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तुर्की, सीरिया में भूकंप : क़रीब 5900 घर तबाह, 20000 मौत की आशंका जताई WHO ने

  नई दिल्ली।। जो तुर्की कल तक दूसरे देशो पर परमाणु हमले करके दहशत फैलाने की सोच रहा था आज कुदरत ने उसे कही का नहीं छोड़ा। टर्की में हर तरफ शक्तिशाली भूकंप से तबाही के निशान है, तुर्की और सीरिया में आए तीन विनाशकारी भूकंपों ने मंगलवार सुबह तक क़रीब 5000 लोग मारे गए हैं। तुर्की में कम से कम 3,521 लोग इस संख्या में शामिल हैं, जबकि सीरिया में मरने वालों की संख्या 1,444 है।
  इस भूकंप तथा आफ्टर शॉक के क़रीब 100 झटके झेल चुके इस 330 किमी. विस्तृत क्षैत्र में कम से कम 5,900 से ज्यादा इमारतें गिर चुकी हैं। भारी ठंड और बर्फबारी से राहत कार्यों में काफ़ी तकलीफ हो रही हैं। सोते हुए लोगों पर मकान जमींदोज होने से हजारों लोग गंभीर घायल हैं, जबकि कई हजार मलबे के नीचे दबे हैं। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि मौतें 20,000 को पार कर सकती हैं।
  विश्व स्वास्थ्य संगठन की यूरोप के लिए वरिष्ठ आपातकालीन अधिकारी कैथरीन स्मॉलवुड ने कहा कि मरने वालों की संख्या 20,000 से अधिक हो सकती है। उन्होंने एएफपी को बताया, "दुर्भाग्य से, हम हमेशा भूकंपों के साथ एक ही चीज देखते हैं, जो यह है कि मरने वालों या घायल होने वालों की संख्या की शुरुआती रिपोर्ट आने वाले सप्ताह में काफी बढ़ जाएगी।"
  भूकंप से प्रभावित दक्षिणी तुर्की के दस प्रांतों की आबादी 13.5 मिलियन लोगों का घर है। नॉटिंघम ट्रेंट यूनिवर्सिटी में प्राकृतिक खतरों के विशेषज्ञ डॉ. स्टीवन गोडबी ने कहा कि कड़ाके की ठंड तापमान बचावकर्ताओं को फंसे हुए लोगों को बचाने की समय सीमा को कम कर सकती है। उन्होंने कहा कि गृहयुद्ध से प्रभावित सीरिया में काम करने की कठिनाई बचाव प्रयासों को और जटिल करेगी।
  24 घंटे में तुर्की में आए तीन विनाशकारी भूकंपों के बाद देश को सहायता मुहैया कराने के लिए भारत को "दोस्त" करार देते हुए भारत में तुर्की के राजदूत फिरत सुनेल ने नई दिल्ली को धन्यवाद दिया और कहा, "ज़रूरत में काम आने वाला दोस्त ही सच्चा दोस्त होता है।"
  बता दें की प्रधानमंत्री मोदी ने इस विनाशकारी भूकंप पर शोक जताते हुए सहायता की घोषणा की थी, इसके बाद भारत से एनडीआरएफ खोज और बचाव दल, विशेष रूप से प्रशिक्षित डॉग स्क्वॉड, चिकित्सा आपूर्ति, ड्रिलिंग मशीन और अन्य उपकरण आज सुबह तुर्की के लिए रवाना हुए।
  तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने देश में सोमवार को आए विनाशकारी भूकंप के बाद सात दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। तुर्की के झंडे पूरे देश में और विदेशों में अपने राजनयिक मिशनों पर आधे झुके रहेंगे। इस क्षेत्र में बार-बार भूकंप आते हैं क्योंकि यह प्रमुख भ्रंश रेखाओं के शीर्ष पर स्थित है।भूकंप, जो तुर्की के दक्षिण-पूर्वी प्रांत कहमनमारस में केंद्रित था, ने दमिश्क और बेरूत के निवासियों को सड़क पर भेज दिया और काहिरा तक महसूस किया गया। इसने एक ऐसे क्षेत्र पर और अधिक दुखों का ढेर लगा दिया है जिसने पिछले एक दशक में जबरदस्त पीड़ा देखी है।
  उधर भूकंप के बाद सोमवार को उत्तर-पश्चिमी सीरिया की जेल में कैदियों ने बगावत कर दी, जिसमें कम से कम 20 कैदी जेल से भाग गए। राहत दल दुनिया भर से तुर्की और सीरिया के लिए उड़ान भर रहे हैं। इसमें भारत, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, रूस, अमेरिका, जॉर्डन, मैक्सिको, जापान और दक्षिण कोरिया सहित अन्य शामिल हैं।
कई इमारतें जमींदोज 7.8 रिएक्टर स्केल
  तुर्किए और पड़ोसी देशों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। नूर्दगी से 23 किलोमीटर पूर्व की ओर यह झटके महसूस किए गए। इसका असर सीरिया तक देखने को मिला। जानकारी के मुताबिक, भूकंप की वजह से कई इमारतें धराशायी हो गई हैं। तुर्किए में अब तक 20000 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, सीरिया में जान गंवाने वालों को आंकड़ा 9000 तक पहुंच गया है। 50000 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं।
Earthquek in Turkey
  जानकारी के मुताबिक, रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 7.8 मापी गई। बताया जा रहा है कि इस दौरान कई लोगों की मौत हो गई है। 10000 से अधिक इमारतों को नुकसान पहुंचा है। यह आंकड़ा अभी बढ़ भी सकता है। सनलिउर्फा मेयर ने फिलहाल 15000 लोगों की मौत की पुष्टि की है।
  यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक, भूकंप का केंद्र गाजियांटेप से लगभग 33 किलोमीटर (20 मील) और नूरदगी शहर से लगभग 26 किलोमीटर (16 मील) दूर था। यह 18 किलोमीटर (11 मील) की गहराई पर केंद्रित था। भूकंप के झटके दूर सीरिया तक महसूस किए गए। भूकंप के झटके इतने तेज थे कि कई इमारतों को नुकसान पहुंचने की खबरें आई हैं। संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की मानें तो भूकंप की वजह से कई लोगों के हताहत होने की आशंका है।
राष्ट्रपति एर्दोगन बोले- इस आपदा से मिलकर निपटेंगे
  तुर्किए के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने ट्विटर पर कहा कि भूकंप से प्रभावित क्षेत्रों में खोज और बचाव दलों को तुरंत भेजा गया। हमें उम्मीद है कि हम इस आपदा को एक साथ जल्द से जल्द और कम से कम नुकसान के साथ पार कर लेंगे।

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