राहुल, अखिलेश, ममता, नीतीश आदि नेताओं को सुप्रीम कोर्ट का यह विचार समझना चाहिए
आक्रांताओं ने देश को नुकसान पहुंचाया है। इस सच को इतिहास से कैसे हटा सकते हैं? अतीत मं जो हो चुका, उसे चाह कर भी नहीं बदला जा सकता। हिन्दू धर्म सबसे बड़ा धर्म है। उपनिषदों वेदों और श्रीमद्भागवत गीता ने इसे जो ऊंचाई दी है, वह युगों युगों फैली है। वह किसी अन्य धर्म परंपरा में संभव नहीं है। हमें इस पर गर्व होना चाहिए। हिन्दू धर्म की महानता ही इसे उदार बनाती है। भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है और हिन्दू धर्म जीवन जीने का तरीका है। इसमें कट्टरता नहीं है। हिन्दू धर्म को लेकर यह सब बातें सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नाग रत्ना ने कही। दोनों न्यायाधीश उस याचिका पर सुनवाई कर रहे थे जिसमें स्थानों और शहरों के नाम बदलने के लिए आयोग बनाने की मांग गई थी।
दोनों न्यायाधीशों ने याचिका को खारिज करते हुए हिन्दू धर्म पर अपने विचार रखे। जस्टिस जोसेफ ने तो यहां तक कहा कि मैं ईसाई धर्म का हूं, पर हिन्दू धर्म का उतना ही प्रशंसक हूं। मैं इन दिनों हिन्दू धर्म का अध्ययन कर रहा हूं। हिन्दू धर्म को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो विचार व्यक्त किए हैं, उन्हें पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी, उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव, बिहार में नीतीश कुमार, आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी, तेलंगाना में केसीआर, दिल्ली में अरविंद केजरीवाल, केरल में वामपंथियों के साथ साथ कांग्रेस के राहुल गांधी को समझना चाहिए। हिन्दू धर्म दुनिया का एकमात्र ऐसा धर्म है जिसमें सभी धर्मों का सम्मान है। सुप्रीम कोर्ट ने सही कहा है कि हिन्दू धर्म में कट्टरता नहीं है। अन्य धर्म मं कैसी कट्टरता है, इसे पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, ईरान, इराक आदि देशों में देखा जा सकता है। कट्टरता भी ऐसी की अपने ही धर्म के लोगों को धार्मिक स्थलों में मारा जा रहा है। जब कट्टरपंथियों को अपने धर्म के लोगों को मारने पर कोई एतराज नहीं है, तब अन्य धर्म के लोगों का क्या हश्र होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
भारत में हिन्दुओं का विरोध कर कुछ राजनीतिक दलों ने प्रांतों की सत्ता हथिया ली है। इससे वो विचारधारा मजबूत हो रही है, जिसमें अन्य धर्म के सम्मान की गुंजाइश नहीं है। राहुल गांधी से लेकर ममता बनर्जी तक को उन हालातों के बारे में सोचना चाहिए, जिसमें अन्य धर्म का सम्मान नहीं होगा। 26 फरवरी को रायपुर के अधिवेशन में राहुल गांधी ने कहा कि गत माह जब मैं श्रीनगर में तिरंगा फहराने गया तो चालीस हजार कश्मीरी युवक मेरे समर्थन में आ गए। ऐसा इसलिए हुआ कि कश्मीरी युवकों को मुझ पर भरोसा था। लेकिन 27 फरवरी को कश्मीर में दो हिन्दुओं की मौत के घाट उतार दिया गया। सवाल उठता है कि जब कश्मीरी युवकों का राहुल पर भरोसा है तो राहुल गांधी समझाइश कर हिन्दुओं की हत्या क्यों नहीं रुकवाते। कश्मीर में हिन्दुओं की संख्या कम है, इसलिए कट्टरपंथी विचारधारा के लोग आए दिन हिन्दुओं को मार रहे हैं। ममता बनर्जी हो या अखिलेश यादव, इन्हें कश्मीर में हो रही टारगेट किलिंग से भी सबक लेना चाहिए। हिन्दू धर्म बचेगा तो भारत भी बचा रहेगा।