जिस तरह से हर दिन आम जरूरत की चीजों की कीमतें बढ़ती जा रही हैं उसमें आम आदमी के लिए घर का बजट संभालना कठिन होता जा रहा है। आम आदमी इसी चिंता में रहता है कि किस तरह से घर परिवार की जरूरतों को पूरा किया जाय।
लेकिन चिंता से न आपकी समस्या दूर होगी न ही घर का बजट संभलेगा। इसके लिए आपको कुछ न कुछ उपाय तो करना ही होगा जिससे आप बजट को संभालने में कामयाब हों और भविष्य के लिए कुछ धन भी बचा पाएं।
एक उपाय तो यह है कि आप अपनी आमदनी बढ़ाएं लेकिन आमदनी बढ़ने से थोड़ी राहत तो मिल जाएगी लेकिन समस्या से पूरी तरह मुक्ति नहीं मिल सकती। समस्या से पूरी तरह मुक्ति पाने के लिए आप इन छोटे-छोटे उपायों को आजमा सकते हैं। रसोई घर से करें बजट संभालने की शुरुआत। अपनी आदत में शामिल करें यह छोटा सा काम।
हर दिन एक रोटी गुड़ के साथ गाय को खिलाएं
शास्त्रों में गाय को लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है जिसके शरीर के हर अंग में किसी न किसी देवता का वास है। इसलिए अपनी आदत में शामिल कर लें कि हर दिन एक रोटी गुड़ के साथ गाय को खिलाएं। अगर सुबह-सुबह गाय द्वार पर आ जाए तो उसे रोटी या हरा चारा जरूर खिलाएं। इससे आपकी आर्थिक स्थिति बेहतर होगी। गाय के अलावा कुत्ता भी ऐसा जीव है जिसे नियमित रोटी खिलाना चाहिए।
पितरों को भी मिलती है संतुष्टि
यदि आपके द्वार पर कुत्ता आकर बैठ जाए तो उसे मारकर भगाने की बजाय उसे रोटी देना चाहिए। इससे राहु, केतु और शनि इन तीनों ग्रहों के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं। इससे पितरों को भी संतुष्टि मिलती है और घर में अन्न, धन, लक्ष्मी का वास बना रहता है यानी आपकी कमाई में बरकत होती है।
देवताओं तक ऐसे पहुंचाए अंश
बड़े बुजुर्गों का मानना है कि आप कितनी भी कमाई कर लें लेकिन अगर देवता प्रसन्न नहीं होंगे तो आपकी कमाई में बरकत नहीं होती है। इसलिए कहा जाता है कि भोजन बनाने के बाद सबसे पहले कुछ अंश अग्नि में डाल दें। अग्नि में डाल देने से यह हविष्य बन जाता है और देवताओं तक अंश पहुंच जाता है। यही कारण है कि शास्त्रों में कहा गया है कि भोजन हमेशा शुद्घ होकर बनाना चाहिए। भोजन बनाना भी यज्ञ के समान है इसलिए स्नान और ध्यान के बाद ही भोजन बनाना चाहिए।
भोजन को हमेशा दक्षिण कोण में रखें
आप चाहें तो यह भी कर सकते हैं कि भोजन बनने के बाद किसी को परोसने से पहले कुछ हिस्सा निकालकर भगवान को प्रसाद स्वरूप अर्पित कर दें। इसके बाद घर के सदस्यों को भोजन परोसें। यह भी ध्यान रखें कि भोजन हमेशा दक्षिण कोण में रखें।