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क्या विपक्षी पार्टियों के पास राजनीति में फैले भ्रष्टाचार पर प्रहार का यह सही मौका है?

  देश की राजनीति में फैले भ्रष्टाचार पर इन दिनों जबर्दस्त प्रहार हो रहा है। बड़े बड़े राजनेता जेल में है। लंबे अरसे तक बिहार के मुख्यमंत्री और केंद्रीय रेल मंत्री रहते हुए लालू प्रसाद यादव ने जो भ्रष्टाचार किया, उसकी वजह से अब लालू के पूरे कुनबे पर कानूनी शिकंजा कस गया है। पिता के भ्रष्टाचार में बेटियां भी शामिल रहीं। बिहार के चारा घोटाले में लालू पहले ही दोषी करार दिए जा चुके हैं और अब जमीन के बदले नौकरी देने के मामले में पूरा कुनबा फंस गया है।
  इसी प्रकार दिल्ली के शराब घोटाले में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पहले ही जेल में है और अब तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी कविता राव को ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया है। कहने को तो कविता राव महिला हैं, लेकिन उनके संबंध शराब कारोबारियों से रहे हैं, इसलिए दिल्ली में जो 10 हजार करोड़ रुपए का शराब घोटाला हुआ, उसमें कविता राव की भूमिका भी सामने आई है। वही बीजेपी का कहना है कि यदि केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मजबूत और निडर सरकार नहीं होती तो बड़े बड़े राजनेताओं पर कार्यवाही नहीं हो पाती। 
  अब आम जनता को यह शिकायत रही कि राजनीति में फैले भ्रष्टाचार पर कार्यवाही नहीं होती है, लेकिन अब यह शिकायत भी दूर होती दिख रही है। वही जनता का कहना है कि अशोक गहलोत, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल जैसे मुख्यमंत्रियों को भी भाजपा के सभी नेताओं के भ्रष्टाचार उजागर करने चाहिए। जो विपक्षी नेता मोदी सरकार पर राजनीतिक द्वेषता के तहत कार्यवाही करवाने का आरोप लगा रहे हैं वे चाहते तो ऐसी कार्यवाही भाजपा नेताओं पर भी करवा सकते हैं। इस मामले में सबसे पहले कांग्रेस शासित राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पहल करनी चाहिए। लेकिन विपक्षी पार्टियों का यह भी कहना है की मोदी सरकार सिर्फ विपक्षी पार्टियों के नेताओं और उनके सहयोगियों को ही टारगेट कर रही है जबकि बीजेपी में सबसे अधिक भ्रष्टाचारी और  नीच प्रकृति के नेताओं की पूरी फ़ौज है।  
  सब जानते हैं कि वर्ष 2013 से 2018 तक जब राजस्थान में वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थी, तब विपक्ष में रहते हुए अशोक गहलोत ने भाजपा सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए। तब गहलोत ने कहा था कि कांग्रेस सरकार बनने पर भाजपा के भ्रष्टाचारों की जांच करवाई जाएगी। अशोक गहलोत मोदी सरकार पर तो आरोप लगाते हैं, लेकिन यह नहीं बताते कि भाजपा सरकार पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच क्यों नहीं करवाते? 
  इसी प्रकार अरविंद केजरीवाल को भी पंजाब में भाजपा और अकाली दल के नेताओं के खिलाफ जांच करवानी चाहिए। ममता बनर्जी को भी पश्चिम बंगाल के भाजपा नेताओं के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए। राज्यों के पास भी एसीबी, लोकायुक्त, सतर्कता, पुलिस जैसी जांच एजेंसियां होती है। ऐसी एजेंसियां भ्रष्टाचार की जांच कर सकती है। अशोक गहलोत ने तो 2019 में राजनीतिक संकट के समय इन एजेंसियों का इस्तेमाल भी किया है। यदि भाजपा नेताओं ने भी भ्रष्टाचार किया है तो गहलोत, ममता, केजरीवाल को प्रहार करने का मौका नहीं छोड़ना चाहिए।

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