बांसवाड़ा/राजस्थान।। श्रद्धा भक्ति ओर आस्था से ओतप्रोत मठ मंगलेश्वर, जहा विराजते हैं महादेव तो हनुमान भी देते है पहरा, जी हां किसी तीर्थ से कम नहीं है मठ मंगलेश्वर। धार्मिक आस्था का एक प्राचीन केंद्र के रूप में पहचाने जाने वाले मठ मंगलेश्वर महादेव मंदिर जहा देवादी देव महादेव का मंदिर पुरा काल से विद्यमान है, ज़हां श्रद्धा भक्ति आस्था का संचार होता है।
आज हम राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के कुशलगढ़ विधानसभा क्षेत्र के मठ मंगलेश्वर धाम पर हमारे दर्शकों का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर रहे है। यह पवित्र धाम राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के कुशलगढ़ क्षेत्र के देहात में बसा हुआ है। ये मठ मंगलेश्वर महादेव मंदिर आदिवासी अंचल ही नहीं अपितु हिंदू धर्म के भक्ति और आस्था का भी एक विशेष केंद्र है। यहां भगवान शिव के भक्त अपनी मंशा एवं आस्था लिए आते हैं और मनोकामना पूर्ण होने पर यहां पूजा अर्चना कर अपनी स्वेच्छानुसार भेंट भी अर्पित करते हैं।
यहां के मठाधीश की माने तो इस मंदिर का पौराणिक इतिहास आज तक किसी को नहीं पता। यहा ऐसी किवदंती मानी जाती है कि पौराणिक काल में जब पृथ्वी उथल-पुथल हुई, उसके बाद भी यहां पर महादेव का यह शिवलिंग अपनी जगह से टस से मस नहीं हो पाया था। इस मंदिर में वर्ष पर्यंत दो मेले लगते हैं जिसमें एक महाशिवरात्री तो दूसरा शरद पूर्णिमा पर लगता है।
इस मेले में बांसवाड़ा जिले के ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश, गुजरात के भक्तजन भी शामिल होते हैं। साथ ही यहां मंदिर के पास हिरण नदी के बहने से यहां के आदिवासी अंचल में अस्थि विसर्जन का भी केंद्र बना हुआ है। यहां के मठाधीश एवं विप्र वर्ग ने बताया कि पूर्व में वसुंधरा राजे सरकार एवं वर्तमान में गहलोत सरकार के सहयोग से मंदिर के जीर्णोद्धार का काम चल रहा है। काम पूरा होने के बाद यह मंदिर अपने भव्य रूप में दिखाई देगा।