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बहुसंख्यक भील समाज को अल्पसंख्यक बनाने का खुला खेल

जनजातीय क्षेत्र में ईसाईयों की तेज़ी से बढ़ती आबादी 
  बांसवाड़ा/राजस्थान।। आखीर कौन है जो बहुसंख्यक भील समाज को अल्पसंख्यक बनाने का खुला खेल खेल रहा है। कुशलगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में क्यों धर्मांतरण बदस्तूर जारी है, राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के कुशलगढ़, विधानसभा क्षेत्र के भोले-भाले बहुसंख्यक आदीवासी समाज में इन दिनों धर्मांतरण का कुचक्र खेल धीरे-धीरे परवान चढ़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में कौने खोपचों में बने चर्च इसके साक्षी है। रोज़ किसी ना किसी डामोर या चरपोटा को गुमराह कर क्रिश्चियन समुदाय में कन्वर्ट कर वर्गीस जोसफ बनाया जा रहा है। आए दिन ग्रामीण क्षेत्रों में धर्मांतरण के केम्प चोरी छुपे अपने पैर पसार रहे है। वही इसी कुचक्र की भनक पर जिले के कुशलगढ़ के हिंदू युवा जनजाति संगठन ने प्रशासन को चेताने के लिए ज्ञापन भी सौंपा है। 
  संविधान के अनुच्छेद 25 की गलत व्याख्या और राजनीतिक व शासकीय मशीनरी के प्रश्रय में ठेठ दक्षिण राजस्थान की जनजाति गांव में आज भी सक्रिय हैं। मूल जनजाति संस्कृति संहारक यह औपनिवेशिक अंश ग्रुप अर्थात धर्मांतरण कराने वाले कहे जाते हैं। कुछ समय पहले मूलनिवासियों द्वारा अपनी संस्कृति और सभ्यता को बचाने के लिए सरकार से जो जनजातीय वर्ग के लोग ईसाई बन चुके है और फिर भी वह जनजातीय वर्ग के आरक्षण आदि वाले सरकारी लाभ ले रहे है, उन्हें तुरंत प्रभाव से डिलिस्टिंग करने की मांग की गई थी, लेकिन इसको लेकर सरकार के कानों में अभी तक भी जू नहीं रेंगी है। 
  ताजा घटना कुशलगढ़ जिला बांसवाड़ा से संज्ञान में आई है। जानकारी के अनुसार ग्रामीणों की बीमारी यीशु मसीह के चमत्कारों से ठीक करने जैसे दावों के बीच अंधविश्वास को बढ़ावा देते हुए ईसाई धर्म के प्रचार के नाम पर कथित सत्संग आयोजित किया जा रहा है। 
  बतादे कि हिंदू जनजाति समाज को विदेशी धर्मसत्ता अल्पसंख्यक प्रणाली यानि की ईसाई मत में भोले-भाले लोगों को भटकाने के उद्देश्य से 13 फरवरी से 15 फरवरी 2023 को ग्राम हाथियादिल्ली, पंचायत बघायचा तहसील कुशलगढ़ जिला बांसवाड़ा में तीन दिवसीय षडयंत्र पूर्वक यह कन्वेंशन रखा  गया है। रणनीतिक तौर पर आंखों में धूल झोंकने के लिए राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा पर आयोजित इस कन्वेंशन के वक्ता अहमदाबाद के पादरी रवि कुंडा और मुख्य वक्ता डॉ. हॉलिन डेविड बताए जा रहे हैं, जबकि इसका प्रबंधन धर्मांतरित व्यक्ति दिलीप मईडा़ द्वारा संभाले जाने की जानकारी प्राप्त हुई है।
  यह भी सर्वविदित है कि विदेशी धर्म सत्ता और राजसत्ता के विरुद्ध  कई जनजातिय वीरों ने मानगढ़ का आंदोलन कर स्वाधीनता के लिए बहुत कुर्बानियां दी है, परंतु स्वतंत्र भारत में भी छद्म रूप में ये लोग अभी भी प्रलोभन देकर गरीब जनजातिय वर्ग में धर्मांतरण के जरिए हमारी स्वाधीनता एवं संस्कृति को हानि पहुंचा रहे हैं।
