नए घोषित 19 जिलों की सीमाओं को लेकर राजस्थान भर में बवाल
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नए घोषित 19 जिलों की सीमाओं को लेकर राजस्थान भर में बवाल

सीएम अशोक गहलोत की घोषणा कांग्रेस के लिए मुसीबत बनी
किशनगढ़ की एक इंच जमीन भी दूदू जिले में नहीं जाने दूंगा-निर्दलीय विधायक सुरेश टाक
मसूदा की भूमि को केकड़ी में शामिल करने पर कांग्रेस विधायक राकेश पारीक पहले ही विरोध जता चुके हैं
  अजमेर/राजस्थान।। अजमेर जिले के किशनगढ़ के निर्दलीय विधायक सुरेश टाक ने स्पष्ट कहा है कि किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र की एक इंच भी भूमि नए घोषित जिले दूदू में शामिल नहीं होने दी जाएगी। किशनगढ़ के लोग अजमेर जिले में ही रहना चाहते हैं। टाक ने बताया कि किशनगढ़ के लोगों की भावनाओं के अनुरूप वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र भी लिख रहे हैं। किशनगढ़ के लोगों ने मुझ पर जो भरोसा जताया है उसे मैं कायम रखूंगा। मैंने कांग्रेस सरकार को समर्थन सिर्फ किशनगढ़ के विकास के लिए दिया है। किशनगढ़ को बचाने के लिए मुझे जन आंदोलन भी करना पड़ा तो मैं पीछे नहीं हटूंगा। इसी प्रकार अजमेर के मसूदा के कांग्रेसी विधायक राकेश पारीक भी अपने निर्वाचन क्षेत्र के एक भी गांव को नए घोषित केकड़ी जिले में शामिल करने का पहले ही विरोध जता चुके हैं। पारीक ने कहा कि मसूदा के लोग अजमेर से ही जुड़ा रहना चाहते हैं। 
  यहां यह उल्लेखनीय है कि दूदू तो अभी ग्राम पंचायत स्तर काही गांव है, लेकिन राजनीति कारणों से सीएम गहलोत ने दूदू को सीधे जिला मुख्यालय का दर्जा दे दिया। 17 मार्च को सीएम गहलोत ने विधानसभा में 19 नए जिले बनाने की घोषणा तो कर दी, लेकिन अब इन नए जिलों की सीमाओं को लेकर राजस्थान में बवाल हो रहा है। जो स्थिति अजमेर की है, वही स्थिति प्रदेशभर की है। चूंकि अधिकांश नए जिले क्षेत्रीय विधायकों को खुश करने के लिए बनाए गए हैं इसलिए अभी संसाधनों का जर्बदस्त अभाव है। ऐसे में आसपास के विधानसभा क्षेत्र के विधायक नए जिले में शामिल नहीं होना चाहते हैं। इन विधायकों पर अपने क्षेत्र के लोगों का दबाव भी है। जिन विधायकों ने उपखंड, तहसील और ग्राम पंचायत को जिला मुख्यालय का दर्जा मिला, वो तो खुश हो सकते हैं, लेकिन जहां नए जिले नहीं बने, वहां के लोग बेहद खफा है। 
  श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ के लोगों ने जिला नहीं बनाने के विरोध में सीएम गहलोत का पुतला भी जला दिया। अब सीएम गहलोत के सामने सबसे बड़ी समस्या नए घोषित जिलों की सीमाओं को तय करना होगा। पिछले एक दिन में जो हालात सामने आए हैं, उससे प्रतीत होता है कि नए जिलों का मामला कांग्रेस के लिए मुसीबत बनेगा। राजस्थान में सात माह बाद ही विधानसभा के चुनाव होने हैं। सीएम ने तो चुनाव जीतने के लिए नए जिले बनाए, लेकिन यह राजनीतिक दांव कांग्रेस के लिए उल्टा पड़ता नजर आ रहा है। हर नए जिले से विरोध की आवाजें आ रही है। यहां तक कि मंत्रियों और विधायकों के आवास भी घेरे जा रहे हैं।
दूदू को लेकर ज्यादा परेशानी
  सब जानते हैं कि दूदू से बाबूलाल नागर निर्दलीय विधायक है। नागर को सीएम गहलोत का समर्थक और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट का घोर विरोधी माना जाता है। बलात्कार के आरोप में जेल जाने के कारण नागर को गत बार कांग्रेस का टिकट नहीं मिला था, लेकिन नागर ने निर्दलीय चुनाव लड़ कर जीत हासिल की। नागर शुरू से ही गहलोत के प्रति वफादारी दिखाते रहे, इसलिए उन्हें गहलोत ने अपना सलाहकार भी बनाया। वफादारी के कारण ही नागर के दूदू को अब जिला बनाने की घोषणा की गई है। लेकिन दूदू के आस पास के विधायक नहीं चाहते कि उनके क्षेत्र को दूदू में शामिल किया जाए। किशनगढ़ के विधायक टाक की तरह बगरू से कांग्रेस की विधायक गंगा देवी ने भी अपने क्षेत्र को दूदू में शामिल करने का विरोध किया है। इसी प्रकार रेनवाल के लोगों ने भी क्षेत्र को जयपुर ग्रामीण से जोड़े रखने की मांग की है। स्वाभाविक है कि यदि विधायकों के विरोध और लोगों की नाराजगी के बाद भी सरकार ने डंडे के जोर पर दूदू में आसपास के क्षेत्र शामिल किए तो चुनाव में कांग्रेस पार्टी को खामियाजा उठाना पड़ेगा।
कोटपूतली
  कोटपूतली को भी जिला बनाने की घोषणा की गई है, लेकिन विराट नगर विधानसभा क्षेत्र के लोगों ने कोटपूतली जिले में शामिल होने से साफ इंकार कर दिया है। इसी प्रकार बीकानेर का खाजूवाला क्षेत्र भी अनूपगढ़ जिले से नहीं जुडऩा चाहता। इसी प्रकार छतरगढ़ के लोगों ने भी अनूपगढ़ में शामिल होने से इंकार कर दिया है। भिवाड़ी को जिला नहीं बनाने से नाराज लोगों ने अब नए खैरथल जिले में शामिल होने से इंकार कर दिया है। गुढा गौडजी तहसील के लोगों ने भी नवघोषित जिला नीम का थाना में शामिल होने से इंकार कर दिया है। गहलोत सरकार के मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने स्पष्ट कहा है कि गुढा गौडजी के गांव नए जिले में शामिल नहीं होंगे। इसी प्रकार भीलमाल के लोगों ने भी सांचौर जिले में शामिल होने से इंकार कर दिया है।

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