सरकार ने शिक्षा का बनाया मज़ाक
कॉलेज में छात्रों की संख्या पँहुची दो हज़ार के पार पढ़ाने वाला कोई नहीं
कांग्रेस सरकार में शिक्षा के हालात हुए बद से बदतर
बांसवाड़ा/राजस्थान।। अपने भविष्य और पढाई को लेकर जनजातीय युवा अब पूरी तरह से सचेत हो चूका है, वही कांग्रेस कि सरकार क्षेत्र के युवाओं के लिए जनहितेषी की जगह बर्बादी का कारण बनती नज़र आ रही है। जिले में रिक्त चल रहे शिक्षकों और व्यख्याताओं के पदों को भरने के लिए जहा युवा पहले भी कई बार प्रशासन और सरकार को घेरे में ला चूका है, वही सरकार के अंगूठाछाप मंत्री शिक्षक सम्मेलनों में शिक्षा पर बड़ी-बड़ी बातें ठोकते नज़र आ रहे है, लेकिन हकीकत वही ढाक के तीन पात। ऐसे में कांग्रेस का राजनीतिक पक्षपात कॉलेज छात्रों के लिए किसी मुसीबत से कम साबित नहीं हो रहा है। जहा पूर्व में छात्रों द्वारा प्रशासन के मार्फ़त कई बार सरकार को कॉलेजो और स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के लिए ज्ञापन दिए गए थे ना जाने आज वह किस कचरे के ढेर में तब्दील हो चुके है।
कॉलेज छात्रों के प्रति कांग्रेस की नीच प्रवर्ति का ही यह परिणाम है कि हाल ही में गोविन्द गुरु कॉलेज और पॉलोटेक्निक महाविद्यालय भी आज छात्र आन्दोलनों का हिस्सा बन चुके है। खैर ऐसा हो भी क्यों ना सरकार और उसके मंत्री अनपढ़ जो ठहरे पढ़ाई की महत्ता से उनका कोसो दूर का कोई वास्ता नहीं। उनके सामने तो रोल मॉडल अशोक गहलोत और गोविन्द सिंह डोटासरा जो है, जिन्होंने अपने बेटों को सीधे ही एक ने आरसीए और दूसरे ने तो परिवार के कई सदस्यों को सेटिंग से सीधे ही आरएएस तक बनवा दिया। ऐसे लोगो को शिक्षा की बर्बादी से क्या लेना देना? क्योंकि इसका असली खामियाज़ा तो ग़रीब जनता भुगतती है, जो रोज़ तिल-तिल कर आज मरने को मज़बूर हो चुकी है। दिलचस्प बात यह है कि इतना होने पर भी भिखारियों की तरह राजस्थान में मुख्यमंत्री पद की कुर्सी को लेकर वो लोग घमासान मचाए हुए है, जो कई बार मुख्यमंत्री रह चुके है, और ना जाने अब तक कितने खरबों रूपये उन्होंने सीधे किये होंगे? लेकिन जनता आज भी वही निरह की तरह अपनी बर्बादी को देख रही है।
वहीं राजस्थान में चल रहे इस घमासान में कॉलेज के छात्र-छात्राओं के भविष्य पर काले बादल मंडराते दिखाई दे रहे हैं। यहा शिक्षा के अधिकार की जम कर धज्जियां उड़ाई जा रही है। जहा राजनेतिक दल अपना-अपना उल्लू साधने में लगे हुए हैं, वही छात्र छात्राओं के भविष्य की इनको तनिक भी चिंता तक नहीं है। जिम्मेदारो को तो सिर्फ सत्ता की मलाई चाहिए पढ़ाई-लिखाई भले ही भाड में जाए, इससे उन्हें कोई लेना-देना ही नहीं है।
जी हां कुछ ऐसा ही मामला राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के कुशलगढ़ में स्थित मामा बालेश्वर दयाल महा विद्यालय में इन दिनों देखने को मिल रहा है। यहाँ आए दिन ज्ञापन पर ज्ञापन, तालाबंदी के अल्टीमेटम के बाद भी सरकार व कॉलेज प्रशासन कुंभकर्णी नींद में सोया हुआ है। बतादे कि जिले का कुशलगढ़ जनजाति आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, यहा मात्र एक सरकारी महाविद्यालय है। जहा व्याख्याताओं के पद कई समय से रिक्त हैं। वहीं कुछ व्याख्याताओं के स्थानांतरण राजनीतिक दुर्भावना पूर्ण करवाए जाने के भी आरोप लगाए जा रहें हैं। इस बारे में भारतीय ट्रायबल पार्टी बीटीपी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य विजय भाई मईडा ने एक पत्र राज्यपाल के नाम भेजकर कॉलेज की समस्यायों से अवगत कराया है।
मईडा ने बताया कि सरकार ने राजनीतिवश दिनेश रावत, व्याख्याता गोविंद गुरु महाविद्यालय बांसवाड़ा का स्थानांतरण अलवर जिले के टपुकडा वहीं रतनलाल डोडीयार व्याख्याता हिंदी साहित्य बांसवाड़ा का भरतपुर के पहाड़ी में, तों मुकेश बारिया को नागदा बड़ी से चोखला व चोखला से उच्च माध्यमिक विद्यालय तनविर जिला सिरोही भेजा गया है। वहीं डॉक्टर लक्ष्मण परमार की प्रतिनियुक्ति भी रद्द कर कुशलगढ़ से बांसवाड़ा लगाया गया है। भारतीय ट्रायबल पार्टी बीटीपी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य विजय भाई मईडा ने बताया कि सरकार, कॉलेज छात्र छात्राओं के भविष्य की सोचें व व्याख्याओं के पद भरे नहीं तों छात्र हित में आंदोलन किया जाएगा जिसकी जिम्मेदारी राजस्थान सरकार की होगी।
वहीं कुशलगढ़ मामा बालेश्वर दयाल महाविद्यालय के कार्यवाहक प्राचार्य महेंद्र कुमार देपन ने बताया कि मामा बालेश्वर दयाल महाविद्यालय कुशलगढ़ में कुल 2,300 छात्र एवं छात्राए अध्यनरत हैं तथा वही एडमिशन प्रक्रिया भी चालू है, जिससे महाविद्यालय में छात्र छात्राओं की संख्या और अधिक बड सकती है। देपन ने बताया कि संख्या के आधार पर इस महाविद्यालय में कुल व्ख्याताओ के पद 37 होने चाहिए लेकिन 22 रिक्त पद है, ऐसे में कॉलेज प्रशासन द्वारा रिक्त पदों को भरने के लिए लिखा गया है।