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आदिकवि भगवान वाल्मीकि से नवाजे गए डॉक्टर कांती भाई कटारा

 बांसवाड़ा/राजस्थान।। कुशलगढ़ जिला वसुनी गांव में जन्मे आदिवासी समाज के कांती भाई कटारा ने अपनी योग्यता से मंजिल हासिल की है। जी हां मेवाड़ वागड़ मालवा जनजाति विकास संस्थान उदयपुर में 10वा आंचल स्तरीय जनजाति प्रतिमा समारोह में आदिकवि भगवान वाल्मीकि से डॉक्टर कांती भाई कटारा को नवाजा गया है। 
Janjati pratibha samman by ashok gehlot
 एक ऐसे व्यक्ति की खबर से आज हम आपको रुबरु करवा रहें हैं, जो राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के कुशलगढ़ उपखंड क्षेत्र में मध्यप्रदेश की सीमा से सटे वसुनी गांव में रहने वाले जनजाति आदिवासी परिवार में जन्मे कांती भाई कटारा ने जो तालिम हासिल की वो तारीफ ए काबील है। 
Aadi Kavi Bhagwan Valmiki
  जनजाति परिवार में जन्मे कांती भाई को बचपन से ही पढ़ने-लिखने का जुनून सवार था। वही कांती भाई ने भी जी तोड मेहनत कर उच्च शिक्षा की तालीम हासिल की। 
Kanti Bhai Katara
Mewar Vagad Malwa Janjati Vikas Sansthan
  समय के साथ कांति भाई शिक्षा की सीडी दर सीडी चढ़ते हुए, उन्होंने अपनी इच्छा शक्ति से और उनके माता पिता परिजनों व गुरुजनों के सहयोग ओर आशीर्वाद ने पढ़ाई लिखाई में कांती भाई को इस मुकाम तक पहुँचाया। 
Kanti Bhai Katara and his wife
Aadi Kavi Bhagwan Valmiki Purskar
  जानकारों का कहना है कि कांति भाई के गरीब माता-पिता ने दिन रात मेहनत मजदूरी कर कांति भाई को पढ़ाया-लिखाया। वही कांती भाई ने भी उच्च शिक्षा अर्जित कर एक नया किर्तिमान स्थापित किया। 
Janjati pratibha samman
Kanti bhai katara with his wife
  बतादे कि वसूनी नामक एक छोटे से गांव के इस गुदड़ी के लाल को श्री मेवाड़ वागड़ मालवा जनजाति विकास संस्थान उदयपुर द्वारा 10वे अंचल स्तरीय जनजाति प्रतिमा सम्मान एवं सर्व समाज शिक्षक गौरव समारोह वर्ष 2022 का आदिवासी भगवान रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि ऋषि पुरुस्कार से कांती भाई कटारा को पीएचडी की उपाधि से नवाजा गया। 
Janjati pratibha samman
Janjati pratibha samman at udaipur
  उन्होंने अपना शोध विषय आदिवासियों में राजनीतिक एवं सामाजिक चेतना के विकास में श्रद्धेय मामा बालेश्वर दयाल के योगदान पर एक ऐतिहासिक अध्ययन डॉक्टर प्रमिला सिंघवी के निर्देशन में पुर्ण कर एक नया मुकाम पाया है। 

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