उदयपुर/राजस्थान।। कन्हैया लाल की जान गई, वही अब गला रेतने वालों को जिन्होंने पकड़वाया उनका सुख-चैन गया चला गया है, उन्हें कुछ दहशतगर्दों द्वारा जान का खतरा बताया जा रहा है। वही सरकार ने जो उनकी सुरक्षा और सरकारी नौकरी देने के लिए जो वादे किये थे उन्हें गहलोत सरकार पूरी तरह से भूल चुकी है वही अब गाँव वाले इन वीरों पर हँसते हैं, सो अलग।
जी हा राजस्थान के उदयपुर में जून 2022 में कन्हैया लाल का गला रेत दिया गया था। गला रेतने वाले मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद को पकड़वाने में जिन दो युवकों ने भूमिका निभाई, अब वे खौफ में जी रहे हैं। इन युवकों के अनुसार उनकी जान को खतरा है। कोई उनको नौकरी देने को तैयार नहीं है। उस समय राजस्थान सरकार ने जो वादा किया था, वह भूल गई। अब इनका हाल देखकर गाँव वाले इन पर हँसते हैं।
इन युवकों के नाम हैं- शक्ति सिंह और प्रह्लाद। 28 जून 2022 को जब कन्हैया लाल के हत्यारे रियाज और गौस मोहम्मद भाग निकले थे तो राजसमंद में इनको पकड़वाने में शक्ति सिंह और प्रह्लाद ने अहम भूमिका निभाई थी। लेकिन, अब उनका घर से निकलना भी मुश्किल हो गया है।
शक्ति और प्रह्लाद की सहायता से जब पुलिस ने आरोपितों को पकड़ा था, तब प्रशासन ने उनकी जमकर वाहवाही की थी। राजस्थान सरकार ने भी दोनों की सुरक्षा के लिए गार्ड, बंदूक का लाइसेंस और नौकरी देने का वादा किया था। लेकिन, गहलोत सरकार द्वारा किया गया एक भी वादा पूरा नहीं हुआ है।
नहीं मिल रही नौकरी, जान का खतरा
शक्ति सिंह का कहना है कि वह सूरत में एक किराना दुकान में काम करते थे। घटना से कुछ दिन पहले ही गाँव आए थे। कन्हैया लाल की हत्या के आरोपितों को पकड़वाने के बाद उनका चेहरा सबके सामने आ गया था। इसके करना दुकान मालिक ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया। अब कहीं नौकरी नहीं मिल रही। वहीं, होटल में काम करने वाले प्रह्लाद का कहना है कि हर समय जान का खतरा मंडराता रहता है।
शक्ति सिंह और प्रह्लाद के अनुसार रियाज और गौस जब भाग रहे थे तो चौराहे पर उनके अलावा कई और लोग भी बैठे थे। लेकिन, उन्होंने करीब 25 किलोमीटर पीछाकर आरोपितों को पकड़वाया था। हत्या के बाद दोनों आरोपित अजमेर भागने की फिराक में थे। स्थानीय भीम थाने के एक परिचित ने उनसे आरोपितों पर नजर रखने के लिए कहा था।
इसी दौरान, उनकी नजर रियाज और गौस पर पड़ी। दोनों ने इसकी सूचना पुलिस को दी और फिर आरोपितों का पीछा करना शुरू कर दिया। दोनों आरोपित पुलिस चेकपोस्ट से होकर ही गुजरे थे। लेकिन, किसी पुलिसकर्मी ने उन पर ध्यान नहीं दिया। इसके बाद भी उन्होंने पीछा करना नहीं छोड़ा। साथ ही, पुलिस को भी लोकेशन बताते रहे। इस तरह पुलिस ने उसकी सहायता से दोनों को दबोच लिया था।
शक्ति सिंह और प्रह्लाद आज अपनी स्थिति से बेहद दुःखी हैं। वे कहते हैं कि उन्होंने पुलिस की मदद कर आरोपितों को पकड़वाया था। इसके बाद से ही उनकी स्थिति खराब हो गई। आज डर के साए में जी रहे हैं। सरकार मुड़कर देखने को तैयार नहीं है। दोनों का कहना है कि उनकी हालत देखकर गाँव वाले हँसते हैं। यदि हालत ऐसी ही रही तो कोई कभी किसी की मदद के लिए आगे नहीं आएगा। उन्होंने यह भी बताया कि कन्हैया लाल के बेटे यश ने उन्हें 25-25 हजार रुपए की सहायता दी है।