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कालसर्प योग के दुष्परिणाम से बचने के लिए करे इस सरल मंत्र का जप

  Kalsarp Dosh
  कालसर्प योग से जातक प्रभावित होता है और उस से भी ज्यादा लोग उन्हें डरा देती है। कालसर्प योग से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है।
कैसे बनता है कालशर्प योग?
 किसी जन्मांग में कालसर्प योग का निर्धारण अत्यन्त सावधानी से करना चाहिये। केवल राहु-केतु या अन्य ग्रहों का होना ही पर्याप्त नहीं है। ज्योतिष में १२ राशियाँ हैं। इनके आधार पर १२ लग्न होते हैं और इनके विविध योगों के आधार पर कुल २८८ प्रकार के कालसर्प योग निर्मित हो सकते हैं। एक शशक्त ज्योतिषी ही इसको समझ सकते है।
कैसे जाने की आप काल शार्प योग से पीड़ित है या नहीं? 
  जैसे डॉक्टर सिम्पटम्स के आधार पर बीमारी का नाम कारण करते है, ठीक वैसे ही ज्योतिषी लक्षणों से ये निर्धारण कर सकते है की कालसर्प योग है या नहीं। लक्षण: कालसर्प योग से जो जातक प्रभावित होते हैं, उन्हें प्रायः स्वप्नमें सर्प दिखते हैं। जातक मेहनती होते है और यथा संभव अपने कार्यों में अथक परिश्रम करने के बावजूद आशातीत सफलता प्राप्त नहीं कर पाते। हमेशा मानसिक तनाव से ग्रस्त रहते है, जिसके कारण सही निर्णय लेने में असमर्थ होते है। अकारण लोगों से शत्रुता मिलती है। गुप्त शत्रु सक्रिय रहते हैं, जो कार्यों में अवरोध पैदा करते हैं। पारिवारिक जीवन भी कलहपूर्ण होता है। विवाह में विलम्ब या वैवाहिक जीवन में तनाव के साथ विच्छेद तक स्थितियाँ निर्मित हो जाती हैं।
उपाय
  यहाँ वहा न भटके। स्वयं उपाय करे। इस स्तोत्र का पाठ रोजाना ९ बार करे। 
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम् ।
शङ्खपालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा ॥
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायङ्काले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषतः ॥
अर्थ
अनंत वासुकि, शेष कमल-नाभि कंबल ।
शंखपाल धृतराष्ट्र तक्षक और कालिया:।।
ये हैं महान नागों के नौ नाम।



सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल
इंटरनेशनल वास्तु अकडेमी
सिटी प्रेजिडेंट कोलकाता

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