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बच्चे शिक्षा तो प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन संस्कार भूल रहे हैं - जयमाला दीदी वैष्णव

लालीवाव मठ में 3 दिवसीय नानी बाई रो मायरो कथा
बच्चों को शिक्षा व अच्छा संस्कार दें - जयमाला दीदी वैष्णव
 बांसवाड़ा/राजस्थान।। शहर के ऐतिहासिक तपोभूमि लालीवाव मठ में गुरुपूर्णिमा महोत्सव के तहत प.पू. महामण्डलेश्वर हरिओमदासजी महाराज के सानिध्य में चल रही नानी बाई रो मायरो कथा के दूसरे दिन शनिवार को पहले व्यासपीठ का पूजन ओर आरती हुई। जयमाला दीदी वैष्णव ने कहा कि हमें अपने बच्चों को संस्कार और अच्छी शिक्षा अवश्य देना चाहिए। बच्चे शिक्षा तो प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन संस्कार भूल रहे हैं। संस्कारवान नई पीढ़ी ही अपने जीवन को सफल और सार्थक कर सकती है। लोक कल्याण ही परम धर्म है। इससे जीवन आनंदित होता है। सभी को आनंदित करना ही सच्चा धर्म है।
  कथा के आरम्भ में व्यासपीठ का माल्यार्पण वैष्णव समाज के नरेन्द्र वैष्णव, कुलदीप गृहस्थी, सोनिया वैष्णव व लालीवाव मठ महिला मण्डल व शिष्य परिवार द्वारा किया गया। इसके बाद जयमाला दीदी ने जोर से बोलना पड़ेगा.... राधे-राधे.... दूसरे दिन कथा शुरु की।
नानी बाई रो मायरो कथा सुनने उमड़े भक्तजन
  गुरुपूर्णिमा महामहोत्सव के तहत लालीवाव मठ की और से आयोजन किया जा रहा है। इस बार भव्य नानी बाई रो मायरो कथा के आयोजन ने तपोभूमि लालीवाव मठ को भक्तिमय कर दिया। व्यासपीठ पर विराजमान जयमाला दीदी वैष्णव ने अपनी सुमधूर वाणी से कथा प्रसंगों के बीच भजनों से श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया । तीन दिवसीय नानी बाई रो मायरो कथा में संत नरसी मेहता की कथा को जानेंगे। समारोह में संत नरसी मेहता का जीवन चरित्र सुनाया। कथा के माध्यम से सामाजिक परिस्थितियों पर कटाक्ष करते हुए जयमाला दीदी वैष्णव ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी में सहनशीलता की कमी है, कोई खामोश नहीं होना चाहता। विवाद में सास-बहू में कोई मौन धारण कर ले तो, परिवार संवर जा सकता है। उन्होंने बताया कि जीवन में अहंकार से दूर रहकर ही भक्ति मार्ग पर आगे बढ़ा जा सकता है।
  उन्होंने कहा यह संसार सबसे बड़ा झूठा है और इसका सबसे बड़ा सत्य मृत्यु है । प्रत्येक जीव को मरना है लेकिन मोह का बंधन इस सत्य को मानने से बचता है। उन्होंने कहा समय के साथ वृद्ध होता शरीर मृत्यु निकट आने के कई संकेत देने लगता है लेकिन मानव इन संकेतों को भी नहीं समझता और सांसारिक माया में फंसा रहता है। बच्चों को धर्म, संस्कारों की शिक्षा देने की बात कहते हुए कहा कि आजकल माता-पिता अपने बच्चों को केवल खाना, कमाना सिखाते हैं। वे बच्चों को धर्म और भगवान से दूर रखते हैं, उनकी जिम्मेदारियों से दूर रखते है, जो कि गलत है। ऐसा नहीं होना चाहिए।
ईश्वर दर्शन को अपनाएं सात सूत्र -
  जयमाला दीदी ने बताया कि ईश्वर प्राप्ति के लिए यदि आप 7 सूत्र अपनाकर उसका अमल करें तो निश्चित रूप से आप लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे, इसके लिए पुरुषार्थ, हिम्मत, धैर्य, सावधानी, मधुरवाणी, आहार में शुद्धता और अहर्निश प्रभु चिंतन आवश्यक है, उन्होंने कहा इस कलिकाल में लोग गलत कर्म से लोग दुखी है।
  कथा के मध्य में भारतमाता मंदिर के रामस्वरुपजी महाराज का स्वागत लालीवाव मठ द्वारा किया गया एवं उनका आशीवर्चन प्राप्त हुआ। साथ ही मानस मण्डल के महेश पंचाल, अमृतलाल पंचाल आदि सदस्यों द्वारा भी व्यासपीठ का स्वागत एवं आरती उतारी गई।
लालीवाव मठ में गोवर्धन छप्पन भोग
  तपोभूमी लालीवाव मठ द्वारा भगवान पद्मनाभ में इस बार गोवर्धन पर्वत की झांकी बनाई गई है जिसमें 56 भोग का आयोजन रविवार को होगा जिसमें सभी भक्तजन अपनी ईच्छानुसार प्रसाद लेकर आ सकते है। इसके पश्चात् आरती उतार कर प्रसाद वितरण किया गया।

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