मवेशियों में इस मिश्रण के छिड़काव के बाद रोग बढ़ नहीं रहा है। धीरे-धीरे चकत्ते कम हो रहे हैं। 
  गौरतलब है कि इस बीमारी के लिए अभी तक कोई पुख्ता टीका नहीं आया है। कुछ पशु मालिक बकरियों में लगने वाले टीकों को गायों के लिए काम मे ले रहे हैं। इसके अलावा मवेशियों के बाड़ों में गोबर के उपले जलाए जा रहे हैं ताकि उससे धुआं फैलता रहे और धुएं से मक्ख्यिा मवेशियों तक नहीं आए। मवेशियों में तेजी से बढ़ने वाले संक्रमण का सबसे बड़ा कारण कीट पतंगे है।
पिछले सात दिन में इतने मवेशी हुए हैं सही
   राजस्थान में इस वायरस ने सबसे ज्यादा हनुमानगढ़, गंगानगर, जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर, और बाडमेर में हैं। यहां अब तक मिले संक्रमित मवेशियों की संख्या प्रत्येक जिले में आठ हजार से बारह हजार के बीच है। उसके अलावा इस वायरल ने जयपुर, जालोर, सिरोही, नागौर, पाली, बांसवाड़ा सहित 17 जिलों में एंट्री कर ली है। इन जिलों में अब तक एक लाख बीस हजार से भी ज्यादा मवेशी संक्रमित हो चुुके हैं। इनमें अलावा पांच हजार आठ सौ से भी ज्यादा गायों की मौतें अब तक हो चुकी हैं। वही इस जुगाड़ के सहारे अब तक करीब तीस हजार से ज्यादा मवेशी सही किए जाने का दावा किया जा रहा हैं।

Post a Comment

0 Comments