चीन की नज़र अब पाकिस्तानी गधों पर क्यों है?
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चीन की नज़र अब पाकिस्तानी गधों पर क्यों है?

चीन न सभी गधों का क्या करता है जो वे पाकिस्तान से आयात करते हैं?
दामाद को तो सिर्फ़ कुत्ते का ही मीट
Pakistan Donkey
   चीन को न सिर्फ पाकिस्तानी गधों में दिलचस्पी है बल्कि पाकिस्तान के कुत्तों में भी दिलचस्पी है। चीन बहुत दिनों से प्रयास कर रहा है कि पाकिस्तान सीधे गधे और कुत्तों के मीट को निर्यात करे। इस मीट उद्योग से जुड़े कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन से चीन बचना चाहता है। गधे के मीट का प्रमुख रूप से चीन में पारंपरिक देशी दवा बनाने में किया जाता है। गधे के मीट से प्राप्त जिलेटिन से इजाओ नामक चमत्कारी देशी दवा बनाई जाती है। इस दवा से खून साफ होता है और शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र भी सुदृढ़ होता है। 
  सुनने में आया है कि इस दवा से बुद्धि का विकास भी होता है। राहुल गांधी और चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी के बीच में जो समझौता हुआ है उसमें एक क्लाज यह भी है कि इजाओ की निर्बाध आपूर्ति राहुल गांधी के लिए चीन करता रहेगा। गधे और कुत्तों का मीट चीन में बहुत लोकप्रिय है लोग अपने मेहमानों को यही मीट खिलाना पसंद करते हैं। खासतौर पर शादी समारोहों में यही मीट पसंद किया जाता है। दामाद को तो सिर्फ़ कुत्ते का ही मीट दिया जाता है। चीन के सारे गधे चीनी खा चुके हैं अब उनकी लार टपकाती दृष्टि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के गधों पर पड़ चुकी है। अब अल्लाह बचाए इन पाकिस्तानी अफगानिस्तानी गधों को। पाकिस्तान और अफगानिस्तान में कुल मिलाकर 1 करोड़ गधे हैं। लंपी वायरस की वजह से फिलहाल अफगानिस्तान से गधे नहीं निर्यात हो रहे हैं। 

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