अभी कुछ दिन पहले TikTok में वायरल हुए एक बच्चे अहमद शाह का ‘पीछे देखो पीछे….” डायलॉग काफी चर्चा में रहा था। वह भी पाकिस्तान में रहता है एवं पठान जाति से ही ताल्लुक़ रखता है। तो आइए जानते हैं पठान लोगों के इतिहास के बारे में।
पश्तून, पख़्तून या पठान दक्षिणी एशिया में बसने वाली एक लोक-जाति है। वे मुख्य रूप में अफ़ग़ानिस्तान में हिन्दूकुश पर्वत और पाकिस्तान में सिन्धु नदी के दरमियानी क्षेत्र में रहते हैं। हालांकि पश्तून समुदाय अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और भारत के अन्य क्षेत्रों में भी रहते हैं। पश्तूनों की पहचान में पश्तो भाषा, पश्तुनवाली मर्यादा का पालन और किसी ज्ञात पश्तून क़बीले की सदस्यता शामिल हैं।
पठान जाति की जड़े कहाँ थी इस बात का इतिहासकारों को ज्ञान नहीं लेकिन संस्कृत और यूनानी स्रोतों के अनुसार उनके वर्तमान इलाक़ों में कभी पक्ता नामक जाति रहा करती थी जो संभवतः पठानों के पूर्वज रहें हों। सन् १९७९ के बाद अफ़्ग़ानिस्तान में असुरक्षा के कारण जनगणना नहीं हो पाई है लेकिन माना जाता है कि पश्तून की जनसँख्या ५ करोड़ के आसपास अनुमानित की गई है। पश्तून क़बीलों और ख़ानदानों का भी शुमार करने की कोशिश की गई है और अनुमान लगाया जाता है कि विश्व में लगभग ३५० से ४०० पठान क़बीले और उपक़बीले हैं। पश्तून जाति अफ़्ग़ानिस्तान का सबसे बड़ा समुदाय है।
पश्तून इतिहास ५ हज़ार साल से भी पुराना है और यह अलिखित तरिके से पीढ़ी-दर-पीढ़ी चला आ रहा है। पख़्तून लोक-मान्यता के अनुसार यह जाति 'बनी इस्राएल' यानी यहूदी वंश की है। इस कथा के अनुसार पश्चिमी एशिया में असीरियन साम्राज्य के समय पर लगभग २,८०० साल पहले बनी इस्राएल के दस कबीलों को देश निकाला दे दिया गया था और यही कबीले पख़्तून हैं। ऋग्वेद के चौथे खंड के ४४वे श्लोक में भी पख़्तूनों का वर्णन 'पक्त्याकय' नाम से मिलता है। इसी तरह तीसरे खंड का ९१वाँ श्लोक आफ़रीदी क़बीले का ज़िक्र 'आपर्यतय' के नाम से करता है।