  देश के बहुसंख्यक समाज के अभिन्न अंग जनजातियों की संस्कृति को नाश करने वाला यह औपनिवेशिक तंत्र कैसे लगातार सक्रिय है, इसका एक नमूना कुशलगढ़ में देखा जा सकता है। क्षेत्र में लगातार सक्रिय यह तंत्र इस प्रकार का सातवां आयोजन कर रहा है जैसा कि पेंपलेट भी सबूत के तौर पर दर्शा रहा है।
  इस क्षेत्र में राजनीतिक प्रश्रय की भी जानकारी एक ग्रामीण ने दी है, जो कांग्रेस पार्टी से जुड़ा हुआ है। उनके अनुसार विगत 4 वर्षों में स्थानीय जनजातियों को बहुत अधिक सामाजिक, सांस्कृतिक, एकात्मकता से और नैतिकता से हानि हुई है। क्षेत्र के गांव-गांव में चर्च बनाने का क्रम चल पड़ा है। पहले यह पारितंत्र सीमित था और इतना सक्रिय भी नहीं था, परंतु विगत तीन-चार वर्षों में जैसे खुली छूट यहां इनको मिली हुई है। कोई स्थानीय भाई कह रहा है तो इसका निश्चित रूप से एक मायना है, अनुभूति है और तथ्यात्मक जानकारी भी है। यह दर्द और पीड़ा यदि संपूर्ण समाज उठाने लग जाए तो विदेशी धर्म सत्ता का यह गैर कानूनी तरीके से धर्मांतरण का खेल रुक सकता है। वैसे संवैधानिक और कानूनी दृष्टि से देखा जाए तो यह खेल जनजाति समाज को और उसके कुछ सदस्यों को अल्पसंख्यकों में सम्मिलित करने की प्रक्रिया है जिससे समाज का विखंडन एवं एकता भंग होना ही है।
  क्षेत्र के जागरूक युवाओं ने हिंदू युवा जनजाति संगठन के बैनर तले प्रशासन को ज्ञापन देकर इस कन्वेंशन को तत्काल रोकने की मांग की है। यदि मांग पर सरकार गौर नहीं फरमाती है तो वह दिन दूर नहीं है जब डायनासोर की तरह लोग जनजातीय वर्ग को भी केवल तस्वीरों में ही याद रखेंगे क्यों की सभी जनजातीय मूलनिवासी तो साज़िशन ईसाईकरण में बदल दिए जाएगे।  
क्या मांग की गई है ज्ञापन मे
  अवैध तरीके से धर्मान्तरण के मामले को लेकर हिंदु युवा जनजाति संगठन ने दिया तहसीलदार को ज्ञापन, देकर मांग की गई है कि पंचायत बगायचा के हथियादिल्ली में ईसाई मिशनरी द्वारा संचालित किया जा रहा तीन दिवसीय शिविर जिसमें भोले-भाले आदिवासी जनजाति समाज को गुमराह कर बीमारी को यीशुमसीह के चमत्कार से ठीक करने के दावों के नाम पर अवैध धर्मांतरण कराया जाता है, जिसकी भनक हिंदु युवा जनजाति संगठन बांसवाड़ा को मिलने पर प्रशासन को अवगत कराया गया और अवैध रूप से होने वाले शिविर को बंद करने की मांग की गई है। संगठन का कहना है कि उचित कार्रवाई नहीं होने पर हिंदु युवा जनजाति संगठन द्वारा उग्र आंदोलन किया जाएगा। 
 इस मौके पर संगठन के जिलाध्यक्ष कमलेश डामोर, उपाध्यक्ष नारूलाल राणा, उदयसिंह राणा, रणवीर अमलियार, राजेश्वर पारगी, प्रीतेश डामोर, पारसिंह राणा, दीपक, डूंगरसिंह, दिनेश राणा, विदित गहलोत, सुभाष सोलंकी, हेमंत पडियार, और संगठन के कार्यकर्ता मौजुद रहे।
  अब देखना यह है कि पुलिस और प्रशासन पर राजनीतिक दबाव कितना रहता है और समाज सक्रिय होकर इन औपनिवेशिक तंत्र के धार्मिक दलालों को कैसे भगाता है? 

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