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बचपन था अभावों से भरा आज पास कर ली कई सरकारी नौकरियों की परीक्षा

  बांसवाड़ा/राजस्थान।। ग्रामीण परिवेश में पली बढ़ी लाड़ली कभी ग्वालन बन भैसे चराया करती थी, लेकिन अपनी कढ़ी मेहनत से आज वह शिक्षा की सीढ़ी बढ़ती चली जा रही। यदी मन में इच्छा शक्ति हो तो भाग्य के साथ-साथ भगवान भी मेहनतकश इंसान को बुलंदियों को छुने का मौका जरूर देता है, ताकि वह पढ-लिख कर अपना ओर परिवार एवं समाज का नाम रोशन कर सके। 
  जी हा आज हम एक मेहनती होनहार ओर प्रतिभा की धनी एक जनजातीय बालिका से आपको परिचित करवा रहे है। राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के कुशलगढ़ के भंवरकोट में किडिया वसुनिया की सुपुत्री लाडली सुरना वसुनिया ने शिक्षा के क्षेत्र में नाम कमाया है। 
Sugna
  सुरना बताती है कि उनकी शुरुआती पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल से ही हुई है। उन्होंने दसवीं कक्षा अभावो के बीच 57 प्रतिशत अंकों से पास की। तत्पश्चात उनके भाई सुखराम वसुनिया ने उन्हें कालीबाई भील मेधावी छात्रा स्कूटी योजना के बारे में बताया। इस पर सुगना ने उसे प्राप्त करने का लक्ष्य लेकर पढ़ाई शुरू की। अपनी कढ़ी मेहनत से उन्होंने गांव के पास ही रा.उ.मा.वि. काकानवानी से 80 प्रतिशत अंकों के साथ 12th क्लास उत्तीर्ण की तो उन्हें सरकार की ओर से स्कूटी मिली और गार्गी पुरस्कार के लिए भी नामित हुई, जिसके बाद सुगना ने सरकारी कॉलेज मामा बालेश्वर दयाल से 68 प्रतिशत अंकों के साथ अपनी स्नातक की डिग्री पूरी की। साथ सुगना ने उदयपुर के महारानी गर्ल्स कॉलेज से बीएड करते हुवे, उनके भाई सुखराम वसुनिया ने उन्हें उदयपुर स्थित माय मिशन निःशुल्क कोचिंग में प्रवेश दिलाया, जहां सर्वश्रेष्ठ मार्गदर्शन की बदौलत उन्होंने इस संस्थान से लगातार चार परीक्षाएं पास की। रीट 2022, ग्रामसेवक प्री व मेंस तत्पश्चात वनपाल और वनरक्षक भर्ती की परीक्षा भी उन्होंने पास की। सुगना ने बताया कि उनका लक्ष्य अब प्रशासनिक सेवा में जाने का है।
  सुगना का कहना है कि वह यह बात कतई नहीं भूल सकती कि वह ग्रामीण अंचल से आती है और उनके माता- पिता ने उन्हें खेती-बाड़ी करके पढ़ाया और स्वयं स्कूल टाइम के बाद वह रोजाना भैंसें चराने जाती थी। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि एकाएक वह इतनी परीक्षाओं को पास कर लेगी। उन्होंने कहा कि उनके भाई व संजय सर के अथाह सहयोग से ये सब संभव हुआ है। 

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