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अमेज़न नदी पर एक भी पुल न होने का क्या कारण है ?

   मित्रों, क्या आप जानते हैं कि संसार का सबसे बड़ा जंगल मतलब अमेज़न कई रहस्यों से भरा पड़ा है। इस जंगल में हमे सबकुछ देखने को मिलता है, चाहे वह सुन्दर-सुन्दर झरने हो, या भयंकर जानवर। नदी हो या फिर नदी में पाया जाने वाला गुलाबी डॉलफिन। यहअपने आप में ही एक दुनिया है। आपने इंटरनेट पर अब तक अवश्य ही ऐसे कई पोस्ट पढ़े होंगे, जिसमें लोगों ने 'एमेजॉन फॉरेस्ट' की चर्चा की है। लोगों ने इंटरनेट पर अमेज़न जंगल में मौजूद रहस्यमय पेड़ों की बात की है, कई भयंकर और ज़हरीले जीवों की बात की है। परन्तु अमेज़न फारेस्ट से सम्बंधित हम आज एक ऐसी चीज़ की बात करेंगे जो इस जंगल में मौजूद नहीं है। अपनी इस पोस्ट में आज हम बात करेंगे पुल की। और आपको बताएंगे कि आखिर क्या कारण है जो इतनी एडवांस टेक्नॉलजी होने के बावजूद भी हमने ऐमजॉन नदी पर आज तक कोई पुल नहीं देखा है। इस पोर्टल पर आपका स्वागत है। मित्रों जैसा की हम सभी जानते हैं कि आज मशीन और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस का युग है।
अमेज़न नदी पर एक भी पुल न होने का क्या कारण है ?
   आज हम एक से एक बड़ी पहाड़ों और नदियों पर पुल और हाईवेज बनते देख रहे हैं। परन्तु ऐसा क्या कारण है कि अमेज़न नदी पर आज तक हम एक भी पुल नहीं बना पाए हैं। इसका कारण क्या हैं। आइये सबसे पहले यह समझने की कोशिश करे कि एमेजॉन नदी है क्या और कैसी है ? ऐमजॉन संसार का सबसे बड़ा रेन फॉरेस्ट है जिसका क्षेत्र 70 लाख वर्ग किलोमीटर से भी अधिक है। यह जंगल तकरीबन साढ़े पाँच करोड़ वर्ष पुराना है। इसे संसार का लंग्स भी कहा जाता है, क्योंकि संसार का 20% आक्सीजन इन्हीं जंगलों में बनता है। इसी जंगल के अंदर से होकर ऐमजॉन नदी बहती है। ऐमजॉन नदी संसार की सबसे अधिक फैली हुई नदी है जिसकी लंबाई 62 सौ से 7 हजार किलोमीटर तक है। ये नदी पेरू के एंडीज पर्वत माला से निकलती है, और ब्राजील से होकर गुजरती है।
   आयतन के अनुसार ऐमजॉन नदी संसार की सबसे बड़ी नदी है, जबकि लंबाई के अनुसार यह नील नदी के बाद संसार की दूसरी सबसे बड़ी नदी है, परन्तु राज्य सरकार की रिपोर्ट के अनुसार यह नील से भी बहुत बड़ी है। और दुनिया की सबसे बड़ी नदी है। सरकार के अनुसार ये नदी 68 सौ किलोमीटर लंबी है जबकि नील नदी की लंबाई शासक से 50 किलोमीटर है। ऐमजॉन नदी ब्राजील पेरू बोलिविया कोलंबिया और इक्वाडोर से होकर बहती है। यह पेरू की एंडीज पर्वत माला से निकलकर पूर्व की ओर बहती हुई अटलांटिक महासागर में जाकर मिलती है। ऐमजॉन की ग्यारह सौ से ज़्यादा सहायक नदियां हैं, जिनमें से 12 नदियों की लंबाई 15 सौ किलोमीटर है। इसके अतिरिक्त संसार के समुद्रों में जितना भी मीठा पानी जाता है, उसमें ऐमजॉन का योगदान ट्वेन्टी पर्सेंट है।
