सचिन पायलट ने फिर उठाया अनुशासनहीनता का मुद्दा
राजस्थान में पिछले तीन दिनों में सत्तारूढ़ कांग्रेस के तीन विधायकों का सरकार विरोधी रुख सामने आया है। 13 फरवरी को पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक हरीश चौधरी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर प्रदेश में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग की। मौजूदा समय में ओबीसी को सरकारी नौकरियों में 21 प्रतिशत का आरक्षण मिल रहा है। हरीश चौधरी ने मुख्यमंत्री को बताया कि केंद्र सरकार में ओबीसी को 27 प्रतिशत का प्रावधान है। इसी प्रकार कांग्रेस के ही विधायक इंद्रराज गुर्जर ने 14 फरवरी को विधानसभा में ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार लंबे समय से कह रही है कि इस प्रोजेक्ट के तहत 13 जिलों के लोगों को पानी पहुंचाया जाएगा। लेकिन अब जब चुनाव में मात्र 9 माह रह गए है, तब प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं उतरा है। इंद्र राज ने ईआरसीपी के मुद्दे पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग भी की।
गुर्जर ने स्पष्ट कहा कि यदि इस प्रोजेक्ट की क्रियान्विति नहीं हुई तो हमारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा। इंद्रराज का यह रुख भी सरकार विरोधी ही प्रतीत हुआ, क्योंकि विशेष विधानसभा सत्र बुलाने की मांग पर विपक्ष ने हाथों हाथ सहमति जता दी। यदि विशेष सत्र में चर्चा होती है तो फिर मौजूदा सरकार को तीखे सवालों का जवाब देना होगा। लगातार तीसरे दिन 15 फरवरी को कांग्रेस के ही वरिष्ठ विधायक रामनारायण मीणा ने सरकार में भ्रष्टाचार होने की बात स्वीकार की। विधानसभा में मीणा ने कहा कि स्वायत्त शासन विभाग में भ्रष्टाचार व्याप्त है, इसलिए आम लोगों के काम नहीं हो रहे हैं। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का काम होना चाहिए। कांग्रेस के तीनों विधायकों के ऐसे बयान तब सामने आए हैं, जब सीएम अशोक गहलोत सरकार रिपीट होने का दावा कर रहे हैं।
पायलट ने फिर उठाया मामला
गत वर्ष 25 सितंबर को कांग्रेस विधायकों की बगावत में अनुशासनहीनता से जुड़े मामले को पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने एक बार फिर उठाया है। दिल्ली में एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए पायलट ने कहा कि विधायकों की समानांतर बैठक बुलाने को लेकर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ को अनुशासनहीनता के नोटिस दिए। इन तीनों ने अपना जवाब भी दे दिया है। लेकिन इसके बाद भी इन तीनों पर कार्यवाही का कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इन तीनों नेताओं के मामले में जल्द निर्णय लिया जाना चाहिए। पायलट ने कहा कि कार्यवाही में विलंब क्यों हो रहा है? इस बारे में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और अनुशासन समिति के अध्यक्ष एके एंथोनी ही बता सकते हैं।