नई दिल्ली।। मुस्लिम देश तुर्की और सीरिया में जो भूकंप आया है, उसमें अब तक पांच हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। मृतकों की संख्या हर घंटे बढ़ रही है, क्योंकि जैसे-जैसे मलबा हटाया जा रहा है, वैसे वैसे शव निकल रहे हैं। तुर्की में तो यह भी नहीं पता कि मकानों के मलबे में कितने लोग दबे हुए हैं। इस भयावह स्थिति को देखते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीआरएफ की दो टीमें तुर्की भेजी है। एक टीम में 100 सदस्य हैं। यानी 200 प्रशिक्षित व्यक्ति तुर्की पहुंचे हैं। दोनों टीमों के साथ डॉक्टर, चिकित्साकर्मी और जीवन रक्षक दवाइयां भी भेजी हैं। भारत का प्रयास है कि तुर्की में कम से कम मानवीय क्षति हो।
बताते चले कि तुर्की वही मुस्लिम देश है जो हमारे कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ खड़ा है। वर्ष 2019 में जब जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त किया गया था, तब पाकिस्तान ने मुस्लिम देशों को एकजुट करने की मुहिम चलाई थी, तब मुस्लिम देशों में तुर्की अकेला देश था, जिसने अनुच्छेद 370 को हटाने का विरोध किया था। आज भी तुर्की, पाकिस्तान के साथ है और भुखमरी के दौर से गुजर रहा पाकिस्तान अभी भी कश्मीर राग अलाप रहा है। लेकिन यह भारत के सनातन धर्म की ही सोच है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुसीबत में फंसे तुर्की की मदद कर रहे हैं। अभी यह नहीं देखा जा रहा है कि तुर्की की सोच क्या रही है? कह सकते हैं कि अभी हम दुश्मन की भी मदद कर रहे हैं। जो तुर्की अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि खराब कर रहा है, उसी तुर्की को सबसे पहले भारत ने ही मदद भेजी है। 5 फरवरी की रात को भूकंप आया और 6 फरवरी को मदद की घोषणा कर राहत सामग्री भेज दी गई। इतनी जल्दी तो किसी मुस्लिम देश ने भी नहीं दिखाई।
जहां तक तुर्की के मित्र देश पाकिस्तान का सवाल है तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ खुद कटोरा लेकर दुनिया भर में भीख मांग रहे हैं। आज नहीं तो कल भारत की ओर से पाकिस्तान को भी मदद भेजी जाएगी। यह सनातन धर्म की सोच ही है कि मुसीबत के समय दुश्मन की भी मदद की जाए। अन्यथा ऐसे धर्म भी हैं जो मुसीबत में दुश्मन का वजूद ही खत्म कर देते हैं। यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच सनातन धर्म वाली नहीं होती तो आज तुर्की को मदद नहीं भेजी जाती। कोई माने या नहीं, लेकिन सनातन धर्म ही सभी धर्मों का सम्मान करने वाला धर्म है। सनातन धर्म में पहले इंसानियत देखी जाती है। आज तुर्की को धर्म नहीं इंसानियत की जरूरत है। इसलिए दुश्मनी को पीछे छोड़ते हुए भारत की ओर से मदद भेजी गई। तुर्की को दी जाने वाली भारत की इस मदद से पाकिस्तान को भी सबक लेना चाहिए। अच्छा हो कि पाकिस्तान के राजनेता हमारे कश्मीर की चिंता करने के बजाए खुद के देश की समस्याओं का समाधान करें।