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मुस्लिम मूछें कटाकर क्यों रखते हैं?

why don't muslims keep mush
क्या यह वास्तव में सुन्नत है?
   मर्दों की पहचान तो मूंछें होती हैं फिर मुसलमान दाढ़ी बढ़ाने को तवज्जो क्यों देते हैं? सवाल जो या तो आपको पता नहीं, या आप पूछने से झिझकते हैं, या जिन्हें आप पूछने लायक ही नहीं समझते। ऊपर लगी तस्वीर किसकी है, इस बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है. फिर भी अगर हमसे या किसी से भी यह तस्वीर दिखाकर इस व्यक्ति के बारे में बताने के लिए कहा जाए तो हर कोई एक बात निश्चित होकर कह सकता है कि यह किसी ऐसे व्यक्ति की तस्वीर है, जो इस्लाम मानता है. बेशक, इसमें इस व्यक्ति का पहनावा और खासतौर पर दाढ़ी मददगार साबित होगी. सिर-पैर के सवाल में इस बार का सवाल यही है कि दाढ़ी मुसलमानों की धार्मिक पहचान कैसे बन गई है. जब दुनियाभर में मूंछों को मर्दानगी से जोड़कर देखा जाता है तो फिर मुसलमान मूंछों को छोटा रखकर दाढ़ी बढ़ाने पर ही जोर क्यों देते हैं?
   इस्लाम को मानने वाले कई लोगों से इस बारे में पूछने पर ज्यादातर बताते हैं कि इसका जिक्र उनके धार्मिक ग्रंथ कुरान में है इसलिए वे इसे मानते हैं. मध्य प्रदेश के रहने वाले हकीमुद्दीन खान, जो प्राइमरी शिक्षक हैं, इसकी तुलना पंडितों की शिखा से करते हुए कहते हैं कि जिस तरह हिंदू धर्म के जानकार ब्राह्मण होते हैं और वे शिखा रखते हैं. उसी तरह से इस्लाम में दाढ़ी व्यक्ति के जानकार और बुद्धिजीवी होने का प्रतीक है. अफगानिस्तान से भारत घूमने के लिए आए अली खान भी कुछ ऐसी ही बातें दोहराते हैं और कहते है– ‘क्योंकि यह हदीस (पैगंबर का कथन) है, इसलिए ज्यादातर मुसलमान दाढ़ी बढ़ाना पसंद करते हैं. यानी यह आस्था से जुड़ा मामला है.’
  इसके साथ ही अली इस्लाम से जुड़ी एक दिलचस्प जानकारी भी देते हैं. वे बताते हैं कि अरब देशों में लोग ईरानी जनजातियों को "मजूसी" कहते थे. मजूसी एक बेहद हिंसक कौम थी और मूंछे रखना इनका शौक था. इसलिए इस्लाम को मानने वालों ने अपने आपको उनसे अलग दिखाने के लिए मूंछे छोटी और दाढ़ी बढ़ाकर रखना शुरू कर दिया.
  इस्लाम से जुड़ी ज्यादातर किताबों और मान्यताओं में इसे अल्लाह का आदेश ही बताया गया है. जानकार बताते हैं कि कुरान में अल्लाह ने कहा है कि जो उन्हें प्यार करते हैं, वह उनके सबसे प्यारे दूत (पैगंबर हजरत मोहम्मद) की राह पर चलेंगे. अल्लाह से प्यार जताने का जो सबसे आसान तरीका माना जाता है, वो यह कि उसके नुमाइंदे जो करना पसंद करते हैं, उसे करना चाहिए और जिसे नापसंद करते है, उसे नहीं करना चाहिए. इस तरह पैगंबर के रास्ते पर चलने को ‘सुन्नत’ कहा जाता है. पैगंबर मूंछें छोटी और दाढ़ी बढ़ी हुई रखते थे इसलिए उनको मानने वाले भी ऐसा ही करते हैं. कुल मिलाकर, मुसलमान मूंछों के बजाय दाढ़ी को वरीयता क्यों देते हैं इसके जवाब में यही पता चलता है कि ऐसा करने के लिए उन्हें अल्लाह से आदेश मिला है. दाढ़ी बढ़ाना और मूछें छोटी रखना इस्लाम में सुन्नत माना जाता है.

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