उदयपुर/राजस्थान।। पुरातत्वविद डॉ जीवन सिंह खरकवाल ने कहा है कि हड़प्पा संस्कृति के लोग भी जब बीमार होते होंगे, तब वे भी उपचार कराते होंगे, उस समय का उपचार की विधि को आयुर्वेद ही कहा जाना चाहिए।राजस्थान विद्यापीठ के साहित्य संस्थान के निदेशक डॉ खरकवाल यहां प्रताप गौरव शोध केंद्र व इतिहास संकलन समिति चित्तौड़ प्रान्त के संयुक्त तत्वावधान में 'भारत मे तकनीक और विज्ञान का इतिहास' विषय पर आयोजित व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में कही।
हिरन मगरी सेक्टर-4 स्थित विश्व संवाद केंद्र में आयोजित इस विशेष व्याख्यान में उन्होंने कहा कि हड़प्पा संस्कृति में स्वर्ण से स्वर्ण की सोल्डरिंग भी सम्भव थी और अब तो हड़प्पा संस्कृति में सिल्क के प्रमाण भी सामने आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपने इतिहास को नई खोजों के सापेक्ष अद्यतन करना होगा। डॉ. खरकवाल ने कुम्हार के मटके का महत्व बताते हुए कहा कि पानी में यदि कोई तत्व कम हैं तो मटका उसकी पूर्ति करने की क्षमता रखता है, इस पर भी गहन शोध की आवश्यकता है। उन्होंने भौगोलिक आधार पर देश के अलग अलग हिस्सों में भवन निर्माण को भी भारत के प्राचीन विज्ञान का अनुपम उदाहरण बताया और कहा कि इसे वर्नाकुलर आर्किटेक्चर कहते हैं और इस पर काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस सोच से ऊपर उठना होगा कि ज्ञान पश्चिम से आता है।
प्रताप गौरव केंद्र के निदेशक अनुराग सक्सेना ने बताया कि इस अवसर पर प्रताप गौरव शोध केंद्र के प्रभारी डॉ. विवेक भटनागर ने विषय के महत्व पर प्रकाश डाला। वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप समिति के कोषाध्यक्ष अशोक पुरोहित ने अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर इतिहास संकलन समिति चित्तौड़ प्रान्त के संरक्षक लक्ष्मीनारायण शर्मा, प्रांत संगठन सचिव रमेश शुक्ल भी मंचासीन थे।
प्रताप गौरव केंद्र में धुलेंडी पर रहेगा अवकाश
प्रताप गौरव केंद्र के निदेशक अनुराग सक्सेना ने बताया कि धुलेंडी पर प्रताप गौरव केंद्र में अवकाश रहेगा। होली पर 24 मार्च को प्रताप गौरव केंद्र 4 बजे तक खुला रहेगा। धुलेंडी पर प्रताप गौरव केंद्र में पूर्ण अवकाश रहेगा।