32 साल पहले पहुंचे थे कार सेवा में, आज सपना हुआ साकार
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32 साल पहले पहुंचे थे कार सेवा में, आज सपना हुआ साकार

  श्रीराम मंदिर में विराजित हुए रामलला
  बांसवाड़ा/राजस्थान।। स्वर्गीय टीटा भगत को महंत लोमस भारती ने श्रद्धांजलि देते हुए कहां कि सच्चे कार सेवक का आज सपना साकार हो गया है। आज हम मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम देव के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा को देख रहे हैं, जिससे भारत ही नहीं बल्कि समूचा विश्व ही आज राममय हो चुका है, वही भारत में राम युग की एक नई शुरुआत भी हो चुकी है। 
  इतिहास पर गौर करें तो कुछ साल पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने रथ यात्रा निकालकर राम जी की मूर्ति की आधारशिला रख सभी सनातनियों के अंतर्मन में श्रीराम के प्रति आदर के साथ हिंदुत्व को भी हर जनमानस में जगा दिया था, यूं तो अयोध्या में श्री राम को लेकर संतो तथा हिंदू संगठनों ने अनेकों बार कानूनी लड़ाई लड़ी, वही 32 साल पहले 6 दिसंबर को हुई कार सेवा में कई कार सेवक जुल्म के शिकार भी हुए। कुछ कार सेवक तो उस समय हुए आंदोलन के लम्बे अंतराल के बाद राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से पहले ही स्वर्गवासी भी हो गए। 
  आज हम एक ऐसे ही स्वर्गवासी कार सेवक की जीवनी से आपको रूबरू करवा रहे हैं। इसमें राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के कुशलगढ़ तहसील के खेड़ा धरती क्षेत्र के गांव बदलीपाड़ा में आदिवासी परिवार के घर जन्मे स्वर्गीय कार सेवक टीका भगत भी है, जिन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के मंदिर तथा मंदिर में भगवान को विरजित करने के लिए कार सेवा में भाग लिया था। 
  जानकारी अनुसार टीटा भगत कार सेवा में तो जरूर गए, लेकिन वह रास्ता भटक जाने के बाद एक माह बाद घर लौट पाए। टीटा भगत वास्तविकता में एक उदार ह्रदय भक्त थे, उन्होंने बचपन से ही संतो के बीच धार्मिक शिक्षा अर्जित करनी शुरू की थी, उन्होंने अपनी जमीन को पांच नाम जूना अखाड़ा सर्वेश्वर महादेव छोटी सरवा के महंत स्वर्गीय चेतन गुरु को दान में दे दी थी। 
  सरवा के महंत चैतन्य गुरु महंत श्री सुदर्शन भारती जी के शिष्य लोमस भारतीय ने बताया कि टीटा भगत ने कई सिहस्थों में साधु संतों की सेवा पूजा की, वही छोटी सरवा के मंदिर में संतों की सेवा करते-करते इस दुनिया से चल बसे। महंत लोमस भारती ने बताया कि ऐसे विरले कम ही होते हैं, जो सच्चे मन से प्रभु की भक्ति करते हैं आज हमारे बीच टीटा भगत बेशक नहीं है, किन्तु उनकी यादें आज श्री राम की प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठा होने के उपरांत युगो तक सनातनियों के मन में साक्षी रहेगी। 

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