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खेल सामग्री और कंटिंजेंसी राशि में 9 करोड़ का घोटाला, स्कूलों में नहीं पहुंचा सामान

  खरगोन/मध्यप्रदेश।। मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के 3 हजार से ज्यादा प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में सालाना सप्लाई की जाने वाली खेल सामग्री और कंटेंजेंसी राशि में 9 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया है। बीआरसी और डीपीसी ऑफिस में एडवांस में खेल सामग्री के एडवांस बिल बनाकर खरीदी की गई। लेकिन अधिकांश स्कूलों में खेल सामग्री भेजी ही नहीं गई और फ़र्ज़ी बिल लगा दिए गए। वही हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खरगोन दौरे पर पहुंचे और उन्होंने मंच से ही अफसरों पर कार्रवाई के आदेश दे दिए। शिक्षा विभाग के घोटाले की भनक लगते ही भाजपाइयों ने मामला उठाया है। सीएम तक कई शिकायत पहुंच गई, जिस पर कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने जांच कमेटी बनाई है।
20 महीने पहले लगे बिल, खेल सामग्री अब तक नहीं आई 
  आदिवासी भगवानपुरा विकासखंड के ग्राम मदनी के प्राथमिक विद्यालय और माध्यमिक विद्यालय में खेल सामग्री के नाम पर प्राथमिक विद्यालय में 5 हजार और माध्यमिक विद्यालय में 10 हजार रुपए के बिल 20 महीने पहले ही लग चुके हैं लेकिन खेल सामग्री अब तक नहीं आई है। अब जब मामला सामने आया है तो खेल सामग्री देने की बात की जा रही है। ग्राम मदनी के भेरूपुरा प्राथमिक विद्यालय में खेल सामग्री के नाम पर प्लास्टिक के महज 2 शंकु पाए गए।
स्कूल में बिल मिले लेकिन सामग्री नहीं
   स्टेशनरी और अन्य सामग्री के ऐसे बिल भी मिले हैं जिन पर ना तो दुकानदार का मोबाइल नंबर है और ना ही प्रतिष्ठान का टीन नंबर और जीएसटी नंबर छपा है। खेल के अलावा दूसरे सामान के बिल भी हैं लेकिन स्कूल में वो सामग्री नहीं है। घोटाला उजागर होने के बाद शिक्षक सहम गए हैं। नाम प्रसारित न करने पर एक शिक्षक बोलने पर तैयार हुए। मदनी स्कूल में पिछले साल पुताई नहीं हुई है, इस बार होगी। प्रधान पाठक मुकेश पाटीदार ने बताया कि पिछले साल की खेल सामग्री का बिल मिल गया था। सामग्री अब लाएंगे।
हर साल 1.96 करोड़ की खरीदी, कंटेंजेंसी रकम अलग
  खरगोन में 2 हजार 363 प्राथमिक स्कूल और 783 माध्यमिक स्कूलों के लिए खेल सामग्री की राशि जारी होती है। प्राथमिक विद्यालय के लिए 5 हजार प्रति स्कूल के हिसाब से 1 करोड़ 18 लाख 15 हजार रुपए और माध्यमिक विद्यालय के लिए 10 हजार प्रति स्कूल के हिसाब से 78 लाख 30 हजार रुपए अर्थात कुल 3 हजार 146 शालाओं के लिए 1 करोड़ 96 लाख 45 हजार रुपए प्रति वर्ष सिर्फ खेल सामग्री के लिए ही जारी होते हैं। इसके अतिरिक्त इतनी की कंटेंजेंसी की रकम होती है।
निगरानी रखने वालों पर ही लगे हैं आरोप
  खरगोन में 2 ब्लॉक शिक्षा विभाग और 7 आदिवासी विकास के अंतर्गत आते हैं। प्राथमिक शिक्षा, खरीदी, मध्याह्न भोजन, कंटेंजेंसी का इस्तेमाल सहित शैक्षणिक गतिविधियों पर डीपीसी, बीआरसी, बीएससी, जनशिक्षक और संकुल प्राचार्य नजर रखते हैं। मामले को उजागर करने वाले पूर्व खरगोन विधायक बाबूलाल महाजन का कहना है कि 2 साल में करीब 9 करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ है। शिकायत कलेक्टर और सीईओ, शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री को भी की भेजी गई है। मामला उजागर होने पर कलेक्टर ने जांच कमेटी बनाई है। मंगलवार को शिकायतकर्ताओं ने कार्रवाई की स्थिति पूछी है। अब उनका कहना है कि सीएम को दौरे में घोटाले से अवगत कराएंगे।
एडवांस बिल बुलवाने की परंपरा
  शिक्षा विभाग में 3 सालों से खूब घोटाले हो रहे हैं। लैब उपकरण खरीदी, शैक्षणिक भ्रमण और सौंदर्यीकरण में हर साल बड़ी रकम खर्च होती है। इसके अलावा परीक्षा सामग्री के लिए भी सालाना खर्च आवंटन होता है। शिक्षक कांग्रेस के प्रतिनिधि शाला मद की राशि में एडवांस बिल और बाबुओं को प्राचार्यों से कम खरीदी और पर्याप्त बिल ना मिलने पर कई पेंच निकालने के पहले भी आरोप लगा चुकी है। सुरेंद्र सिंह पंवार, कयुम खान ने कहा कि संगठन के माध्यम से आर्थिक अनियमितताओं संबंधी कई पत्र विभागीय अफसरों को भेजे हैं। मिलीभगत होने से कठोर कार्रवाई ही नहीं होती है।
20 स्कूलों की रोज मिल रही रिपोर्ट
  घोटाले में कलेक्टर ने जांच कमेटी बना दी है। कमेटी की रोज 20-25 स्कूलों की रिपोर्ट सौंप रही है। खरगोन में 3 हजार से ज्यादा प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल हैं। ऐसा माना जा रहा है कि अवकाश के दिनों को मिलाकर जांच रिपोर्ट तैयार होने में 6 महीने लग सकते हैं। ऐसे में ये पूरा शैक्षणिक सत्र गुजर जाएगा।
'जांच होने में लग सकता है समय'
  खरगोन के एसडीएम और खेल सामग्री खरीदी जांच अधिकारी ओमनारायण सिंह बडकुल का कहना है कि भगवानपुरा की स्कूलों में जांच चल रही है। सूक्ष्मता से भौतिक सत्यापन के साथ जांच की जा रही है ताकि कोर्ट में भी सही तथ्य रखे जा सकें। जिले की सभी स्कूलों में जांच होना है इसलिए समय लग सकता है लेकिन जहां आर्थिक अनियमितता पाई जाएगी वहां कड़ी कार्रवाई होगी।

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