सुजानगढ़/राजस्थान।। जया किशोरी का नाम सुनते ही लोगों के मन में भक्ति भाव उत्पन्न हो जाता है, जी हां जया किशोरी, राजस्थान के सुजानगढ़ की एक सुंदर एवं शुशील कन्या हैं जो कृष्ण भक्ति में लींन रहती हैं एवं भक्ति संवाद करती हैं।
13 जुलाई 1995 को कोलकाता में जन्मीं जया किशोरी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वो सत्संग-भजन से इकट्ठे सभी पैसों को नारायण सेवा संस्थान ट्रस्ट को दान करती हैं.
जया किशोरी राजस्थान के सुजानगढ़ से हैं। एक गौड़ ब्राह्मण परिवार में पैदा हुईं। घर में पूजा-पाठ का माहौल था, तो बचपन से ही जया का झुकाव कृष्ण भक्ति की ओर रहा. उम्र के नवें साल में ही जया संस्कृत में लिंगाष्टकम्, शिव-तांडव स्तोत्रम्, रामाष्टकम् आदि स्तोत्र गा लेती थीं। वो कोलकाता के महादेवी बिड़ला वर्ल्ड एकेडमी से पढ़ी हैं.
जया ने शुरुआती दीक्षा पं गोविंदराम मिश्र से ली थी। वो जया को राधा कहकर बुलाते थे। उन्होंने ही कृष्ण के प्रति प्रेम को देखते हुए जया को ‘किशोरी जी’ की उपाधि दी थी।
अब जया अपने भक्तों के बीच जया किशोरी के नाम से जानी जाती हैं और जब वो ‘नानी बाई का मायरा, नरसी का भात’ नाम से सत्संग करती हैं, तो लाखों की भीड़ जुटती है।