बांसवाड़ा/राजस्थान।। राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के कोतवाल रतनसिंह चौहान के जज्बे को आज हर कोई सलामी दे रहा है। 19,341 फीट की ऊँचाई, पारा माइनस -15 डिग्री ओर ऑक्सीजन लेवल 60 पर पहुँच जाए तो ऐसी स्थिति में हर कोई सहम जाएगा। लेकिन राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में पदस्थ बांसवाड़ा थानाधिकारी रतनसिंह चौहान ने ऐसी विपरीत परिस्थितियों में भी एक कमाल कर दिखाया है।
राजस्थान पुलिस विभाग के इस कर्मठ थानाधिकारी ने अफ्रीका की सबसे ऊँची चोटी किलीमंज़ारो जिसकी ऊंचाई 19,341 फीट बताई जा रही है, इसकी चोटी पर तिरंगा फहराते हुए उन्होंने देश को गौरवान्वित किया है।
बांसवाड़ा कोतवाली थानाधिकारी रतन सिंह चौहान ने अपने पर्वतारोही हुनर को दिखाते हुए अफ्रीका महाद्वीप के सर्वोच्च पर्वत शिखर किलिंमजारों पर तिरंगा फहराया है। साथ ही उन्होंने वहा पर राजस्थान पुलिस का झंडा भी यहां फहराया है। उन्होंने यह चढ़ाई 5 अन्य लोगों के साथ की है।
बांसवाड़ा डीएसपी सूर्यवीर सिंह ने बताया कि शहर कोतवाल ने अफ्रीका महाद्वीप की सर्वोच्च पर्वत शिखर किलिंमजारों पर तिरंगा फहराया है। इससे पहले भी शहर कोतवाल कई ऊंची पहाड़ियों और ऊंची-ऊंची श्रृंखलाओं पर तिरंगा फैलाकर राजस्थान पुलिस का नाम रोशन कर चुके हैं। इस बार उन्होंने तिरंगे के साथ ही राजस्थान पुलिस का ध्वज भी इस ऊँची चोटी पर फहराया है। जानकारी अनुसार हाल ही में 17 जनवरी को एसपी राजेश कुमार मीणा और कलेक्टर प्रकाश चंद शर्मा ने अपने-अपने ध्वज देकर पर्वतारोहण के लिए रवाना किया था।
डीएसपी ने बताया कि कोतवाल ने इस पर्वत श्रृंखला को 5 अन्य लोगों के साथ मिलकर अपनी इस मुहीम को पूरा किया है। चौहान ने किलिंमजारों की चढ़ाई गत 20 जनवरी को मचामें रूट से प्रारंभ की थी। उन्होंने 1800 मीटर की चढ़ाई से ऊपर चढ़ना शुरू किया था। इसके बाद सबसे पहला कैंप 2835 मीटर पर किया। दूसरा कैंप 3750 मीटर पर किया। इसके बाद बर्नाकू कैंप 3930 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचकर किया, जबकि बराफू कैंप 4600 मीटर की ऊंचाई पर किया। इसके बाद 23 और 24 जनवरी की मध्य रात्रि करीब 12 बजे फाइनल यानी आखरी चढ़ाई शुरू की। इसके बाद वह सुबह करीब 6 बजे स्टेला पॉइंट पहुंचे, जबकि 7 बजे किलिमंजारो की चोटी पर तिरंगा फहरा दिया।
ऊंची चोटी से दी गणतंत्र दिवस की बधाई
इस संबंध में शहर कोतवाल रतन सिंह चौहान ने बताया कि उन्होंने ऊंची चोटी से देशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने बताया कि यात्रा में कई कठिनाइयां आईं, जिन्हें उन्होंने साहस पूर्वक पार कर लिया। उन्होंने बताया कि किसी भी दुर्गम पर्वत की चढ़ाई चढ़ने के लिए एक विशेष ट्रेनिंग की आवश्यकता होती है। चौहान का कहना है कि वह पहले भी कई बार पर्वतारोहण कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि 5 फ्रांसीसी पर्वतारोहियों के साथ उन्होंने यह चढ़ाई पूरी की है। इसके साथ ही उनके साथ गाइड व कुकिंग स्टाफ आदि भी मौजूद इस दौरान मौजूद रहे।