  ऐमजॉन जंगल के किनारों पर नौ देशों के तकरीबन तीन करोड़ लोग निवास करते हैं। यह देश ब्राजील बोलीविया पेरू क्विटो कोलंबिया वेनेजुएला गुयाना फ्रेंच गुयाना और सूरीनाम जिनमें दो तिहाई जनसख्या ब्राजील के लोगों की है। मित्रो, आइये अब चले अपने मुद्दे पर। जब यहाँ इतनी जनसख्या है, तो क्या यहाँ विकास कि आवश्यकता नहीं है। क्या उस जनसँख्या को आसपास के नौ देशों से जोड़ना नहीं चाहिए ? आज के आधुनिक तकनीक और होनहार इंजीनियरिंग की दुनिया में ये बहुत ही अजीब लगता है कि एमेजॉन पर एक भी पुल नहीं बनाया गया है। परन्तु असल सवाल तो यह है कि क्या ऐमजॉन नदी पर पुल बनाना संभव भी है? दो स्टूडियो सैशे के एनजीओ नदी पर पुल बनाने में कई चुनौतियां हैं, जिसमें सबसे बड़ी चुनौती यह है कि क्योंकि यहाँ का मौसम शुष्क है। और शुष्क मौसम से दूर नदी इतनी चौड़ी नहीं होती कि उस पर पुल बनाया जा सके। मगर बरसात के आते ही नदी का पानी 30 फुट तक बढ़ जाता है, और तीन मील की क्रॉसिंग 30 मील में परिवर्तित हो जाती है।
  शायद अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें नई बात क्या है ? वर्षा ऋतू में तो हर नदी का स्तर बढ़ ही जाता है। पर अमेज़न नदी के साथ समस्या यह है कि जब यहाँ बारिश होती है तो इसका कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि नदी का कौन सा किनारा बचेगा और कौन सा डूब जायेगा। इसीलिए ऐसी स्थिति में यह समझना मुश्किल है कि आखिर पुल बनाया जाये तो किस किनारे पर। मान लो यदि आपने एक बार पुल बना कर तैयार कर दिया, और अगर वर्षा हो गई,और उसके आगे पीछे वाले किनारे डूब गए तो फिर वह पुल किस काम का बचेगा। लोग तो यहां एक और कारक भी है। ऐमजॉन नदी के किनारों की भूमि बहुत ही नर्म मिट्टी की बनी हुई है, जो निरंतर पानी से कम व बेश होती रहती है। इसके अतिरिक्त इस नदी में मलबे और पानी वाली घास और वनस्पतियों के छोटे छोटे द्वीप भी बने हुए हैं।
  फिर भी आज की आधुनिक तकनीक के साथ इन चुनौतियों को पार करना असंभव तो नहीं है, मगर ऐमजॉन पर कोई भी पुल क्यों नहीं है। यदि हम साफ़ सुथरे लफ़्ज़ों में कहे तो ऐसा इसलिए क्योंकि वहां पुल की आवश्यकता ही नहीं है। जी हाँ बिल्कुल अब ऐसा इसलिए क्योंकि एक तो यहां की जो भी जनसँख्या है वह बहुत फैली हुई है, और सड़के बहुत ही कम। या फिर हम यह कह ले कि न के बराबर हैं। और यह नदी ही इन लोगों के लिए हाईवे है। इसीलिए यहां के लोग अपनी यात्रा के लिए कार और बाइक से अधिक बोट और फेरी पर चलना पसंद करते हैं। फिर भी ऐसा नहीं है कि यहां कभी पुल बना ही नहीं था। ऐमजॉन की सबसे बड़ी सहायक नदी निकलूं में वर्ष 2010 में एक दो मील लंबा केबल ब्रिज बनाया गया था, जो ब्राजील के मनहूस और इरान डुबा शहरों को जोड़ता है।
  इस पुल से दोनों शहरों के लोग बहुत प्रसन्न थे। वैसे तो ये पुल ऐमजॉन के मुख्य क्षेत्र में नहीं था, परन्तु उस प्रकार ये एक पॉजिटिव अधम अवश्य था। परन्तु जहाँ इस पुल ने एक ओर संसार को हैरान किया वहीं दूसरी ओर एक बार मेडलिस्ट को भी निराश किया। उनका ऐसा मानना था कि पुल के साथ-साथ जंगल में भी विकास पहुंचेगा। और जैसे-जैसे जंगल में पेड़ कटेंगे तो पानी भी प्रदूषित हो जाएगा। जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया है कि 'एमेजॉन जंगल' संसार को ट्वेन्टी पर्सेंट स्वच्छ वायु देते हैं, और ऐमजॉन नदी संसार का 20 प्रतिशत स्वच्छ पानी देती है। इससे वह दोनों ही खराब हो जाएंगे। तो मित्रो मुझे पूरी आशा है कि अब आप अवश्य ही समझ गए होंगे कि क्यों ऐमजॉन नदी पर आज तक पुल नहीं बना है।

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