तिब्बत सिर्फ भारत का ही नहीं, अपितु भारतीय संस्कृति का भी अभिन्न अंग है - विधायक जैन
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तिब्बत सिर्फ भारत का ही नहीं, अपितु भारतीय संस्कृति का भी अभिन्न अंग है - विधायक जैन

तिब्बत को चीन के कब्जे से मुक्त कराने के संकल्प के साथ भारत तिब्बत समन्वय संघ की राष्ट्रीय कोर परिषद की उत्तरार्द्ध बैठक 'तप—2024' सम्पन्न
  उदयपुर/राजस्थान।। उदयपुर शहर विधायक ताराचंद जैन ने कहा कि तिब्बत सिर्फ भारत का ही नहीं अभी तो भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है।
  विधायक जैन रविवार को यहां उदयपुर में भारत तिब्बत समन्वय संघ की राष्ट्रीय कोर परिषद की बैठक को संबोधित कर रहे थे। कोर परिषद की उत्तरार्द्ध बैठक तप-2024 के समापन पर उन्होंने कहा कि भारत का अंतिम बिंदु है सिक्किम नाथुला और उसके आगे तिब्बत। तिब्बत के निवासी भी भारतीय संस्कृति हिंदू धर्म को मानते हैं। चीन की विस्तारवादी नीतियों का ही दुष्परिणाम है कि तिब्बत के लोग शरणार्थी की तरह भारत में रहने को मजबूर हैं।
   चीन के स्वभाव को जानते हुए 1962 से पहले तत्कालीन संघ प्रमुख गुरु गोलवलकर ने संकेत भी दिए थे, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसे गंभीरता से नहीं लिया था और चीन ने हिंदी चीनी भाई-भाई के नारे लगाते हुए भारत की जमीन पर कब्जा कर लिया। देश आज तक इसका खमियाजा भुगत रहा है। उन्होंने कहा कि तिब्बत पर चीन के कब्जे की घटनाक्रम को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनना चाहिए ताकि देश के लोगों और नई पीढ़ी को इसकी हकीकत पता चल सके कि तत्कालीन सरकारों ने तिब्बत को किस तरह चीन के सुपुर्द कर दिया, जबकि वह भारत का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि चीन ने कब्जा ही नहीं किया है, तिब्बत की संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास किया, लेकिन वह तिब्बत वासियों का हौसला नहीं तोड़ सका। वह दिन दूर नहीं जब तिब्बत पुनः आजादी की सांस लेगा।
  समापन समारोह में उदयपुर ग्रामीण विधायक फूल सिंह मीणा, महाकाल मंदिर न्यास के सचिव अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता चंद्रशेखर दाधीच, मंगलायतन यूनिवर्सिटी के कुलपति व भारत तिब्बत समन्यव संघ की केन्द्रीय परामर्शदात्री समिति के सदस्य डॉ. परमेन्द्र दशोरा ने भी विचार रखे। चित्तौड़ प्रांत के अध्यक्ष एडवोकेट दिनेश गुप्ता ने सभी का स्वागत किया। आभार प्रदर्शन राष्ट्रीय सहमंत्री (संवाद प्रभाग) संजय सोनी ने किया।
  इससे पूर्व, प्रात: वेला में प्रभातफेरी निकाली गई। प्रभातफेरी आयोजन स्थल आशीष वाटिका से रवाना होकर गवरी चौक, आलोक स्कूल होते हुए जैन मंदिर पहुंची और वहां विराजित आचार्य प्रसन्नसागर महाराज का आशीर्वाद लिया। संघ के पदाधिकारियों ने आचार्यश्री को भारत तिब्बत समन्वय संघ के संकल्पों से अवगत कराया। क्षेत्र के शिव मंदिर में अभिषेक के साथ प्रभातफेरी का समापन हुआ।

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