प्रयागराज/उत्तर प्रदेश।। ये कोई साधारण बावर्ची नहीं, बल्कि आईआईटी मुंबई से बीटेक और एमटेक कर चुके हैं। पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने अमेरिका से पीएचडी की, लेकिन करोड़ों का पैकेज छोड़कर समाज सेवा का मार्ग चुना। उन्होंने यह निर्णय लिया कि उनका ज्ञान और अनुभव केवल निजी संपत्ति बढ़ाने में नहीं, बल्कि जरूरतमंदों और दुखी लोगों के जीवन में बदलाव लाने के लिए उपयोग होना चाहिए।
आज यह "आईआईटी बाबा" के नाम से जाने जाते हैं। कुंभ मेले में हर दिन लाखों लोगों के लिए भोजन तैयार कर रहे हैं। उनके समर्पण और सेवा भावना ने उन्हें प्रेरणा का स्रोत बना दिया है। समाज की सेवा करते हुए भी, वे आईआईएम नागपुर के संकाय सदस्य हैं, जहां वे छात्रों को अपने अनुभवों से मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं।
आईआईटी बाबा की कहानी यह सिखाती है कि शिक्षा का असली उद्देश्य समाज के विकास में योगदान देना है। उनका जीवन एक ऐसा प्रेरणादायक उदाहरण है, जो बताता है कि व्यक्तिगत लाभ के बजाय सामूहिक कल्याण पर ध्यान केंद्रित करना कितना महत्वपूर्ण है। आईआईटी बाबा के इस असाधारण सफर को सलाम!