आम जन पूछ रहा, आखिर झील को बारातघर बनाने की परमिशन किसने दी?
उदयपुर/राजस्थान।। झीलों का शहर उदयपुर अपनी झीलों और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विख्यात है और इसी कारण यहां शाही शादियों का क्रेज बढ़ रहा है, लेकिन इस क्रेज के चलते झीलें मानो धर्मशाला हो गई हैं, हर कोई शहर के मुख्य पेयजल स्रोत झीलों का दोहन मन पड़े वैसे कर रहा है।
वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक सिंघवी ने शनिवार को यहां बयान जारी कर कहा कि हाल ही सेलिब्रिटीज की शादी में बारात झील में स्थित एक होटल से दूसरी होटल तक नावों से ले जाई जाएगी, जबकि जिन होटलों के लिए सड़क मार्ग उपलब्ध है उन्हें झील में पर्यटकों के परिवहन की अनुमति नहीं है। झील में नाव से बारात का आवागमन पहली बार हो रहा है। इसे लेकर झील प्रेमियों ने भी चिंता जाहिर की है कि यह चलन न बन जाये, यदि चलन बन गया तो फिर हमारे पेयजल की स्रोत झीलों की स्थिति क्या होगी, भगवान जाने। सिंघवी ने यह भी कहा कि पारम्परिक गणगौर नाव का उपयोग भी इस बारात में किया जा रहा है जो इस ऐतिहासिक, पारम्परिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व की नाव के सम्मान को भी प्रभावित करेगा। इतना ही नहीं, क्या सभी बाराती नाव में परिवहन के दौरान सुरक्षा व विधिक नियमों की पालना करेंगे।
सिंघवी ने कहा कि झीलों को भरी रखने के लिए करोड़ों रुपये खर्च हुए हैं। यह करोड़ों रुपये उदयपुर शहर की मौजूदा और भविष्य की प्यास बुझाने के लिए खर्च किए गए हैं। यह कहा जा सकता है कि इस योजना से शहरवासियों को भले ही रोजाना पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था नहीं हो सकी है, लेकिन पर्यटन जगत को जरूर पंख लगे हैं। सिंघवी ने यह भी याद दिलाया है कि झील का मालिकाना हक नगर निगम उदयपुर के पास है और जल का मालिक जल संसाधन विभाग है। संभवतः झील में बारात के लिए संबंधित सक्षम प्राधिकारी से कोई अनुमति नहीं ली गई है।
सिंघवी ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि झील के पर्यटन के नाम पर उपयोग की बेहतर नीति बनाए और दोहन की सीमाओं को तय करे। सिंघवी ने स्थानीय प्रशासन से आग्रह किया है कि झील को बारातघर और पानी को बारात की बस का मार्ग न बनने दे।
सिंघवी ने जोड़ा कि एक पूर्व नगर निगम आयुक्त ने एक प्रसिद्ध उद्योग घराने के विवाह के लिए पिछोला झील में मंच निर्माण के लिए अनुमति जारी नहीं की थी, जो उनका सटीक निर्णय कहा जा सकता है।