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प्रशासन गांव के संग अभियान ओर महंगाई से राहत केम्प सिर्फ चुनावी एजेंडा - मईडा

  बांसवाड़ा/राजस्थान।। भारतीय ट्रायबल पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य विजय भाई मईडा ने प्रेस नोट जारी कर कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बांसवाड़ा जिले में प्रशासन गांव के संग अभियान के तहत आदिवासियों को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करने के लिए चुनावी वर्ष के समय पर आकर महंगाई से राहत देने की बात कर रहे हैं। वही बेरोजगारी एवं महंगाई राज्य में चरम सीमा पर है, तो महंगाई कम करने के नाम पर कांग्रेस सरकार अपना चुनाव प्रचार कर रही है। बात जब गरीबों को राहत देने की ही है तो प्रत्येक परिवार का डाटा सरकार के पास पहले से ही है, उस के माध्यम से उनके खातों में सब्सिडी दी जा सकती है लेकिन यह बस एकमात्र चुनावी प्रसार प्रचार है। 
  मईड़ा ने कहा कि जिले के ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों की हालत खराब हैं, जिस पर सरकार के मंत्री और विधायक किसी भी प्रकार का संज्ञान नहीं ले रहे हैं। वही शेड्यूल एरिया के अंतर्गत बाहरी जिलों से कई विभागों में लोग नौकरियां कर रहे, कार्मिकों को आज तक उनके गृह जिलों में नहीं भेजा जा रहा है। दूसरी ओर यहां के आदिवासी बेरोजगारों के साथ अन्याय ही नहीं बल्कि उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन भी किया जा रहा है। 
  मईड़ा का कहना है कि सरकार अगर शेड्यूल एरिया के लोगों का वास्तव में हित चाहती है तो वह पांचवी, छठी अनुसूची, पेसा एक्ट, आदिवासी धर्मकोड लागू करें और भील प्रदेश का समर्थन करें। साथ ही वर्तमान परिस्थितियों के आधार पर जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण, राज्य की प्रशासनिक सेवाओं में 6.5% आरक्षण का प्रावधान लागू करें तथा शेड्यूल एरिये के अंतर्गत न्यूनतम अंको की बाध्यता को समाप्त करें। 
  मईड़ा ने गोविंद गुरु जनजाति विश्वविद्यालय में भी पूर्व में भ्रष्टाचार के तहत सरकारी पदों पर की गई भर्तीयो पर निशाना साधते हुए कहा कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना जनजाति क्षेत्र के हितों को ध्यान में रखते हुए की गई थी लेकिन उसकी पालना नहीं हो रही है। वही विश्वविद्यालय में जनजातियों का किसी भी प्रकार का प्रतिनिधित्व नहीं है। आरक्षण का प्रावधान विश्वविद्यालय के कार्मिकों की भर्ती प्रक्रिया में लागू नहीं किया जा रहा है। 
  मईड़ा ने कहा कि सरकार की षड्यंत्र पूर्ण नीति के कारण शेड्यूल एरिया के अंतर्गत आने वाला प्रत्येक नागरिक अब सरकार की कथनी और करनी को समझ चुका है, क्योंकि आदिवासियों का भाजपा और कांग्रेस दोनों ने बारी- बारी से सिर्फ अपने वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया है। लेकिन आज का युवा और यहां की जनता अब समझ चुकी है, जिसका करारा जवाब आने वाले विधानसभा चुनाव में देगी।

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