माँ बाप का कोई पता नहीं! अब दो बेटियों का जीवन भगवान भरोसे
बांसवाड़ा/राजस्थान।। अब पीछे रहे परिवार की हालत दयनीय हो गई, 2 बालिकाएं है, जिनका भविष्य अब अन्धकारमय होता जा रहा है। जी हां ऐसा ही एक मामला राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के घाटोल ब्लॉक के गांव बरोड़ा में सामने आया है। इस दर्द भरी दास्तां को दादा नाकसी डोडियार रोते हुए अपने ही बेटे एवं बहू की कहानी को बयां करते हैं।
वह कहते हैं कि मेरा परिवार खुशहाल था जब पहले एक सफ़र में उनका पुत्र शंकर चरपोटा सऊदी अरब रोजगार के लिए गया तो दो वर्षो में जो कर्जा था, वह धीरे-धीरे उसको भर रहा था परन्तु जब वह पुन: 2013 में वापस सउदी अरब गया तो एक माह तक तो फ़ोन पर बातचित होती रही, परन्तु उसके बाद से आज तक उसका कोई अता-पता नही चला।
डोडियार ने बताया कि वहा पर रोजगाररत अन्य लोगो से भी उन्होने अपने बेटे कि जानकारी ली एवं अपने गुमशुदा बेटे की तलाश के लिए हर जगह वेदना एवं दर्द भरी कहानी बयां की परंतु अभी तक उसका किसी प्रकार का कोई भी पता नहीं चल पाया है। डोडियार ने कहा कि उन्होंने ग्राम पंचायत से लेकर पूर्व सांसद तक को भी परिवाद देकर अपने बेटे की तलाश के लिए गुहार लगाई परंतु मदद के नाम पर अभी तक कुछ भी हासिल नहीं हो पा रहा है। डोडियार बताते है कि अभी तो वह दोनों दादा-दादी इन बालिकाओं का भरण पोषण कर रहे हैं, परंतु हमारे बाद इनका क्या होगा? यह नहीं कह सकते हैं।
प्रश्न चिन्ह तो हमारे कामों पर तब नजर आता है जब इस प्रकार की घटना के घटित होने के 9 वर्षों बाद भी कोई समाधान अभी तक नहीं निकल पाया। वही सरकार कहती है योजनाओं का लाभ सभी तक पहुंच रहा है, एवं सभी लोग खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं परंतु अगर हम धरातल पर जाकर जाकर देखे तो हमारा दिल भी पसीज जाएगा। अब इस गरीब परिवार के पास भी कोई रोजगार का साधन नहीं है एवं खेती भी बहुत कम है वही दोनों को वृद्धावस्था पेंशन तक नसीब नहीं हो पा रही है, क्योंकि वोटर आईडी कार्ड में तो उनकी उम्र प्रमाणिकता के आधार पर वह बुजुर्ग माने गए हैं परंतु आधार कार्ड में उम्र का कोई ख्याल नहीं रखने के कारण से वह आज भी 40 वर्ष के दर्शाए गए है जबकि उनके गुमशुदा बेटे शंकर की उम्र ही 37 वर्ष है।
डोडियार का कहना है कि उनको ना तो पेंशन मिलती है और ना ही उन्हें खाद्यान्न सुरक्षा का लाभ मिलता है, जब लेने जाते हैं तो वह कहते है कि अब आपको तो गेहूं नहीं मिलेगा पिताजी है नहीं और मां नाते चली गई इसलिए बालिका का आधार कार्ड बन नहीं रहा है। दादा कहते हैं कि उन्होंने 10 से 15 बार घाटोल जाकर कोशिश की परंतु अभी तक आधार कार्ड नहीं बन पाया वही बालिकाओं का नाम राशन कार्ड में है, परंतु एक बालिका का आधार कार्ड नहीं होने से उन्हें गेहूं नहीं मिल पा रहा है।
वही चाइल्ड हेल्प लाइन 1098 के परमेश पाटीदार ने बताया कि जैसे उन्हें उक्त केस की जानकारी मिली तो उन्होंने तुरंत ही अपनी टीम के सदस्य शोभा सोनी, निशा चौहान, कांतिलाल यादव एवं कमलेश बुनकर को मौके पर जाकर उक्त केस की जानकारी लेकर प्रारंभिक तौर पर मदद करने के लिए कहा जिस पर टीम ने आस-पड़ोस की जानकारी ली तो पाया कि वास्तव में परिवार बहुत ही कष्टमय जीवन में जी रहा है।
टीम के सदस्य कमलेश ने बताया कि जानकारी लेने के पश्चात स्थानीय वार्ड पंच को भी इस बारे में अवगत करवाया तो वह भी तुरंत पिडित परिवार के घर पहुंचे। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा भी ग्राम पंचायत को पूर्व में अवगत करवाया गया था परंतु अभी तक भी कुछ हो नहीं पाया है, साथ ही उनके द्वारा पूर्व में भी सांसद महोदय के घर जाकर इस मामले को बताया गया था परंतु आज तक किसी प्रकार का शंकर का कोई पता नहीं चला है। हम सब यही चाहते हैं कि शंकर घर लौट आए अब दो बेटियां हैं मनीषा, उम्र 14 साल की है एवं सविता, उम्र 13 साल, वह दोनों बुजुर्ग दादा-दादी के भरोसे है, अब उनके द्वारा वोटर आईडी के आधार पर दोनों को वृद्धावस्था पेंशन के लिए जोड़ने के लिए प्रशासन को अवगत करवाया जायेगा।
वही इसी क्रम में पीड़ित परिवार को पालनहार योजना से भी जोड़ने के लिए प्रयास किए जाएंगे एवं खाद्य सुरक्षा को लेकर भी अधिकारियों को अवगत करवाकर लाभान्वित कराया जाएगा। जन आधार कार्ड के लिए भी जल्द से जल्द आधार कार्ड बनवाने के लिए प्रयास किये गए है एवं इनके गुमशुदा पिताजी को ढूंढने के लिए भी जिला कलेक्टर महोदय को अवगत करवाकर निश्चित तौर पर कार्यवाही करवाई जाएगी।