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कैसे की जाती है, पैसों की ठगी और साइबर अपराध?

  शातिर अपराधियों द्वारा टेलीकॉम टावर लगाने, बैंकिंग kyc अपडेट करने, एटीएम ब्लॉक होने, कोई सामान की डिलीवरी करने, इंशोरेंस पॉलिसी चालू करने, किसी सामान की कस्टम जाँच या लोन की राशि देने या आपको पैसे वापस करने इत्यादि के बहाने क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड वि स्कैन कोड के माध्यम से पैसों की ठगी की जाती है, जिसमें ग्राहक को पूरे विश्वास व उसकी जानकारी जिनमे नाम, पता, मोबाइल नम्बर, dob इत्यादि की जानकारी जुटाकर की जाती है। जिससे ग्राहक सहजता से विश्वास कर बैठता है और अपने हाथों से ख़ुद लुट जाता है। ख़ुद otp देकर, या QR कोड स्कैन कर ट्रांजेक्शन कर बैठता है। फिर वह ख़ुद अपने आप को लूटा चुका होता है। शातिर अपराधी का इण्टेंशन पैसे की ठगी करना होता है, बस यही मामूली सा अपराध उसे सलाख़ों के पीछे तक खींचकर ले जाता है। यह बड़ा स्कैम होता है और इसे संचालित करने वाले कई लोग शामिल होते हैं।
  दरअसल, साइबर अपराध से निपटने के लिए गृह मंत्रालय ने एक नंबर 1930 जारी किया है। इस नंबर पर कॉल कर आप अपनी साइबर संबंधी शिकायत को दर्ज कराई जा सकती है। ये नंबर एक तरह से इमरजेंसी तरह की तरह नागरिकों के काम आएगा। पहले नागरिकों को ऐसी शिकायतों के लिए 155260 पर डायल करना होता था। लेकिन, अब इसे 1930 से रिप्लेस कर दिया गया है। गृह मंत्रालय ने DoT की साझेदारी में इस नंबर को जारी किया है।
   यहां शिकायत दर्ज कराने पर आपको डिटेल देनी होगी। इसके बाद आपकी शिकायत पर एक्शन लिया जागा। बहुत हद तक संभव ये है कि इससे आपके पैसे वापस मिल जाएं। हालांकि, ये काम आपको जल्दी करना होगा। एक घंटे से ज्यादा देरी करने पर इसकी संभावना कम हो जाएगी।
   किसी भी तरह का साइबर क्राइम होने के बाद विक्टिम को इस नंबर को डायल करना होगा. इसके बाद कॉलर को ‘नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल’ में एक फॉर्मली कंप्लेंट दर्ज करने के लिए कहा जाता है। इसके बाद फाइनेंशियल इंटरमिडियरीज (FI) कंसर्न के साथ एक टिकट जनरेट होता है।
   फ्रॉड ट्रांजैक्शन, टिकट डेबिटेड (विक्टिम का बैंक अकाउंट) और क्रेडिटेड Fl (फ्रॉडस्टर का बैंक या वॉलेट) के डैशबोर्ड पर दिखता है। फ़्राड ट्रांजैक्शन की डिटेल्स को बाद में चेक भी किया जा सकता है। आपकी शिकायत पर पुलिस की साइबर सैल खाता से हुए ट्रांजेक्शन के फ्रॉड की जानकारी बैंक को देती है, जिस खाते में राशि लास्ट तक ट्रांसफ़र होती है, उसके खाते को तुरंत प्रभाव से ‘लीन’ या फ्रीज़ किया जाता है और मामले के निस्तारण तक उस राशि को बैंक अपने क़ब्ज़े में कर लेती है, उपरोक्त राशि साइबर ठगी के निस्तारण में ग्राहक को वापस लौटा दी जाती है। एडवोकेट शिवकुमार अवार फ़ौजदार ने अपने ग्राहक की ठगी से लेकर वापसी तक एक घंटे तेरह मिनिट में पूरी राशि का कई भागों में प्राप्ति करवा दी गई थी।

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