घटना और दुर्घटना में फर्क है। दुर्घटनाओ का होना मनुष्य के हाथ में नहीं होता। दुर्घटनाओ के होने में लापरवाही, ग्रहो की विपरीत स्थिति, दुर्घटना के समय तारा बाला और वास्तु दोष, इन चारो का हाथ होता है।
दुर्घटना भी कई प्रकार की होती है - मामूली खरोच, ऐसी चोट जो कुछ दिनों तक दर्द दे, या ऐसी चोट जिसमे हड़िया टूट जाये और अपंग करने वाले दुर्घटनाये होती है तो कुछ जान लेवा दुर्घटनाये भी। सरकारी आंकड़े की बात करे तो केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) का कहना है कि २०२० के दौरान सड़क दुर्घटनाओं के ३,५४,७९६ मामले दर्ज किए गए, जिनमें १,३३,२०१ लोग मारे गए और ३,३५,२०१ घायल हुए। दुर्घटनाओ का आभास हमें होता भी है शकुन के माध्यम से। पूरी प्रकृति ही मनुष्य को विभिन्न तरीको से निरंतर दिशा निर्देश देती है, कई बार हम उन्हें समझ नहीं पाते, कई बार समझ के सावधान हो जाते है और कई बार अनदेखा कर के दुर्घटनाओ के सम्मुखीन हो जाते है।
दुर्घटनाएं और ज्योतिष
ज्योतिषी पक्ष की बात करे शनि, राहु और मंगल का सम्बन्ध जीवन में हो रहे अकस्मात् घटनाओ और दुर्घटनाओ से जोड़ा जाता है।७ व भाव प्रबल मारक है, २ रा भाव भी मारक है। ६, ८ और १२ वे भाव से ७ वे या २ रे भाव का सम्बन्ध भी दुर्घटनाएं देता है।
दुर्घटनाएं और वास्तु
सबसे अधिक दुर्घटनाएं वास्तु द्वारों के कारण होती हैं। अधिकांश लोग समझ ही नहीं पाते कि गलती कहां हो गई। नार्थ ईस्ट का एक खास द्वार निश्चित दुर्घटना व कभी कभी मृत्यु देता है, अग्नि दुर्घटना, बिजली का करंट लगने से मृत्यु। साउथ ईस्ट कोने का द्वार भी दुर्घटना देता है। अग्निकोण का द्वार तथा अग्नि कोण का बढ़ा हुआ होना एक साथ होने पर विद्युतपात से, बिजली के झटकों से मृत्यु देता है।
साउथ वेस्ट का द्वार या विस्तार कानून के उल्लंघन से होने वाली दुर्घटनाएं देता है। हाल ही मे मैंने अर्पिता मुख़र्जी और पार्था चटर्जी के घरो के नक्सो को स्टडी किया था तो ये डिफेक्ट उनके घरो में देखने को मिला। यही दुर्घटनाएं पश्चिमी दिशा मध्य से नैर्ऋत्य कोण की ओर चलने पर द्वार होने से आती है।
कर लगाने वाली संस्थाओं के छापे, नगर निगम के द्वारा की गई तोड़- फोड़, उपद्रवों के समय पुलिस की गोली से या आपसी हिंसा के कारण होने वाली दुर्घटना वेस्ट से साउथ वेस्ट के बिच के द्वार देते है। इन दिनों जो छपे मारिया हो रही है यह भी दुर्घटना ही है और इनका भी वास्तु से सम्बन्ध है। दशा, अन्तर्दशा का साथ मिलने पर बड़े बड़े छापेमारियां हो रही है और वास्तु डिफेक्ट सोने पे सुहागा का काम कर रहे है। ब्रह्म स्थान में गड्ढे या जल के होने से महाभारत युद्ध जैसी महादुर्घटना हुई। कई इमारतों के निर्माण में मजदुर की मृत्यु हो जाती है ये भी गलत वास्तु के निर्माण कार्य का नतीजा होता है। भूखण्ड का गलत ढलान वाहन दुर्घटनाएं देता हैं। वास्तु के दुष्परिणामों में पुत्र की दुर्घटना में मृत्यु भी शामिल है। कई बार परिजन मृत्यु का कारण बनते है ये भी वास्तु डिफेक्ट के कारण पाए गए है। जानवरो के काटने से मरना, जहर से मरना, फांसी लगा के मरना, दुश्मन के घात से मृत्यु हर तरह की दुर्घटनाओं में मृत्यु के कारण को घर या फैक्ट्री या ऑफिस के वास्तु से देखा जा सकता है। पहले देखने पर समाधान कर के दुर्घटनाओ से बचा जा सकता है अन्यथा बाद में सिर्फ कारण ही ढूंढना अवसेस रह जाता है।
कई बार देखा गया है की मजदुर कारखानों में हड़ताल कर देते है। आपको जान कर ताज्जुभ होगा ये भी वास्तु से देखा जा सकता है और समाधान भी संभव है।
सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ. सुमित्रा अग्रवाल
इंटरनेशनल वास्तु अकडेमी, सिटी प्रेजिडेंट कोलकाता