निजी कार्यक्रम को राजतिलक व गद्दी दस्तूर कहना संस्कृति और परम्परा के साथ खिलवाड है जो सरासर ग़लत है - क्षत्रिय महासभा
उदयपुर/राजस्थान।। अशोक सिंह मेतवाला, केन्द्रीय अध्यक्ष केन्द्रीय मेवाड़ क्षत्रिय महासभा संस्थान, उदयपुर राजस्थान द्वारा प्रेस नोट जारी कर बताया गया कि आज के समाचार पत्रों व मीडिया से मिली जानकारी अनुसार किसी के द्वारा दिनांक 2 अप्रैल को गद्दी दस्तूर की खबर मिली। हिन्दुआ सूर्य एकलिंग दीवान श्री जी हजूर महाराणा साहब विश्वराज सिंह जी का राजतिलक व गद्दी दस्तूर दिनांक 25 नवम्बर 2024 को चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर मेवाड़ की परम्परानुसार सम्पन्न हुआ। जिसमें पिछले 1400 वर्षों से चली आ रही परम्परानुसार सभी कार्यक्रम हज़ारों लोगों की उपस्थिति में सम्पन्न हुए, जिसको मीडिया व सोशल मीडिया द्वारा विश्व स्तर पर देखा गया। उक्त समारोह में रावत जी सा सलूम्बर द्वारा गद्दी पर बिठाकर महाराणा साहब का रक्त तिलक किया गया जिसमें सभी उमराव, बत्तीसा व अन्य जागीरदार उपस्थित व परम्परानुसार महाराणा साहब को नज़राना किया। साथ ही श्री एकलिंग जी, श्री श्रीनाथ जी, श्री द्वारिकाधीश जी व श्री चारभुजा जी श्री रुपनारायण जी की आशका गद्दी दस्तूर के बाद भेंट की गई।
संत श्री उत्तम स्वामी जी श्री अवधेशानन्द जी, श्री सुदर्शनाचार्य जी व कई अन्य सन्तों ने चित्तौड़गढ़ पहुंचकर समारोह के दौरान महाराणा साहब को आशीर्वाद प्रदान किया। तत्पश्चात परम्परानुसार श्री एकलिंग जी मन्दिर में तलवार बन्दी व रंग बदलाई का दस्तूर हुआ। उसके पश्चात हाथीपोल पर पूजन व सिटी पैलेस स्थित धूनी के दर्शन महाराणा साहब ने करवाये।
क्षत्रिय समाज का एतराज इस बात पर है कि जो दस्तूर परम्परा के अनुसार हो चुके हैं वह श्री महाराणा के साथ ही होते हैं। किसी अन्य को उसे करने या गद्दी दस्तूर कहने का अधिकार नहीं है एवं वह सर्वथा अनुचित होकर सामाजिक परम्पराओं के विपरीत है। इस तरह किसी के निजी कार्यक्रम को राजतिलक व गद्दी दस्तूर कहना संस्कृति और परम्परा के साथ खिलवाड है जो सरासर ग़लत है।
(अशोक सिंह मतवाला)
केन्द्रीय अध्यक्ष
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