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शिवराज मामा भ्रष्टाचार में लिप्त मंत्री, अधिकारियों और बाबुओं की संपत्ति पर कब चलेगा बुलडोजर?

शिवराज मामा प्लीज़ यहाँ भी थोड़ा ध्यान दे लो 
भ्रष्टाचार में लिप्त दोष सिद्ध मंत्री, अधिकारियों और बाबुओं की संपत्ति क्यों नहीं हुई राजसात?
इनके आलीशान बंगलो पर कब चलेगा बुलडोजर?
Shivraj Singh Chouhan
  प्रदेश के मुखिया शिवराज जी अपनी कार्यशैली के कारण खासे लोकप्रिय है। आम जनता उन्हें मामा जी कहकर पुकारती है और शिवराज मामा भी अपने भांजे, भांजियों, बहनों पर अत्याचार होते नही देख सकते है। जब भी कोई अत्याचार होता है, तो शिवराज मामा मंच से ही घोषणा कर देते है और अत्याचारियों व माफिया के खिलाफ मामा का बुलडोजर चल जाता हैं। किन्तु अब आम आदमी की अपेक्षा है कि शिवराज मामा सरकार के भ्रष्ट मंत्री, सफेदपोश व भ्रष्ट अधिकारियों से आम जनता खासी पीढित है, जो सत्ता के मद में चूर होकर आम आदमी पर अत्याचार कर रहे है और आम लोगों को न्याय नही मिल पाता है और सरकार की योजनाओं का लाभ लेने से वंचित रह जाते हैं। सरकार में ऊपर से लेकर नीचे स्तर तक प्रदेश में भारी भ्रष्टाचार किया जा रहा है। भ्रष्टाचारियों का प्रस्ताव बना कर फाइल भोपाल पहुंचा दी जाती हैं, किंतु भ्रष्टाचारियों की फाइल भोपाल में मंत्री व अधिकारियों द्वारा दबा दी जाती हैं।
   यह भ्रष्टाचार का आक्रोश आगामी विधानसभा चुनावों में भी देखने को मिल सकता है। प्रदेश सरकार के मुखिया तो आम जनता के प्रति जागरूक व सक्रिय भूमिका में नजर आ रहे है, किंतु भ्रष्ट मंत्री, भ्रष्ट अधिकारियों के कारण सरकार की किरकिरी हो रही हैं। अधिकारियों की शिकायतों में जाँच के बाद दोष सिद्ध भी हुआ है। उनका सिर्फ निलंबन कर दिया जाता हैं और 6-8 महीने के बाद पुनः पदस्थापना दे दी जाती हैं तो उनके खिलाफ मामा जी सख्त कदम क्यो नही उठाते? अधिकारियों के द्वारा भ्रष्टाचार करके करोड़ो रूपये का धन अर्जित कर लेते हैं, आयकर विभाग व लोकायुक्त की छापेमारी कार्यवाही में अधिकारी व बाबू करोड़पति निकलता है तो उस धन को राजसात कर लिया जावे और उनके घर पर भी बुलडोजर चलाया जावे। ठीक इसी प्रकार सफेदपोश राजनीतिज्ञ नेता मंत्री भ्रष्टाचार के घोटाले में दोषी पाए जाते हैं तो इनकी चल-अचल संपत्ति को भी राजसात किया जावे और इनके बड़े-बड़े आलीशान भवनों पर बुलडोजर चलाया जावे। 
  कहा जाता हैं कि आज के समय में नेता से बड़ा कोई गुंडा नही होता है। यही नेता गुंडों को पालते हैं और प्रदेश में सत्ता के दम पर यह गुंडे आम आदमी पर खुलेआम अत्याचार करते हैं। इसी प्रकार भ्रष्ट अधिकारी भी शराब व्यापारी, भूमाफिया, नेताओं को संरक्षण देते हैं। अगर प्रदेश की अफसरशाही में भय का वातावरण हो और ईमानदारी व नियमानुसार कड़ी कार्यवाही करें तो माफिया पैदा ही नहीं होंगे! देश व प्रदेश में भ्रष्टाचार की जड़े मजबूत व गहरी हैं। भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगाया गया तो गरीब, गरीब ही रहेगा और अमीर और अमीर बन जायेगा। आपको बता दे कि गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालो की सूची में अमीर लोगों के नाम है और वही शासन की योजनाओं का लाभ ले रहे है। यह तथ्य आश्चर्य जनक किंतु सत्य है।
प्रदेश में लोकप्रिय तबादला उद्योग के कारण भ्रष्टाचार बढ़ा है
 प्रदेश में सरकार किसी भी दल की हो, जब तबादला किये जाते है तो प्रदेश की राजधानी भोपाल में तबादला उधोग के नाम पर मेला लगता है और खुलेआम मंत्रियों के बंगलो पर ओएसडी, उनका निजी स्टॉफ खुलेआम करोड़ों रुपये का व्यापार करते है। इस तबादला उधोग में जो अधिकारी रुपये खर्च करते हैं तो वह जिलों में पदस्थापित होते ही आम लोगों से शासन की योजनाओं का लाभ लेने के नाम पर भारी भ्रष्टाचार करते हैं। तबादले में जो खर्च किया है उसे कमाने के लिए भ्रष्टाचार करते हैं। तबादला उधोग पर सरकार अंकुश लगाए और तबादला उधोग के दौरान मंत्रियों के बंगलो पर छापेमारी की कार्यवाही की जावे। भ्रष्टाचार के कारण प्रदेश का आम आदमी तो गरीब था और हैं। भ्रष्टाचार करके अफसरशाही, बाबू करोड़पति बन जाते हैं। इसी प्रकार प्रदेश के सफेदपोश नेताओं की चल अचल संपत्ति को देखा जाए तो चंद वर्षो में करोड़पति, अरबपति बन जाते हैं। अब देखना होगा कि शिवराज मामा का बुलडोजर पर्दे के आगे जो माफिया हैं उन पर तो बुलडोजर चलता ही है किंतु जो पर्दे के पीछे माफिया बनकर बैठे हैं। क्या ऐसे लोगों पर शिवराज मामा बुलडोजर चलेगा?
तबादले के नियम सिर्फ अधिकारियों के लिए बाबुओं के लिए नहीं
   प्रदेश में सरकार ने तबादले के नियम सिर्फ अधिकारियों पर ही थोपे हैं। विभागीय अधिकारी का कार्यकाल तीन साल का नियत किया गया है और बाबूजी विगत 25 वर्षों से विभाग में जमे हुए हैं। कार्यालय में शासन की योजनाओं को चलाने के लिए बाबू राज कायम रहता है अधिकारी तो आते जाते है। यही बाबू लेनदेन का कार्य करते हैं और अधिकारियों को कमाकर देते हैं। जब तक इन बाबुओं को नही हटाया जाता हैं तो इनकी जमी हुई भ्रष्टाचार की दुकानदारी निरन्तर चलती रहती हैं। राज्य सरकार अपनी स्थानांतरण नीति पर गौर करें?



(राकेश साहू)

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